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Bihar Politics: 60 सीटों पर दावेदारी.. क्या वाकई इंडिया गठबंधन से एग्जिट प्लान तलाश रहे हैं मुकेश सहनी?

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन के अंदर 60 सीटों पर दावेदारी की है. इसके साथ ही डिप्टी सीएम का पद पर भी दावा ठोका है.

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बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले VIP नेता मुकेश सहनी सुर्खियों में हैं. दरअसल मुकेश सहनी ने इंडिया गठबंधन के अंदर अपनी पार्टी के लिए 60 सीटों पर दावेदारी कर सियासी पारा गरमा दिया है. सहनी ने 28 जुलाई की शाम पहले अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए 60 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया, फिर उसके बाद बातचीत में भी वे अपने दावे पर अड़े रहे. मुकेश सहनी ने साफ कहा कि 60 विधानसभा सीटों की पहचान कर उनपर अपना उम्मीदवार देने का फैसला उनकी पार्टी ने पिछले दिनों की VIP के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ही कर लिया था. इतना ही नहीं, बिहार में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर सहनी खुद एक डिप्टी सीएम की कुर्सी पर भी दावा ठोक रहे हैं.

60 सीटों पर दावेदारी-
60 सीटों और डिप्टी सीएम की कुर्सी पर दावेदारी ने आरजेडी और कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के तमाम सहयोगियों को चौंका रखा है. तेजस्वी यादव भी शायद नहीं समझ पा रहे होंगे कि आखिर सहनी का सियासी दांव किस मकसद से है. बुधवार को पटना में इंडिया गठबंधन के कॉर्डिनेशन कमेटी की अहम बैठक आयोजित हुई, लेकिन मुकेश सहनी इस खास बैठक से पहले मंगलवार को ही दिल्ली निकल चुके थे. दिल्ली रवाना होने से पहले सहनी ने क्लियर मैसेज देते हुए ये भी कहा कि इंडिया गठबंधन में सबसे पहले सीट शेयरिंग पर मुहर लगेगी. उसके बाद ही सीएम कैंडिडेट पर साझा ऐलान. मुकेश सहनी को लेकर तेजस्वी यादव का पिछला अनुभव कड़वा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी ने कैसे सीट शेयरिंग वाले महागठबंधन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठक तेजस्वी के खिलाफ मोर्चा खोला था, ये शायद ही कोई भूला हो. तब मुकेश सहनी ने तेजस्वी पर अति पिछड़ा के बेटे के पीठ में खंजर मारने का आरोप लगाया था. बाद में सहनी दिल्ली गए और एनडीए के साथ मिलकर चुनाव में उतरे थे. एनडीए के साथ लड़कर VIP को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. सहनी एनडीए की सरकार में मंत्री बने और विधान परिषद के सदस्य भी. लेकिन वे ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाए. यूपी विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी के खिलाफ कड़े तेवर दिखाना सहनी को भारी पड़ा था. बिहार में उनकी मंत्री वाली कुर्सी गई और साथ ही उनके 4 विधायक भी बीजेपी के साथ चले गए. यहीं से बीजेपी और मुकेश सहनी के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो गया. एक बार फिर से मुकेश सहनी तेजस्वी यादव के साथ खड़े हैं. लेकिन सवाल भरोसे वाली राजनीति का है.

सहनी को HAM के मैसेज का मतलब क्या?
इंडिया गठबंधन की कॉर्डिनेशन कमेटी की बैठक से दूर मुकेश सहनी ने अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को मीटिंग में शामिल होने के लिए भेजा. सीट शेयरिंग पर चर्चा के बीच VIP के 60 सीटों के दावे को लेकर सहयोगी दलों का रुख क्या है, इसे भी मुकेश सहनी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के जरिए समझा होगा. हालांकि एनडीए में बीजेपी के सहयोगी दलों को ये लगने लगा है कि मुकेश सहनी इंडिया गठबंधन से बाहर आने का एग्जिट प्लान तलाश रहे हैं. 60 सीटों पर दावेदारी को एनडीए इसी तौर पर देख रहा है. HAM ने तो एक कदम आगे बढ़कर मुकेश सहनी को मैसेज दे डाला है कि बिना देरी किए तेजस्वी का साथ छोड़िए और एनडीए का दामन थाम लीजिए. HAM के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर शरण ने कहा है कि अति पिछड़ा समाज से आने वाले मुकेश सहनी का कद बढ़ते तेजस्वी यादव और लालू परिवार नहीं देख सकता. जेडीयू भी मुकेश सहनी के इंडिया गठबंधन से एग्जिट को तय मानकर चल रहा. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा के मुताबिक सहनी को 60 सीट मिलना असंभव है और यही उनके इंडिया गठबंधन छोड़ने की वजह बनेगा.

बीजेपी को लेकर VIP का दावा-
मुकेश सहनी के राजनीतिक भविष्य को लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारे में भले ही कयासों का दौर चल रहा हो. लेकिन खुद सहनी की पार्टी एनडीए में जाने के कयासों को खारिज कर रही है. VIP के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा है कि बीजेपी ने हमारे विधायकों को तोड़ा था और अब तक हम ये बात नहीं भूले हैं. बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. आरजेडी भले से 60 सीटों की दावेदारी से सकते में हो. लेकिन उसका भी मानना है कि मुकेश सहनी तेजस्वी का साथ छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि VIP हमारी मजबूत सहयोगी है.

बिहार की राजनीति में मुकेश सहनी के पास निषाद, मल्लाह और सहनी वोटों का आधार माना जाता है. अति पिछड़ा समाज से आन वाली इन जातियों का असर मिथिलांचल से लेकर सीमांचल तक लगभग सभी विधानसभा सीटों पर है. मुकेश सहनी ने अपनी राजनीति के जरिए इस जातीय वोट बैंक को गढ़ा और रचा है. बीजेपी से लेकर जेडीयू तक ने सहनी समाज को साधने के लिए अपने–अपने दलों से कई ऐसे चेहरों को सरकार में जगह दी, जो इसी समाज से आते हैं. लेकिन तमाम प्रयोगों के बावजूद सन ऑफ मल्लाह कहे जाने वाले मुकेश सहनी की पकड़ अपने समाज के वोट बैंक पर मानी जाती है. बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस कमजोर कड़ी को साधने का हर संभव प्रयास कर है, अब देखना होगा कि मुकेश सहनी इंडिया गठबंधन में रहकर 60 सीटों के साथ डिप्टी सीएम की कुर्सी वाली शर्त के साथ आगे बढ़ते हैं या फिर उससे कम विधानसभा सीटों वाले फार्मूले के साथ केंद्रीय कैबिनेट में जगह के विकल्प को तलाशते हैं.

(शशिभूषण कुमार की रिपोर्ट)

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