
Bihar Elections: बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है. इस बार चुनाव दो फेज में 6 नवंबर और 11 नवंबर 2025 को होगा. इस बार भी मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और राजद की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन (India Alliance) के बीच माना जा रहा. इस बार महिला मतदाताओं की भूमिका जातीय समीकरणों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होने जा रही है. महिला मतदाता नतीजों को पलटने की ताकत रखती हैं.
पिछले तीन विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है. इस बार भी नारी शक्ति मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि महिला शक्ति ही तय करेगी कि सत्ता की बागडोर एनडीए या महागठबंधन किसके हाथ में जाएगी. ऐसे में चाहे एनडीए हो या फिर महागठबंधन, हर किसी की कोशिश महिला मतदाताओं को अपनी तरफ करने की है.
बिहार में अब महिला वोट बैंक भी अहम
बिहार में महिला मतदाताओं का नया वोट बैंक आकार ले रहा है. बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को देखा जाए तो हाल फिलहाल के दिनों में सबसे बड़ा निर्णायक परिवर्तन महिला मतदाताओं का हुआ है. बिहार में जातीय और धार्मिक समीकरण तो वोट बैंक का आधार रहा ही है, अब महिला वोट बैंक भी अहम हो गया है. महिलाओं की राजनीति में भागीदारी अब सिर्फ सांकेतिक नहीं रही. उनके मतदान पैटर्न, राजनीतिक समझ और सामाजिक जागरूकता ने इस बात को साबित कर दिया है कि भविष्य में बिहार की सत्ता का समीकरण अब महिला मतदाताओं के इर्द-गिर्द घूमेगा.
राजनीतिक दल भी इस बात को समझ गए हैं. पहले जहां राजनीतिक दल पुरुष मतदाताओं को केंद्र में रखकर अपनी रणनीति को बनाते थे लेकिन जिस तरह से सियासी परिदृश्य में महिलाओं की इंट्री हुई है. इसने सारे समीकरणों को बदल करके रख दिया है. सभी राजनीतिक दल अब महिलाओं को ध्यान में रखकर नीतियां बना रहे हैं. महिलाओं के लिए तरह-तरह की घोषणाएं कर रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों की सोच यही है कि यदि सत्ता के सिंहासन तक पहुंचना है तो महिलाओं को अपने पक्ष में करना ही होगा.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका जातीय और धार्मिक समीकरणों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होगी. महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता केवल मतदान तक सीमित नहीं है. पंचायतों में उनकी बढ़ती भागीदारी, सामाजिक संगठनों में नेतृत्व और स्थानीय स्तर पर सक्रियता यह दिखाती है कि वे अब निष्क्रिय वोट बैंक नहीं हैं. आने वाले चुनावों में यही महिला शक्ति तय करेगी कि सत्ता की बागडोर किसके हाथ में जाएगी. उनका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव अब चुनावी नतीजों से अनदेखा नहीं किया जा सकता. पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा और संसद तक, महिला मतदाता अपनी सक्रियता और जागरूकता के माध्यम से राजनीतिक दिशा तय कर रही हैं.
महिलाओं ने पुरुषों से अधिक किया मतदान
1. पिछले तीन विधानसभा चुनावों (2010, 2015 से लेकर 2020 तक) में महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया है.
2. विधानसभा चुनाव 2010 में कुल 2.54 करोड़ मतदाताओं में से 54.49% महिला मतदाताओं ने वोट दिया था जबकि 51.12% पुरुष मतदाताओं ने अपने मतों का इस्तेमाल किया था.
3. विधानसभा चुनाव 2015 के आंकड़ों को देखा जाए तो उस समय 56.88% मतदान हुआ था. इसमें महिला मतदाताओं ने करीब 60.48% की भागीदारी की थी, जबकि पुरुषों की इस मतदान में भागीदारी 53.3% थी.
4. विधानसभा चुनाव 2020 में 57.027 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसमें पुरुषों ने जहां 54.45 प्रतिशत मतदान किया था, वहीं महिलाओं की मतदान का प्रतिशत 56.6% था.
5. पिछले दो लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को भी यदि देखा जाए तो इनमें भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा रही है.
6. लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य की 40 लोकसभा सीटों पर 57.33% मतदान हुआ था. जिनमें महिला मतदाताओं ने 59.58% मतदान किया था जबकि पुरुष मतदाताओं का मतदान का प्रतिशत केवल 54.9% रहा था.
बिहार में किस जाती में कितनी महिला मतदाता
आंकड़ों की मानें तो बिहार में 19.6 प्रतिशत शेड्यूल कास्ट की महिला मतदाता हैं. 17.8 प्रतिशत मुस्लिम, 14.46 प्रतिशत यादव, 2.99% कुर्मी, 0.6% कायस्थ, 3.7% ब्राह्मण, 3.4% राजपूत, 2.9% भूमिहार महिला मतदाता हैं.
सभी दलों की महिलाओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश
डबल इंजन की राज्य की नीतीश और केंद्र की मोदी सरकार ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. उज्ज्वला योजना ने घर की रसोई में धुएं की समस्या को कम किया, नल-जल योजना से हर घर में साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों परिवारों को पक्के घर मिले, मुफ्त बिजली और पेंशन बढ़ोतरी से बुज़ुर्ग महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरी.
साइकिल योजना और छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां अब स्कूल और कॉलेज तक पहुंच रही हैं. पिछले कुछ दिनों में सीएम नीतीश कुमार ने बिहार की हर महिला वर्ग के लिए कुछ न कुछ घोषणा की थी. इनमें जीविका दीदी, आशा वर्कर से लेकर के आंगनबाड़ी महिलाएं तक शामिल थे. सीएम ने बिहार की महिला शिक्षिकाओं के भी कई मांगों को मान लिया था. अभी चंद रोज पहले सीएम नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के अकाउंट में सीधे 10 हजार रुपए रोजगार करने के लिए डाले हैं. महिला मतदाताओं को लुभाने में राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने माई बहन योजना के बारे में घोषणा की थी. जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने भी इस पर अपने मुहर लगाया था.