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चुनावी राज्यों में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए खास तकनीक के इस्तेमाल की तैयारी

उत्तर प्रदेश समेत देश के 5 राज्यों में चुनाव होने हैं. छोटे-बड़े दलों के बीच जुबानी जंग जारी है, लेकिन चुनावी रैलियों पर फुल स्टॉप है, सिर्फ इंडोर मीटिंग की इजाजत है, जिसे सुरक्षा तंत्र देने दिशा में CSIR (Council Of Scientific And Industrial Research) ने अहम भूमिका निभाई है. रेलवे के कोच और एसी बसों में यह तकनीक बेहद कारगर है.

चुनाव के दौरान लोगों को कोरोना  से बचाने के लिए CSIR ने बनाया ये खास सिस्टम चुनाव के दौरान लोगों को कोरोना से बचाने के लिए CSIR ने बनाया ये खास सिस्टम
हाइलाइट्स
  • रेलवे के लिए भी काफी कारगार साबित हो चुकी है ये तकनीक

  • देश की संसद को फुलप्रूफ किया गया है इस तकनीक से

देश में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर चल रही है. कोरोना वायरस को मात देने के ल‍िए तमाम उपाय क‍िए जा रहे हैं. अब तकनीक के सहारे वायरस को मात देने की तैयारी है. CSIR यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (Council Of Scientific And Industrial Research) ने एक ऐसा हथियार बनाया है, जिसके जरिए कोरोना की कमर तोड़ी जा सकती है.

देश के पांच राज्यों में व‍िधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही है. चुनावी रैलियों पर पाबंदी लगी है. ऑडिटोरियम, बड़े हॉल में छोटी सभाएं की जा सकती हैं, लेकिन एहतियात जरूरी है, जिसे ध्यान में रखते हुए एक ऐसी मशीन तैयार की गई है, जिसकी रोशनी में कोरोना का सफाया पक्का है. भारतीय रेलवे के लिए भी ये तकनीक काफी कारगार साबित हो चुकी है. एसी बसों में भी यह तकनीक बेहद कारगर है.

UV यानि अल्ट्रा वॉयलेट, कोरोना (SARS-COV-2) का नाश करने वाली सुपर मशीन, ऐसी मशीन जो कोरोना का मिनटों में कमर तोड़ देगी. मिनटों में उसका सफाया कर देगी, लेकिन ये काम कैसे करेगी, पहले इसे समझते हैं...

ऐसे काम करेगी टेक्नोलॉजी
यूवी-सी (Ultraviolet-C) यानी UV-C टेक्नोलॉजी आडिटोरियम या फिर हॉल से अलग एक दूसरे कमरे में फिट किया जाता है. इस तकनीक में AC के साथ एक ऐसा अल्ट्रा वॉयलेट स्कैनर लगाया गया है जिसमें AC से गुजरने वाली हवा इसमें स्कैन होकर निकलती है. इस हवा में अगर कोरोना वायरस होगा तो वो तुरंत नष्ट हो जाएगा. इस तकनीक से लैस आडिटोरियम या हॉल में संक्रमित व्यक्ति अगर कोई पहुंच भी जाता है तो उससे संक्रमण नहीं फैलता.

मिली सेंकड में वायरस को मारती है ये तकनीक
ये तकनीक मिली सेकंड से कम समय में वायरस को मार देता है.  इस तकनीक में एयरफ्लो के लिए हॉट-वायर एनीमोमीटर का इस्तेमाल किया गया है. वायरस पर यूवी-सी के असर का अध्ययन करने के लिए सीएसआईआर, आईएमटेक में लाइव वायरस और यूवी-सी विकिरण के साथ कई एक्सपेरिमेंट किया जिसमें पता चला कि यूवी-सी विकिरण 99 फीसदी तक वायरस को  मारने में कामयाब है. 

यूवी टेक्नोलॉजी की ताकत
यूवी टेक्नोलॉजी बायो सेफ्टी मानकों के तहत तैयार की गई है. यह तकनीक कोरोना के हवा में फैलने से पहले ही इसके असर को कम कर देती है. UV-C बैक्टीर‍िया, वायरस, फंगस के अलावा अन्य बायो प्रदूषण पर भी असर करता है. यह तकनीक क्लासरूम, मॉल्स या कॉन्फ्रेंस रूम या या अन्य बंद जगहों पर भी इस्तेमाल करके कोरोना से सुरक्ष‍ित रहा जा सकता है. 

इस तकनीक से देश की संसद को फुलप्रूफ किया गया है, जिसके नतीजे शानदार रहे हैं. अब बारी चुनाव आयोग के रिस्पॉन्स की है. पांच राज्यों में अगर इसके इस्तेमाल की इजाजत मिलती है, तो कोविड संक्रमण को कंट्रोल करने में काफी मदद मिलेगी. आयोग ने चुनाव वाले राज्यों में 300 लोगों की इंडोर मीटिंग की अनुमति दी है. बंद हॉल या आडिटोरियम में चुनावी बैठकों में ये सिस्टम संक्रमण से बचाने मददगार होगा. इस तरह इस तकनीक से चुनावी जनसभाओं को भी पूरी तरह से सुरक्षित किया जा सकेगा. यह तकनीक कोरोना काल के बाद भी प्रासंगिक रहेगी.