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Tejas 2.0 Mega Project: तेजस-1 के बाद अब तेजस 2.0 मेगा प्रोजेक्ट की तैयारी, जानें इसमें क्या होगा खास

भारत वायुसेना में जल्द ही तेजस फाइटर जेट का एडवांस वर्जन शामिल होने वाला है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की बैठक में ये फैसला लिया गया है. ये नया जेट पहले वाले तेजस से ज्यादा शक्तिशाली होगा.

तेजस 2.0 मेगा प्रोजेक्ट तेजस 2.0 मेगा प्रोजेक्ट
हाइलाइट्स
  • 6,500 करोड़ रुपये की लागत में बनेगा

  • तेजस मार्क-1 के लगभग 30 जेट्स वायुसेना में शामिल

रक्षा क्षेत्र में भारत लगातार ताकतवर हो रहा है. अपने हल्के वेट के कारण चर्चा में रहने वाला तेजस लड़ाकू विमान की सफलता के बाद अब भारत सरकार ने तेजस के 2.0 मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है. इसके तहत के तेजस के और अधिक सक्षम और शक्तिशाली संस्करण को बनाया जाएगा. तेजस 2.0 मेगा प्रोजेक्ट के तहत 5वीं जनरेशन का फाइटर जेट बनाया जाएगा.

6,500 करोड़ रुपये की लागत में बनेगा
पीएम मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने तेजस मार्क -2 को प्रोटोटाइप, उड़ान परीक्षण और प्रमाणन के लिए 6,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित करने की परियोजना को मंजूरी दे दी गई है. इसके लिए पहले से भी 2,500 करोड़ रुपए स्वीकृत थे. सूत्रों की मानें 'सुपर क्रूज' क्षमताओं वाले इस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के निर्माण के लिए 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की सीसीएस मंजूरी को मिलने में अभी कुछ महीनों का समय लगेगा. 

क्या है इसकी खासियत?
तेजस मार्क-2 में लगा 98 किलोन्यूटन थ्रस्ट क्लास का शक्तिशाली GE-414 इंजन तेजस की लड़ाई करने की क्षमता को बढ़ाता है. यानी अब दुश्मन पर दो गुना प्रहार होगा. इसके अलावा तेजस मार्क -1 (GE-404 इंजन) की तुलना में ये ज्यादा हथियार ले जा सकता है. हालांकि तेजस मार्क-1 की तुलना में तेजस मार्क- 2 वजन थोड़ा ज्यादा होगा. तेजस मार्क-1 जहां 13.5 टन का है, वहीं मार्क-2 17.5 टन का है.

तेजस मार्क-1 भी है काफी एडवांस
तेजस मार्क-1 पहले से ही काफी ज्यादा एडवांस है. इस बात का पता इस चीज से चलता है कि भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों को तेजस मार्क-1 से बदलना चाहती थी. दरअसल तेजस-1 भार में काफी हल्का है. वायुसेना मिग -21, मिराज -2000, जगुआर और मिग -29 जैसे लड़ाकू विमानों के बदले तेजस मार्क-1 को लाना चाहती थी.

तेजस मार्क-1 के लगभग 30 जेट्स वायुसेना में शामिल
एक सूत्र ने कहा, "लाइटवेट तेजस मार्क-1 मुख्य रूप से वायु रक्षा के लिए है. मध्यम वजन का मार्क-2 तेजस, अपने भारी गतिरोध वाले हथियारों के साथ, दुश्मन के इलाके में जमकर धावा बोलेगा. IAF ने अब तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स से पहले ऑर्डर किए गए 123 तेजस जेट्स में से लगभग 30 को शामिल किया है. ये कॉन्ट्रैक्ट 46,898 करोड़ रुपये में हुआ था. 2024-2028 की समय सीमा में 10 प्रशिक्षकों की डिलीवरी के लिए फरवरी 2021 में डील हो चुकी है.

वायुसेना को चाहिए 42 जेट्स की जरूरत
तेजस मार्क -2 की बात करें तो डीआरडीओ और एयरोनॉटिक्स डेवलपमेंट एजेंसी दो से तीन वर्षों में अपनी पहली उड़ान का संचालन करना चाहती है, जिसका उत्पादन लगभग 2030 तक शुरू होगा. फिलहाल वायुसेना को अपने लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या को बढ़ाने के लिए तेजस जेट की सख्त जरूरत है, जो कि अभी 32 से कम है. जबकि चीन और पाकिस्तान से की लगातार आती धमकियों के लिए कम से कम 42 जेट्स की जरूरत होती है.