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Bihar Election 2025: NDA हो या INDIA गठबंधन... दोनों को छोटे दल फंसाएंगे... सरकार बनाने में निभा सकते हैं अहम भूमिका... जानें बिहार विधानसभा चुनाव में इन पार्टियों की ताकत का राज

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में छोटे दल अहम भूमिका निभाते हैं. इस बार चुनाव में NDA हो या INDIA गठबंधन, दोनों को छोटे दल फंसाएंगे क्योंकि दोनों गठबंधनों में सरकार बनाने की चाबी इनके पास ही रहने की उम्मीद है. आइए जानते हैं चुनाव में इन छोटी पार्टियों की ताकत का राज क्या है?

Bihar Election 2025 Bihar Election 2025
हाइलाइट्स
  • एनडीए में शामिल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) 29 सीटों पर ठोक रही ताल

  • महागठबंधन में शामिल सीपीआई एमएल ने 20 सीटों पर उतारे हैं अपने उम्मीदवार

Bihar Cunav 2025: बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर 6 नवंबर और 11 नवंबर 2025 को चुनाव होने हैं. वोटों की गिनती 14 नवंबर 2025 को होगी. बिहार में सिर्फ बड़े दल ही नहीं बल्कि हर विधानसभा चुनाव में छोटे दल अहम भूमिका निभाते हैं. इस बार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) हो या INDIA गठबंधन (महागठबंधन), दोनों को छोटे दल फंसाएंगे क्योंकि दोनों गठबंधनों में सरकार बनाने की चाबी इनके पास ही रहने की उम्मीद है.

छोटे दलों का है अपना वोट बैंक और जनाधार
इस बार बिहार की सत्ता पर किसका राज होगा, यह कुछ हजार वोटों से भी तय हो सकता है. ऐसे में लोजपा (रामविलास), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम),  राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और सीपीआई-एमएल निर्णायक ताकत के रूप में उभर सकती हैं. बिहार में इन छोटे दलों का अपना वोट बैंक और जनाधार है. उनकी अपने-अपने इलाकों में जातीय मतदाता समूहों में गहरी पैठ है.

ऐसे में एनडीए में भले ही बीजेपी-जदयू और महागठबंधन में आरजेडी-कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टियां हों लेकिन चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास), जीतन राम मांझी की हम, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम और मुकेश सहनी की वीआईपी जैसी छोटी पार्टियां अपने खास जातिगत वोट बैंक के दम पर नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं. वहीं सीपीआई-एमएल, सीपीआई, वीआईपी और आईआईपी का अपना मजबूत वोट आधार है. छोटे दलों के लिए यह विधानसभा चुनाव अस्तित्व, पहचान और मोलभाव की ताकत साबित करने का मौका है.

इस बार एनडीए शामिल में किस दल की कितनी सीटें मिलीं
1. बीजेपी: 101 सीट
2. जदयू: 101 सीट
3. लोजपा (र): 29 सीट
4. हम: 6 सीट
5. आरएलएम: 6 सीट

महागठबंधन में किस दल को मिली कितनी हिस्सेदारी
1. आरजेडी: 143 सीट
2. कांग्रेस: 61 सीट
3. सीपीआई एमएल: 20 सीट
4. सीपीआई: 9 सीट
5. सीपीएम: 4 सीट
6. वीआईपी: 15 सीट
7. आईआईपी: 2 सीट

चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास)
एनडीए में शामिल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 29 सीटें मिली हैं. राजनीतिक जानकर चिराग को बिहार की राजनीति में अब किंगमेकर के तौर पर देख रहे हैं. चिराग पासवान के कंधे पर अपने पिता और बिहार के दिग्गज दलित नेता राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के जिम्मा है. राम विलास पासवान का बिहार में दलित वोट बैंक पर काफी पकड़ रहा है. दलितों में खासकर दुसाध समुदाय में, यह समुदाय राज्य में एक बड़ा जनसमूह है. ऐसे में एनडीए में चिराग पासवान का होना जातीय समीकरण को संतुलित करता है. चिराग की पार्टी दलित समुदाय को जोड़ती है, जिससे गठबंधन की सामाजिक पकड और मजबूत होती है. विधानसभा चुनाव 2020 में लोजपा को लगभग 5.66% वोट मिले थे. इस चुनाव में लोजपा ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था.

जीतन राम मांझी की हम
एनडीए में शामिल जीतन राम मांझी की पार्टी हम को इस बार 6 सीटें मिली हैं. जीतन राम मांझी महादलितों खासकर मुसहर समुदाय के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. विधानसभा चुनाव 2020 में हम को लगभग 3.75 लाख वोट मिले थे, जो कुल वोटों का लगभग 1.52% है. इस चुनाव में हम ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसी जनाधार के बल पर मांझी ने कहा है, यह सच है कि हमें सीटें कम मिली हैं, हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है, बिहारियों के मान-सम्मान के लिए एनडीए जीतेगा और बिहार का मान बना रहेगा. हम पार्टी का मगध में अच्छा जनाधार है. ऐसे हम की भूमिका एनडीए के लिए निर्णायक साबित हो सकती है.

उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम
एनडीए में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम को 6 सीटें मिली हैं. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का गैर-यादव ओबीसी समुदाय, खासकर कुशवाहा वोटरों पर अच्छी पकड़ है. विधानसभा चुनाव 2020 में आरएलएम पार्टी महागठबंधन के साथ जुड़ी थी. कुशवाहा की पार्टी ने 104 सीटों पर चुनाव लड़ा था. चुनाव में लगभग 1.77% वोट मिले थे. हालांकि आरएलएम अब एनडीए के साथ जुड़ गई है. उपेंद्र कुशवाहा बिहार के गैर-यादव ओबीसी समुदाय में एक अहम नेता माने जाते हैं. कभी कुशवाहा को नीतीश कुमार के विकल्प के रूप में भी देखा जाने लगा था.  उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में जुड़ने से एनडीए को और मजबूती मिली है.

मुकेश सहनी की वीआईपी
महागठबंधन में शामिल मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 15 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है. खुद को 'मल्लाह का बेटा' कहने वाले मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी का जनाधार मिथिला के इलाके में दिखता है. मुकेश सहनी की महत्वाकांक्षा बिहार में उपमुख्यमंत्री बनने का है. इसके लिए वो अपनी पार्टी का जनाधार मजबूत करने में लगे हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को 1.52% वोट मिले थे. इस चुनाव में वीआईपी ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में उसके सभी विधायक बीजेपी में चले गए थे. वीआईपी का इस विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन महागठबंधन के भविष्य को प्रभावित कर सकता है.

दीपंकर की सीपीआई-एमएल
महागठबंधन में शामिल सीपीआई एमएल ने इस बार 20 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. महागठबंधन में शामिल छोटे दलों में सबसे मजबूत जनाधार इसी पार्टी का है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सीपीआई-एमएल ने अकेले 19 में से 12 सीटें जीती थीं. पार्टी के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य का कहना है कि हम इस बार अधिक सीटों के हकदार थे, लेकिन हमने अंततः सिर्फ 20 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. ऐसा कर हमने गठबंधन की भावना को बनाए रखा है. आपको मालूम हो कि इस पार्टी का अपना मजबूत वोट आधार है.