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Exclusive: घर-घर से पुराने सामान इकट्ठा कर भाई-बहन की जोड़ी कर रही जरूरतमंदों का घर रोशन, अब तक 12.5 लाख लोगों की मदद

कोरोना महामारी से प्रभावित परिवारों तक मदद पहुंचाने के उद्देश्य से 'दानपात्र' के 5 हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स ने 1 ही दिन में 2.5 लाख जरूरतमंद परिवारों तक कपड़े, राशन, खिलौने, किताबें ,जूते और घर का दूसरा सामान पहुंचाया था. इसके लिए 'दानपात्र' का नाम ‘एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया. इससे पहले भी संस्था के हजारों वॉलंटियर्स ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 1 ही दिन में 1.5 लाख जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचाया था. वहीं, हाल ही में टीम ने 16 जनवरी को ठंड से परेशान लगभग 1 लाख जरूरतमंद परिवारों तक कपड़े, राशन और दूसरे जरूरत का सामान पहुंचाया.

भाई बहन की ये जोड़ी कर रही है जरूरतमंदों के घर रोशन भाई बहन की ये जोड़ी कर रही है जरूरतमंदों के घर रोशन
हाइलाइट्स
  • लॉकडाउन में की हजारों लोगों की मदद, वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम

  • पूरे देश में फैलाना चाहते हैं 'दानपात्र' का कांसेप्ट

हम अक्सर सोचते हैं कि आखिर हमारे घरों से निकला, बचा हुआ सामान, या जो सामान हम इस्तेमाल नहीं करते हैं उसका हम क्या करें? घर में भीड़ न हो, इसलिए ज्यादातर लोग उसे फेंकने का विकल्प चुनते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका यही खराब सामान रिसाइकिल होकर जरूरतमंद लोगों के जीवन में खुशियां भर सकता है. आप इसे दान भी कर सकते हैं.

यश गुप्ता 19 साल के हैं. उन्होंने और उनकी बहन आकांशा ने मिलकर एक एप ‘दानपात्र’ शुरू किया है. गरीब और असहाय लोगों की मदद के लिए 2018 में इसकी शुरुआत की गई. आज ये साढ़े 12 लाख से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों का सहारा बन चुका है. इंदौर का ये स्टार्टअप ‘दानपात्र’ घर के पुराने सामान को उपयोग लायक बनाकर, युवाओं की मदद से जरूरतमंदों तक पहुंचाता है. इतना ही नहीं लाखों बेसहारा परिवारों तक मदद पहुंचाने के लिए इसे "वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड"  सर्टिफिकेट ऑफ कमिटमेंट से भी सम्मानित किया जा चुका है. 

दानपात्र किस तरह काम करता है इसे लेकर GNT डिजिटल ने इसके को-फाउंडर यश गुप्ता से बात की. पढ़ते हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश:-  

कुछ ऐसे हुई दानपात्र की शुरुआत…. 

इसके शुरू करने के पीछे के आईडिया के बारे में यश ने बताया, “एक शादी में डेढ़ से 2 हजार लोगों का खाना बच गया था. हम लोगों ने सोचा कि हम ये खाना उन लोगों तक पहुंचाएं, जो जरूरतमंद हैं. उस दौरान हमें लगा कि इंदौर में ऐसी कई शादियां होती हैं, जहां न जाने कितना खाना वेस्ट होता है. हमने इसके लिए इस एप को बनाने का सोचा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की जा सके.”

 2018 में इसकी शुरुआत की गई
2018 में इसकी शुरुआत की गई

यश कहते हैं कि इंसान की जरूरत केवल खाना ही नहीं होता है. उसकी बेसिक जरुरत में कई सारी चीज़ें आती हैं. इसके लिए  एप्लिकेशन में और भी बहुत चीज़ें एड की गईं. वे कहते हैं, “हम जरूरतमंदों के पास जाते हैं और लिस्ट बनाते हैं. वॉलंटियर घर-घर जाते हैं और ये सामान पहुंचाते हैं. आज मदद तो सब करना चाहते हैं लेकिन किसी के पास प्लेटफार्म नहीं है. लोग ये नहीं समझ पाते हैं कि कौन सा प्लेटफार्म विश्वास लायक है और किसे हमें सामान देना चाहिये कि वो सही लोगों तक पहुंचे. बस इसी के लिए इसे शुरू किया गया है.”

वालंटियर घर-घर जाकर सामान पहुंचाते हैं
वालंटियर घर-घर जाकर सामान पहुंचाते हैं

एक 7 साल के बच्चे से मिली प्रेरणा
 
यश ने GNT से एक वाकया शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे 7 साल के बच्चे से उन्हें प्रेरणा मिली. यश कहते हैं, “लोगों को कितनी चीजों की जरूरत है और हमारे पास कितना है, लेकिन उसमें भी हम संतुष्ट नहीं होते हैं.  एक 7 साल का बच्चा था, उसके साथ उसकी दादी और तीन भाई-बहन रहते थे. जब उस बच्चे से मैंने पूछा कि आप यहां कैसे रहते हो? तो उसने बताया कि मैं एक गैराज में काम करता हूं, जहां 1 हफ्ते में 70 रुपये कमाता हूं. वो बच्चा उन 70 रुपये से दाल, चावल , खाने का राशन लाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता है. मैंने सोचा कि इतनी सी उम्र में वो बच्चा कितना कुछ कर रहा है.”

कोरोना में थे सभी लोग परेशान
कोरोना में थे सभी लोग परेशान

यश आगे कहते हैं, “उसे देखकर लगा कि देश में ऐसे कितने लाखों बच्चे हैं जिनका घर नहीं है, जिनके पास कोई सुविधाएं नहीं हैं, फिर भी वो लोग खुश रहते हैं, मेहनत करते हैं. आजकल लोगों को अपना गम सबसे ज्यादा लगता है, लेकिन अगर हम इन लोगों को देखेंगे तो हमें इनसे हौसला मिलेगा कि ये लोग इतनी कम सुविधाओं में भी खुश रहते हैं, मेहनत करते हैं और जिंदगी से हिम्मत नहीं हारते हैं. शुरुआत में मम्मी-पापा ने समझाया कि इसमें कुछ नहीं होगा, लेकिन हम इसमें आगे बढ़ते गए. आज हमारे घर वाले हमें देखकर खुश होते हैं."

लॉकडाउन में की हजारों लोगों की मदद, वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम 

दिवाली के मौके पर और कोरोना महामारी से प्रभावित परिवारों तक मदद पहुंचाने के उद्देश्य से 'दानपात्र' के 5 हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स ने 1 ही दिन में 2.5 लाख जरूरतमंद परिवारों तक कपड़े, राशन, खिलौने, किताबें ,जूते और घर का दूसरा सामान पहुंचाया था. इसके लिए दानपात्र का नाम ‘एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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इससे पहले भी संस्था के हजारों वॉलंटियर्स ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 1 ही दिन में 1.5 लाख जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचाया था. वहीं, हाल ही में टीम ने 16 जनवरी को ठंड से परेशान लगभग 1 लाख जरूरतमंद परिवारों तक कपड़े, राशन और दूसरे जरूरत का सामान भी पहुंचाया.

यश कहते हैं, “कोरोना में सभी लोग परेशान थे. कोरोना काल में हमने 50 हजार से ज्यादा लोगों तक राशन पहुंचाया था. दिवाली खुशियों का त्योहार होता है. दिवाली के उपलक्ष्य में हमने 'क्यों न हर घर को रोशन किया जाए' करके एक मिशन रखा था, जिसमें हमारा लक्ष्य हर बच्चा दिवाली मनाएं. हमने जूते, कपड़े, समान सब पहुंचाकर 2 लाख 51 हजार लोगों तक मदद पहुंचाई.”

हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचाई जा सके
हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचाई जा सके

पूरे देश में फैलाना चाहते हैं दानपात्र का कांसेप्ट

यश चाहते हैं कि दानपात्र को पूरे देश में फैलाया जाए ताकि हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचाई जा सके. वो कहते हैं, “कुछ अच्छा करते हैं तो भगवान भी साथ देते हैं. हम लोगों की दुआओं से और आशीर्वाद से आज सभी लोगों की मदद कर पा रहे हैं. हम चाहते हैं कि 'दानपात्र' को पूरे देश में फैलाया जाए ताकि सभी लोगों को मदद मिल सके. हालांकि इसमें काफी चैलेंज है, लेकिन सभी जुड़ते गए तो इसे पूरे भारत में चलाने की प्लानिंग है.”

यश का मानना है कि हो सकता है आपके मदद करने से दुनिया ना बदले, लेकिन आपकी इसी मदद से उस एक इंसान की पूरी दुनिया बदल सकती है.