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Bihar Elections 2025: नीतीश की चाल... कांग्रेस की चुप्पी... ऊपर से प्रशांत किशोर... मायावती और ओवैसी, जानें मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकते तेजस्वी!

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को फतह कर लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव सीएम बनना चाह रहे हैं, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. तेजस्वी की सीएम की कुर्सी की राह में एक-दो नहीं, बल्कि पांच बड़े रोड़े हैं. तेजस्वी यादव के सामने नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर, असदुद्दीन ओवैसी और मायावती से पार पाने की बड़ी चुनौती तो है ही, महागठबंधन में शामिल कांग्रेस भी तेजस्वी के सीएम पद पर चुप्पी साधे हुए है. ऐसे में तेजस्वी कैसे मुख्यमंत्री बनेंगे? 

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Bihar Chunav: बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर चुनाव इसी साल अक्टूबर-नवंबर में होने हैं. पिछले चुनाव की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) के बीच है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को फतह कर लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) मुख्यमंत्री (CM) बनना चाह रहे हैं, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. तेजस्वी यादव की सीएम की कुर्सी की राह में एक-दो नहीं, बल्कि पांच बड़े रोड़े हैं. तेजस्वी यादव के सामने नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर, असदुद्दीन ओवैसी और मायावती से पार पाने की बड़ी चुनौती तो है ही, महागठबंधन में शामिल कांग्रेस भी तेजस्वी के सीएम पद पर चुप्पी साधे हुए है जबकि तेजस्वी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात तक कह चुके हैं. 

एनडीए में शामिल हैं इतनी पार्टियां
एनडीए में पांच दल भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (लोकतांत्रिक) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा शामिल हैं. एनडीए की अगुवाई बीजेपी कर रही है.

इंडिया एलायंस में कुल आठ दल 
इंडिया एलायंस में कुल आठ पार्टियां शामिल हैं. इसमें आरजेडी, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) शामिल हैं. आरजेडी इस महागठबंधन का नेतृत्व कर रही है.

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तेजस्वी यादव पर भारी नीतीश कुमार 
तेजस्वी यादव जहां जा रहे हैं, वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर तीखा हमला बोल रहे हैं. हालांकि इस विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार की चाल तेजस्वी यादव पर भारी पड़ रही है. नीतीश कुमार ने बिहार में अपना एक खास वोट बैंक तैयार किया है. इस वोट बैंक में सिर्फ उनकी जाति के लोग ही नहीं शामिल हैं बल्कि तमाम जातियों के लोग शामिल हैं. बहुत हद तक मुस्लिम भी नीतीश की पार्टी जदयू को वोट देते हैं. नीतीश कुमार महिलाओं के विकास के लिए तरह-तरह की योजनाएं लाकर उनको अपने पक्ष में पहले ही कर चुके हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव के लिए सीएम की कुर्सी इस साल भी मिलने की संभावना कम नजर आ रही है. हालांकि तेजस्वी यादव हर तरफ से प्रयास कर रहे हैं कि नीतीश कुमार के वोट बैंक में वह किसी तरह सेंध लगा दें लेकिन नीतीश कुमार उनकी हर चाल पर पानी फेर दे रहे हैं. 

तेजस्वी यादव ने महिलाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए माई-बहिन मान योजना लाने की घोषणा अपनी सरकार आने पर की थी. इसके तहत हर महीने 2500 रुपए देने की घोषणा की थी. उधर, नीतीश कुमार ने महिलाओं को रोजगार के लिए मुफ्त में 10 हजार रुपए देकर तेजस्वी की इस योजना पर पानी फेर दिया. तेजस्वी ने 200 यूनिट फ्री बिजली का वादा किया तो उधर, नीतीश ने 125 यूनिट बिजली फ्री दे दी. तेजस्वी ने सामिक सुरक्षा पेंशन 1500 रुपए मासिक करने का वादा किया तो नीतीश ने इसे 400 रुपए से बढ़ाकर 1100 रुपए कर दिया. इस तरह से नीतीश कुमार की चाल तेजस्वी की हर योजना पर भारी पड़ती नजर आ रही है. नीतीश कुमार की सरकार अभी ताबड़तोड़ योजनाओं की घोषणा कर रही है. पुलिस से लेकर हर विभाग में नौकरियां निकाली जा रही हैं. एनडीए में इस बार भी सीएम पद पर नीतीश कुमार का नाम तय है. ऐसे में बहुत कम संभावना है कि तेजस्वी यादव को इस बार सीएम की कुर्सी मिल जाए. 

प्रशांत किशोर बिगाड़ेंगे तेजस्वी का खेल 
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के चुनावी मैदान में ताल ठोकने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. जन सुराज पार्टी (ISP) बिहार में तीसरा मोर्चा बनकर उभरी है. प्रशांत किशोर की पार्टी ने बिहार विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इस विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर सीएम बनने की आस देख रहे तेजस्वी यादव का खेल बिगाड़ सकते हैं. प्रशांत किशोर ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर वंशवाद और विकास नहीं करने का आरोप लगाया है, जो RJD से नाराज वोटरों को लुभा सकता है. 

तेजस्वी को नौवीं फेल तक प्रशांत किशोर बता चुकी हैं. इस चुनाव में जन सुराज आरजेडी के पारंपरिक यादव और मुस्लिम वोटों में सेंध लगा सकती है. बिहार की राजनीति में जाति हमेशा निर्णायक कारक रही है. हर विधानसभा चुनाव मुख्यतः जातिगत आधार पर लड़े गए हैं. इस बार भी कुछ अलग होने की संभावना नहीं है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की रणनीति अलग-अलग समुदायों से उम्मीदवार उतारने की है, जिससे परंपरागत वोट बैंक टूट सकते हैं. प्रशांत किशोर 40 मुसलमानों को टिकट देने की बात कह चुके हैं. यदि प्रशांत किशोर मुसलमानों को अधिक सीटों पर उतारते हैं तो मुस्लिम वोट का बंटवारा होगा. ऐसा होने पर आरजेडी या महागठबंधन के दूसरे घटक दलों के लिए मुश्किल हो सकती है.

ओवैसी ने 4 का बदला 40 से लेने की दी है चेतावनी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के साथ चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन वहां बात नहीं बनी तो अकेले ही चुनावी मैदान में आने की घोषणा कर दी है. असदुद्दीन ओवैसी के बिहार चुनाव में उतरने से बिहार विधानसभा 2020 की तरह मुस्लिम वोटों में बिखराव का खतरा हो सकता है. इससे तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी और कांग्रेस दोनों को नुकसान होना तय है. 

एआईएमआईएम का सीमंचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया में अच्छा-खासा प्रभाव है. विधानसभा चुनाव 2020 में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटें मिली थीं. एआईएमआईएम को बिहार में कुल 5 लाख 23 हजार 279 वोट मिले थे. इस तरह से उसे 1.3 फीसदी वोट मिले थे. सीमांचल में एआईएमआईएम की वजह से आरजेडी को नुकसान और बीजेपी को काफी लाभ मिला था. मुस्लिम वोटों के दम पर ओवैसी ने कांग्रेस और आरजेडी का खेल बिगाड़ दिया था. हालांकि बाद में एआईएमआईएम के चार विधायक पाला बदलकर आरजेडी में शामिल हो गए थे. इस बार ओवैसी ने 4 का बदला 40 से लेने की चेतावनी दी है. ऐसे में तेजस्वी यादव की सीएम बनने की राह में AIMIM अड़चन पैदा कर सकती है.

मायावती की पार्टी BSP सभी सीटों पर लड़ेगी चुनाव 
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती कि बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने ऐलान किया है कि वह बिहार में सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी. मायावती की पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी है. शाहाबाद क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी हर चुनाव में अपना प्रभाव छोड़ती है. शाहाबाद की 22 सीटों पर वोटों का बंटवारा तेजस्वी की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है. इस क्षेत्र में अभी 10 विधायक आरजेडी के हैं. मायावती यदि इन सीटों पर मुस्लिम और यादव उम्मीदवार को टिकट देती हैं तो यह आरजेडी के लिए बहुत बड़ा खतरा होगा क्योंकि ये उम्मीदाव जीतें या न जीतें लेकिन आरजेडी का वोट तो जरूर कांटेंगे. ऐसे में फायदा एनडीए को होगा. इतना ही नहीं यदि मायावती बिहार में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारती हैं तो BSP कई सीटों पर वोट कटवा की भूमिका निभा सकती है. इससे अधिक नुकसान महागठबंधन को ही होगा.  

कांग्रेस नहीं खोल रही पत्ता 
महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच सीट बंटवारों को लेकर रस्साकसी जारी है. कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों की मांग कर रही है. महागठबंधन में शामिल कांग्रेस तेजस्वी के सीएम पद पर चुप्पी साधे हुए है जबकि तेजस्वी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात तक कह चुके हैं. ऐसे में यदि महागठबंधन कुल 243 विधानसभा सीटों में से सरकार बनाने भर सीटों पर जीत दर्ज भी कर ले तो सीएम के पद पर रार जरूर होगा. तेजस्वी यादव को आसानी से सीएम पद मिलने वाला नहीं है.