
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह से प्रशांत किशोर लगातार नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार पर ग्राउंड से जुड़े मुद्दों को लेकर सवाल उठा रहे है, बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर बड़ा फैक्टर बनते जा रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर फैक्टर सत्ताधारी एनडीए में चिंता का विषय बनता जा रहा है. बीजेपी की बैठकों में प्रशांत किशोर को लेकर कई बार चर्चा होती है.
एनडीए में प्रशांत किशोर की चर्चा-
दरअसल बीजेपी और बिहार में उसकी सहयोगी पार्टी जेडीयू की चिंता इस बात की है कि प्रशांत किशोर ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, जो एक विपक्षी पार्टी को उठाने चाहिए और उसके साथ ही वो जातिगत राजनीति वाले बिहार में परंपरागत तौर पर एनडीए के कोर वोटर में अभी तक सेंध लगाते दिख रहे हैं.
बीजेपी पर सवाल उठाते रहे हैं प्रशांत-
पिछले कई महीनों से प्रशांत किशोर ने बिहार बीजेपी के प्रमुख नेताओं और कई मंत्रियों को भ्रष्टाचार के अलग-अलग मुद्दों पर घेरा है. बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मेडिकल कॉलेज का मुद्दा, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को इस मेडिकल कॉलेज में लपेटा, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल, पूर्व बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल से पेट्रोल पंप के मालिकाना हक का मामला उठाकर भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा, पलायन, भाई-भतीजावाद जैसे मुद्दों को उठाकर आम जनता के बीच जा रहे हैं.
हर बैठक में प्रशांत फैक्टर की चर्चा-
बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी की हर बैठकों में प्रदेश नेताओं से ये सवाल जरूर पूछा जाता है कि प्रशांत किशोर कितना बड़ा फैक्टर बनता जा रहा है. इसके साथ सवर्ण जातियों के मतदाता बीजेपी के साथ रहें, इसके लिए किस रणनीति के साथ काम किया जा रहा है और उसके साथ युवाओं को कैसे जोड़ा जाए, उसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
जनसुराग को कहां से मिल रहा चंदा- बीजेपी
बीजेपी नेताओं का मानना है कि अरविंद केजरीवाल की तरह प्रशांत किशोर सिर्फ आरोप की राजनीति कर रहे हैं, जिसमें तथ्य नहीं है. बीजेपी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के जवाब में बीजेपी जनसुराज पार्टी को मिलने वाले चंदे को लेकर सवाल पूछ रही है कि आखिर घाटे में चलने वाली कंपनियां कैसे और क्यों पीके के कैंपेन को करोड़ों का चंदा दे रही हैं.
प्रशांत से कैसे निपटेगी बीजेपी?
बीजेपी नेताओं का तर्क है कि पिछले चुनाव में चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और ओवैसी के गठबंधन को लगभग 11 प्रतिशत वोट मिला था. बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रशांत किशोर की तमाम कोशिशों के बावजूद चुनाव आते-आते जातियां और युवा मतदाता बीजेपी को हराने और लालू-तेजस्वी के जंगलराज की वापसी कभी नहीं चाहेंगे.
बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी रणनीतिकारों ने प्रशांत किशोर की काट के लिए युवा वोटरों को बीजेपी से जोड़ने, जंगलराज के बारे में बताने और को-काउंटर करने के लिए एनडीए हर विधानसभा में 10,000 मोदी मित्र बनाने का अभियान चला रही है. मोदी मित्र सोशल मीडिया पर बिहार के युवा वोटरों को लालू के जंगलराज की याद दिलाएंगे और उसके साथ बिहार में एनडीए के लिए डिजिटल तरीके चुनाव प्रचार भी करेंगे.
(हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट)
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