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लड़क‍ियों की शादी के ल‍िए न्यूनतम उम्र 18 की जगह 21 साल करने का प्रस्ताव मोदी कैब‍िनेट से मंजूर

Women Legal Marriage Age India: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को महिलाओं के लिए शादी की लीगल एज 18 से बढ़ाकर पुरुषों के समान 21 साल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है. यह फैसला दिसंबर 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स द्वारा नीति आयोग को सौंपी गई सिफारिशों के आधार पर लिया गया है.

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हाइलाइट्स
  • लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी

  • शादी के लिए लड़का और लड़की की उम्र होगी समान

  • टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद लिया गया फैसला

Women Marriage Age in India: भारत सरकार ने लड़कियों के स्वास्थ्य के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. साल 2020 के अपने स्वंतत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री ने शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र बढ़ाने की बात की थी और लगभग एक साल बाद उन्होंने ये कर दिखाया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को महिलाओं के लिए शादी की लीगल एज 18 से बढ़ाकर पुरुषों के समान 21 साल करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है.
 
शादी के लिए लड़का और लड़की की उम्र होगी समान

कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद, सरकार चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन एक्ट, 2006 में एक संशोधन करेगी और फिर स्पेशल मैरिज एक्ट और व्यक्तिगत कानूनों जैसे हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 में संशोधन लाएगी. इस फैसले के बाद भारत में लड़का-लड़की, दोनों के लिए ही शादी की मिनिमम एज बराबर हो जाएगी.

टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद लिया गया फैसला 

यह फैसला दिसंबर 2020 में जया जेटली की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स द्वारा नीति आयोग को सौंपी गई सिफारिशों के आधार पर लिया गया है, जिसका गठन “मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को कम करने की जरूरत और पोषण में सुधार से संबंधित मामलों की जांच के लिए किया गया था. समता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष जया ने बताया कि विशेषज्ञों, युवाओं और विशेष रूप से महिलाओं के साथ हुई डिटेल्ड बातचीत के बाद लिया गया है.

सेक्स एजुकेशन को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी हुई सिफारिश 

जून 2020 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस टास्क फोर्स का गठन किया था. इसमें नीति आयोग के डॉ वी के पॉल और डब्ल्यूसीडी, स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और लीगल डिपार्टमेंट  के सचिव भी शामिल थे. टास्क फोर्स ने सिफारिश की है कि इस फैसले के सोशल एक्सेप्टेंस के लिए एक बड़ा जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए. समिति ने आगे सिफारिश की है कि सेक्स एजुकेशन को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. पॉलिटेक्निक संस्थानों में महिलाओं की ट्रेनिंग, कौशल और बिजनेस ट्रेनिंग और आजीविका बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है.