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CSIR ने कर्मचारियों से Monday के दिन की बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनने की अपील...जानिए क्या है इसका कारण

CSIR ने रिंकल अच्छे हैं कैंपेन शुरु किया है,जिसमें लोगों को मंडे के दिन बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनने को कहा गया.इस कैंपेन पर सीएसआईआर ऑफिशियल्स ने कहा कि यह पहल एनर्जी सेव करने के लिए की गई है.

Wrinkles acche hai (Photo: Getty) Wrinkles acche hai (Photo: Getty)

हम सभी ने कॉर्पोरेट स्पेस में कैजुअल फ्राइडे के बारे में सुना है. अब, एक नया टर्म भारत में पेश किया गया है wrinkled Monday. भारत के प्रमुख अनुसंधान संगठन, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के कर्मचारियों को सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को wrinkled clothes (मतलब सिलवट पड़े हुए कपड़े) पहनने के लिए कहा गया है.

यह पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए किया गया है. 'रिंकल्स अच्छे हैं' (डब्ल्यूएएच) नामक पहल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक प्रतीकात्मक लड़ाई के रूप में शुरू की गई है.

सीएसआईआर के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि एक ऐसी पहल शुरू की गई है जहां कर्मचारियों को बिना इस्त्री किए कपड़े (non-ironed clothes) पहनने और ऊर्जा बचाने में योगदान देने के लिए कहा गया है.

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कब तक चलेगा अभियान?
नए अभियान को स्वच्छता पखवाड़ा के हिस्से के रूप में 1-15 मई तक के लिए शुरू किया गया है. इस बीच, ऊर्जा संरक्षण के अपने व्यापक प्रयास के हिस्से के रूप में, CSIR देशभर में सभी लैबोरेट्रीज में बिजली की खपत को कम करने के मकसद से स्पेसफिक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रक्रिया की स्थापना कर रहा है.

इस पहल का शुरुआती मकसद कार्यस्थल पर बिजली के खर्च को 10 प्रतिशत तक कम करना है. ये एसओपी जून-अगस्त 2024 की परीक्षण अवधि के दौरान कार्यान्वयन के लिए निर्धारित हैं.

क्या है CSIR?
विविध वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में अपने अग्रणी अनुसंधान और विकास के लिए प्रसिद्ध सीएसआईआर, भारत का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थान है. 37 नेशनल लैबोरेट्रीज वाले एक विशाल नेटवर्क का दावा करते हुए, यह 4162 तकनीकी और सहायक कर्मचारियों के साथ 3521 सक्रिय वैज्ञानिकों का समर्थन करता है.

सीएसआईआर समुद्र विज्ञान, भूभौतिकी और फार्मास्यूटिकल्स (geophysics, and pharmaceuticals) से लेकर जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी में अनुसंधान की अनदेखी करता है. इसके व्यापक पोर्टफोलियो में खनन, एरोनॉटिक्स, पर्यावरण इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

अधिकारियों ने कहा कि नई पहल लोगों को जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करने और इसके खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सबसे छोटी चीजें कैसे योगदान दे सकती है, इसके बारे में जागरुक करेगी.