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Bihar Politics: लालू यादव का RJD का अध्यक्ष बनना तय, आरजेडी ने फिर क्यों लगाया दांव? जानें

राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव हो रहा है. लालू यादव ने एक बार फिर पर्चा भरा है. लालू यादव का 13वीं बार आरजेडी अध्यक्ष का निर्विरोध चुना जाना तय है. लालू यादव की ताजपोशी 5 जुलाई को होगी.

Lalu Prasad Yadav (Photo/PTI) Lalu Prasad Yadav (Photo/PTI)

बिहार की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाली राष्ट्रीय जनता दल इन दिनों चर्चा में है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव इस चर्चा की वजह है. लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं. 13वीं बार लालू के आरजेडी अध्यक्ष बनने की केवल औपचारिकता ही पूरी की जा रही है. सोमवार को लालू यादव आरजेडी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे और अपना नामांकन दाखिल किया. लालू ने पार्टी के राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी रामचंद्र पूर्वे के सामने नामांकन दाखिल किया. लालू यादव अध्यक्ष पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने का रास्ता भी साफ हो चुका है. 5 जुलाई को लालू यादव की ताजपोशी भी तय है.

फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे लालू यादव-
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस लिहाज से लालू प्रसाद यादव का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर फिर से निर्वाचित होना बेहद खास है. लालू परिवार के अंदर की सियासत और महागठबंधन के सामने मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए लालू की ताजपोशी अहम है. 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने तेजस्वी यादव को चेहरा बनाया था, तब भी लालू प्रसाद यादव पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. लेकिन पोस्टर बैनर में लालू से ज्यादा तरजीह तेजस्वी को मिली थी. तेजस्वी यादव ने पूरे चुनाव अभियान को लीड किया था. बावजूद इसके महागठबंधन को जीत हासिल नहीं हुई और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए थे. अब राजद ने शायद इसी वजह से राजद के नेतृत्व और चेहरे को लेकर लालू से किनारा करने से परहेज किया है.

लालू यादव की ताजपोशी क्यों है जरूरी?
हाल ही में अपना 78वां जन्मदिन मनाने वाले लालू प्रसाद यादव की सेहत फिलहाल ठीक नहीं है. लालू चुनाव में भी किस हद तक एक्टिव रह पाएंगे, इसको लेकर सवाल है. लेकिन बावजूद इसके लालू ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे. जाहिर है राजद के कैडर और उसके समर्थक अभी भी नेतृत्व के तौर पर लालू को ही देखना चाहते हैं. शायद यही वजह है कि तेजस्वी के सीएम पद के दावेदार होने के बावजूद लालू का चेहरा ही आगे रखा गया है और लालू के बजाय किसी और के हाथ में पार्टी की कमान देने का जोखिम खुद लालू यादव भी नहीं उठा रहे हैं.

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(शशि भूषण कुमार की रिपोर्ट)

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