
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए खौफनाक आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. 26 मासूमों की मौत और दर्जनों घायलों के बाद भारत ने चुप नहीं बैठा! ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसने दोनों देशों को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया. पाकिस्तान ने इसे “Open War” करार दिया, जबकि भारत ने इसे आतंकवाद के खिलाफ “आत्मरक्षा” (Self-Defense) बताया. नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी, सीजफायर उल्लंघन और दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी ने माहौल को और गर्म कर दिया है.
लेकिन रुकिए! क्या कोई देश ऐसे ही दूसरे देश पर हमला कर सकता है? क्या युद्ध के लिए कोई नियम-कानून हैं? क्या पहले किसी से “परमिशन” लेना पड़ता है?
क्या कोई देश बस ऐसे ही कर सकता है हमला?
सोचिए, अगर कोई देश अपने पड़ोसी पर अचानक मिसाइल दाग दे, तो क्या होगा? क्या वो बस अपनी मर्जी से ऐसा कर सकता है? जवाब है- नहीं! लेकिन असलियत इतनी सीधी नहीं. अंतरराष्ट्रीय कानून, सैन्य ताकत और राजनीतिक चालबाजियां इस सवाल को उलझा देती हैं. आइए, इसे समझते हैं.
देश की “इज्जत” का सवाल
हर देश की अपनी संप्रभुता होती है- यानी, उसे बिना किसी बाहरी दखल के अपने तरीके से चलने का हक है. संयुक्त राष्ट्र (UN) चार्टर का अनुच्छेद 2(4) साफ कहता है कि कोई भी देश दूसरे की जमीन या आजादी पर हमला नहीं कर सकता.
कब मिलती है हमले की “छूट”?
UN चार्टर में कुछ खास हालात बताए गए हैं, जहां सैन्य कार्रवाई जायज हो सकती है:
आत्मरक्षा का हक: UN चार्टर का अनुच्छेद 51 कहता है कि अगर किसी देश पर सशस्त्र हमला हो, तो वो अपनी रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई कर सकता है. पहलगाम में 26 लोगों की जान लेने वाले हमले के बाद भारत ने यही रास्ता चुना. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने PoK में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को तबाह किया, इसे आत्मरक्षा बताया.
UN सुरक्षा परिषद की मंजूरी: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) दुनिया की शांति के लिए खतरे को खत्म करने के लिए हमले की इजाजत दे सकता है. मिसाल के तौर पर, 1991 में इराक ने कुवैत पर कब्जा किया, तो UNSC ने गठबंधन को इराक पर हमला करने की मंजूरी दी.
मानवीय संकट: अगर किसी देश में नरसंहार या भयानक अत्याचार हो रहे हों, तो दूसरे देश हस्तक्षेप कर सकते हैं. 1999 में नाटो ने यूगोस्लाविया पर बमबारी की, ताकि कोसोवो में नरसंहार रुक सके. लेकिन ये रास्ता विवादों से भरा है!
कानून अपनी जगह, लेकिन ताकतवर देश अक्सर नियम तोड़ते हैं. 2003 में अमेरिका ने बिना UNSC की मंजूरी के इराक पर हमला कर दिया, जिसे दुनिया ने गैरकानूनी ठहराया. 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, UN के नियमों की धज्जियां उड़ाईं.
UNSC- दुनिया का “सिक्योरिटी गार्ड”
सोचिए, अगर किसी देश को दूसरे देश पर हमला करना हो, तो क्या उसे किसी से इजाजत लेनी पड़ेगी? जवाब चौंकाने वाला है हां भी, और नहीं भी! आइए, इस पहेली को सुलझाते हैं.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) वो संस्था है, जो युद्ध या हमले की मंजूरी देती है. 15 सदस्यों (5 स्थायी: अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस) वाला ये निकाय वैश्विक शांति के लिए खतरे को खत्म करने के लिए कार्रवाई को हरी झंडी दिखा सकता है. लेकिन ट्विस्ट ये है- पांच स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर है. यानी, अगर रूस या चीन को आपकी कार्रवाई पसंद नहीं, तो वो रोक देंगे. मिसाल? सीरिया में रूस ने बार-बार हस्तक्षेप के प्रस्ताव वीटो किए.
जब देश लेते हैं “खुद का फैसला”
कई बार देश UNSC की मंजूरी बायपास कर देते हैं. 2001 में अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद अफगानिस्तान पर हमला किया, इसे आत्मरक्षा बताया.
कभी-कभी देश क्षेत्रीय संगठनों से समर्थन लेते हैं. 2011 में लीबिया में नाटो का हस्तक्षेप UNSC की मंजूरी पर आधारित था. भारत SCO और ब्रिक्स जैसे मंचों से सहयोग लेता है, लेकिन ये युद्ध की मंजूरी नहीं देते. कूटनीति भी जरूरी है- हमले से पहले बातचीत या मध्यस्थता की कोशिश होनी चाहिए.
युद्ध के नियम
क्या युद्ध में भी नियम होते हैं? जी हां! अंतरराष्ट्रीय कानून युद्ध को भी बांधता है. आइए, इन नियमों पर नजर डालते हैं.
1. जिनेवा संधियां (1949)
क्या है? इसके मुख्य नियम हैं, युद्धबंदियों (PoWs) के साथ इंसानी बर्ताव करना, घायल सैनिकों को चिकित्सा देना, नागरिकों, अस्पतालों और स्कूलों पर हमला न करना. उदाहरण: भारत और पाकिस्तान ने 1971 के युद्ध में इन नियमों का पालन किया, जब दोनों ने युद्धबंदियों को वापस किया.
2. हेग संधियां (1899, 1907)
ये युद्ध के तरीकों को नियंत्रित करती हैं. इसके मुख्य नियम हैं केमिकल या बायोलॉजिकल हथियारों का इस्तेमाल न करना. साथ ही, ऐसी रणनीति न अपनाना, जो अनावश्यक तबाही मचाए. उदाहरण: प्रथम विश्व युद्ध में केमिकल हथियारों के इस्तेमाल के बाद ये नियम सख्त हुए.
3. UN चार्टर
इसके मुख्य नियम बल प्रयोग सिर्फ आत्मरक्षा या UNSC की मंजूरी से हो, देशों की संप्रभुता का सम्मान हो.
4. परमाणु हथियारों पर नियम
परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय कानूनों से बंधा है, जैसे गैर-प्रसार संधि (NPT). इसका नियम कहता है कि परमाणु हमला सिर्फ आखिरी उपाय के तौर पर, वो भी अगर देश का वजूद खतरे में हो.