
तमिलनाडु में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है. हालांकि सहयोगी दलों के साथ कई अड़चनें अब भी बनी हुई हैं लेकिन बीजेपी चाहती है कि डीएमके विरोधी वोटों का बंटवारा न हो. इसके लिए छोटे-छोटे दलों को एनडीए के साथ लाने की रणनीति पर भी काम चल रहा है.
इसी सप्ताह एआईएडीएमके नेता ई पलनीस्वामी (ईपीएस) की दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से विधानसभा चुनाव की रणनीति और एआईएडीएमके में पुराने नेताओं की वापसी को लेकर लंबी मुलाकात हुई थी. हालांकि एआईएडीएमके के सूत्रों के अनुसार ईपीएस ने अमित शाह से कहा कि बीजेपी को एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं को साथ नहीं लेना चाहिए और ऐसा करने से गठबंधन की एकता पर असर पड़ सकता है. दोनों ही दलों के नेताओं के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी कि अगले महीने से दोनों दल राज्य में संयुक्त अभियान चलाएंगे और राज्य की डीएमके सरकार के खिलाफ मुद्दों को जनता के बीच ले जाएंगे. एआईएडीएमके से निष्कासित नेताओं की वापसी एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर बात अभी सुलझी नहीं है.
पीएमके पिछली बार थी एनडीए का हिस्सा
सूत्रो के अनुसार एआईएडीएमके से निष्कर्षित पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ पनीरसेलवम (ओपीएस) को लेकर माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें साथ लेना चाहती है. सूत्रों के अनुसार वे दिसंबर अंत या फिर जनवरी तक बीजेपी में आ सकते हैं. यह बात एआईएडीएमके को शायद पसंद न आए. वहीं दूसरी तरफ एआईएडीएमके नेता ईपीएस चाहते है कि तमिल सुपरस्टार विजय की पार्टी तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) एनडीए में शामिल हो. एआईएडीएमके का मानना है कि पिल्लै जाति के विजय अगडी जातियों को गठबंधन में जोड़ सकते हैं लेकिन बीजेपी फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं है क्योंकि उसे लगता है कि विजय डीएमके के वोट काट रहे हैं. वही बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच टी टी दिनाकरन और पीएमके को लेकर भी मतभेद बने हुए हैं. पीएमके पिछली बार एनडीए का हिस्सा थी.
सूत्रो के अनुसार बीजेपी चाहती है कि यदि ईपीएस टी टी दिनाकरन की यदि एआईएडीएमके में वापस नहीं लेते हैं तो टी टी दिनाकरन की पार्टी को एनडीए शामिल कराया जाए. वहीं बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है थेवर जाति के टी टी दिनाकरन एनडीए को मजबूती दे सकते हैं, जहां तक उनकी चाची और जयललिता की करीबी शशिकला का प्रश्न है, यह संभव है कि वे एनडीए के पक्ष में कैंपेन करें और विधानसभा चुनाव उनकी पॉलिटिकल एडजस्टमेंट की जाए.
दोनों गठबंधनों में था छह प्रतिशत वोटों का अंतर
2021 विधानसभा चुनाव राज्य की राजनीति पर कई दशकों से दबदबा बनाने वाले दो दिग्गज नेताओं जयललिता और एम करुणानिधि के निधन के बाद हुआ यह पहला विधानसभा चुनाव था. इस विधानसभा चुनाव में डीएमके और उनके गठबंधन ने जीत हासिल की थी. अमूमन राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलती आई है. डीएमके कांग्रेस लेफ्ट को अन्य छोटी पार्टियों के एसपीए गठबंधन ने 234 में से 159 सीटों पर जीत हासिल की थी. अकेले डीएमके में 133 सीटें जीती थीं. वहीं एनडीए को 75 सीटों पर जीत मिली थी जिसमें अकेले एआईएडीएमके ने 66 सीटें जीती थीं. दोनों गठबंधनों में छह प्रतिशत वोटों का अंतर था.
बीजेपी रणनीतिकारों का ये भी मानना है कि छोटे दलों को साथ लेने से न केवल सत्ता विरोधी वोटों को बिखरने से रोका जा सकता है बल्कि एनडीए की ताकत भी बढ़ाई जा सकेगी. हालांकि एनडीए के विस्तार से पहले उसे एआईएडीएमके को तैयार करना होगा जो फिलहाल एक कठिन काम दिख रहा है. बीजेपी आलाकमान को लगता है चुनाव से पहले एआईएडीएमके चुनावी केमेस्ट्री को समझते हुए पुराने दर्द को भुलाकर नए समीकरणों के हिसाब से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हो जाए.
(हिमांशु मिश्रा की रिपोर्ट)