IPC and CrPC
IPC and CrPC 160 साल पुराने अंग्रेजों के बनाए हुए कानून को खत्म किया जाएगा. 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों के बनाए हुए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब पुराने तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. IPC, CrPC व एविडेंस एक्ट की जगह तीन नए कानून लाए जाएंगे.
इतना ही नहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में राजद्रोह कानून को खत्म करने का भी ऐलान किया है. उन्होंने कहा, 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. लेकिन अब इन सभी पुराने कानूनों को बदला जाएगा. इन तीनों के ड्राफ्ट बिल लोकसभा में पेश किए जा चुके हैं.
IPC, CrPC व एविडेंस एक्ट में बदलाव
बताते चलें, केंद्र सरकार 1860 के भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023 लाने जा रही है. इसके अलावा, 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC ) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 लाने जा रही है और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act ) को बदलकर भारतीय साक्ष्य, 2023 लाने वाली है.
इन कानूनों का मकसद किसी को सजा देना नहीं बल्कि लोगों को न्याय देना होगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "18 राज्यों, 6 केंद्रशासित प्रदेश, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सांसद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं. चार साल तक इसपर काफी चर्चा हुई है. हमने इसपर 158 बैठकें की हैं."
160 साल पुराने कानून होंगे खत्म
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा. इस विधेयक के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि सजा का अनुपात 90% से ऊपर ले जाना है. इसीलिए, हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लाए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा.”
इस ड्राफ्ट में क्या कुछ कहा गया है?
FIR से जजमेंट तक सब प्रक्रिया ऑनलाइन होगी.
2027 तक सभी कोर्ट को डिजिटाइज किया जाएगा
जीरो एफआईआर कहीं से भी रजिस्टर की जा सकेगी.
अगर किसी को भी गिरफ्तार किया जाता है तो उसके परिवार को तुरंत सूचित कर दिया जाएगा.
180 दिन के जांच समाप्त कर ट्रायल के लिए भेजना होगा.
गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
533 धारा बचेगी, 133 नए धारा, 9 धारा को बदल दिया गया, 9 धारा को हटा दिया गया हैं IPC में
475 गुलामी की निशानियों को समाप्त किया गया.
इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन साक्ष्य, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी.
अदालत के कार्यवाही को टेक्नोलॉजी के जरिए होगी, पूरा ट्रायल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो पाएगा.
नेशनल फोरेंसिक टेक्नोलॉजी और अन्य विद्वानों को इसमें इन्वॉल्व किया गया है.
सर्च और जब्ती में वीडियो ग्राफी जरूरी होगा...इसी के जरिए पुलिस दोष सिद्ध करेगी.
7 साल से अधिक की सजा वाले केस में फोरेंसिक रिपोर्ट आवश्यक होगा.
लोअर, जिला, राज्य स्तर के हर कोर्ट को 2027 से पहले कंप्यूटराइज्ड कर दिया जाएगा
दिल्ली में हर जगह 7 साल से अधिक सजा वाले केस में फॉरेंसिक की टीम को अनिवार्य कर दिया गया है.
यौन हिंसा में पीड़िता का बयान जरूरी होगा. इसके अलावा, पीड़ित को सुने बगैर कोई केस वापस नहीं लिया जा सकेगा.
गैंगरेप के लिए अधिकतम 20 साल की कैद होगी. और नाबालिग से रेप पर अधिकतम मृत्युदंड दिया जाएगा.
पीट-पीट कर हत्या पर अधिकतम फांसी की सजा.
गलत पहचान प्रकट कर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी रखा गया है.
मॉब लिंचिंग के लिए 7 साल की जेल होगी.
दाऊद इब्राहिम जैसे भगोड़ा अपराधी की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और सजा का भी दी जाएगी.
राजद्रोह को खत्म और संगठित अपराध और टेररिज्म पर नकेल कसी जाएगी.