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Bihar Exit Poll 2025: एग्जिट पोल और  Opinion Poll में क्या होता है अंतर, मतगणना से पहले कैसे पता चलता है किसकी बन सकती है सरकार? बिहार में 14 नवंबर को होनी है वोटो की गिनती 

Exit Polls vs Opinion Polls: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे 14 नवंबर 2025 को घोषित किए जाएंगे. वोटों की गिनती से पहले ही एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में यह समाने आने लगता है कि आखिर किसकी सरकार बनेगी. आइए जानते हैं एग्जिट पोल व ओपिनियन पोल में क्या होता है अंतर और मतगणना से पहले कैसे पता चलता है किसकी बन सकती है सरकार?

Bihar Exit Poll 2025 Bihar Exit Poll 2025
हाइलाइट्स
  • बिहार विधानसभा में हैं कुल 243 सीटें 

  • सरकार बनाने के लिए 122 सीटों पर जीत जरूरी 

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर वोटिंग 11 नवंबर 2025 को हुई. 6 नवंबर 2025 को पहले चरण में 121 सीटों पर वोटिंग हुई थी. दोनों चरणों के वोटों की गिनती 14 नवंबर 2025 को होगी. चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे उम्मीदवार जहां अपनी-अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं, तो वहीं जनता भी वोट होने के बाद तरह-तरह की कयास लगा रही है. बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं. सरकार बनाने के लिए 122 सीटों पर जीत जरूरी है. हम आपको बता रहे है कि एग्जिट पोल (Exit Poll) और ओपिनियन पोल (Opinion Poll) में क्या अंतर होता है और कैसे मतगणना से पहले ही ये सरकार बनने और बिगड़ने का दावा कर देते हैं?

क्या होता है एग्जिट पोल 
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे होता है. मतदान वाले दिन जब मतदाता वोट देकर पोलिंग बूथ से बाहर निकलता है तो वहां अलग-अलग सर्वे एजेंसी और न्यूज चैनल के लोग मौजूद होते हैं. वह मतदाता से वोटिंग को लेकर सवाल पूछते हैं. इसमें उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसको वोट दिया है. हर विधानसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथ से वोटर्स से सवाल पूछा जाता है. इसके बाद उनके उत्तर के हिसाब से अंदाजा लगाया जाता है कि जनता का मूड किस ओर है? कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं? इसका प्रसारण मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है. अधिकतर बार एग्जिट पोल का रिजल्ट और असली रिजल्ट काफी हद तक एक जैसा होता है. 

एग्जिट पोल कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वहां लोगों से बात करता है. इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेगा? आमतौर पर मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है. इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है. मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर ये निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं.किस पार्टी की सरकार बन रही है? किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी? इसका अनुमान एग्जिट पोल के जरिए लगाया जाता है. एग्जिट पोल में केवल मतदाताओं को ही शामिल किया जाता है.

ये एजेंसी और चैनल कराते हैं सर्वे
1.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया
2. टुडे चाणक्य
3. एबीपी-सी वोटर
4. न्यूजएक्स-नेता
5. सीएसडीएस
6. रिपब्लिक-जन की बात
7. टाइम्स नाउ-सीएनएक्स
8. न्यूज 18-आईपीएसओएस

क्या होता है ओपिनियन पोल 
ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराए जाते हैं. सर्वे एजेंसियां और न्यूज चैनल के कर्मचारी ओपिनियन पोल में सभी लोगों से बातचीत करते हैं. भले ही वो वोटर हों या नहीं हों. ओपिनियन पोल के रिजल्ट के लिए चुनावी दृष्टि से क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने का प्रयास किया जाता है. इसके तहत हर क्षेत्र में यह जानने का प्रयास किया जाता है कि सरकार के प्रति जनता की नाराजगी है या फिर उसके काम से संतुष्ट हैं.

एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस
हमारे देश में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (आईआईपीयू) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी. एग्जिट पोल को लेकर हमारे देश में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थी. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी. 1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था.

1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया था. इसके बाद समय-समय पर चुनाव आयोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी करता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं. कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.

दुनिया में सबसे पहला कहां कराया गया था एग्जिट पोल
दुनिया में सबसे पहले एग्जिट पोल अमेरिका में कराया गया था. यह 1936 में हुआ था. जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने किया था. इसके बाद ब्रिटेन में पहला एग्जिट पोल 1937 में कराया गया था. फ्रांस में पहला एग्जिट पोल 1938 में हुआ था. जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम और आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए गए.