scorecardresearch

'आपने देखा है पॉर्न, आपकी होगी गिरफ्तारी', मार्केट में आया साइबर ठगी का नया ट्रेंड.. जानें कैसे बचें इससे?

ठग खुद को “साइबर पुलिस अधिकारी” बताकर लोगों को डर और शर्म के जाल में फंसा रहे हैं. ये ठग लोगों पर अश्लील या पॉर्न वेबसाइट देखने का आरोप लगाकर उनसे भारी रकम वसूल रहे हैं.

ऑनलाइन फ्रॉड के तरीक़े दिन-ब-दिन बदलते जा रहे हैं. अब एक नया साइबर घोटाला सामने आया है, जिसमें ठग खुद को “साइबर पुलिस अधिकारी” बताकर लोगों को डर और शर्म के जाल में फंसा रहे हैं. ये ठग लोगों पर अश्लील या पॉर्न वेबसाइट देखने का आरोप लगाकर उनसे भारी रकम वसूल रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, दिल्ली के एक युवक को अचानक एक वॉट्सऐप कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को “साइबर पुलिस” का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि उन्होंने “चाइल्ड पॉर्नोग्राफी” देखी है. डराने के लिए कहा गया कि उसका “ब्राउज़िंग डेटा” ट्रैक किया गया है और उस पर केस दर्ज है. युवक को बताया गया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो गिरफ्तारी हो सकती है. धीरे-धीरे बातचीत के दौरान युवक से 1 लाख रुपये से ज़्यादा ठग लिए गए और ठगों ने उससे एक बैंक खाता तक खुलवा लिया जो उनके नंबर से जुड़ा हुआ था.

फर्जी नोटिस और असली डर
कई लोगों ने बताया कि उन्हें वॉट्सऐप पर नकली “लीगल नोटिस” भेजे गए जिनमें सरकारी लोगो और मुहरें लगी थीं. इससे मामला असली लगने लगा. साइबर क्राइम विश्लेषक अजय सिंह ने बताया कि आम तौर पर स्कैम की शुरुआत अचानक आने वाले कॉल या मैसेज से होती है, जिसमें ठग खुद को किसी ‘साइबर पुलिस स्टेशन’ का अधिकारी बताते हैं. कई बार उन्हें पीड़ित का नाम, माता-पिता के नाम जैसी निजी जानकारी भी होती है जिससे कॉल असली लगती है. ठग आरोप लगाते हैं कि आपकी इंटरनेट हिस्ट्री में बार-बार एडल्ट साइट विजिट की गई है, और फिर गिरफ्तारी से बचने के लिए फाइन या एनओसी के नाम पर पैसे मांगते हैं.

साइबर पुलिस नहीं भेजती वॉट्सऐप नोटिस
अजय सिंह के मुताबिक, भारत में कोई भी साइबर पुलिस विभाग वॉट्सऐप के ज़रिए नोटिस नहीं भेजता और न ही पैसे मांगता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर किसी के खिलाफ वास्तविक साइबर अपराध का मामला होता है, तो नोटिस डाक के ज़रिए भेजा जाता है और कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है.

अगर ऐसा कॉल आए तो क्या करें

  • तुरंत कॉल काटें और नंबर ब्लॉक करें
  • कोई पैसा, ओटीपी या दस्तावेज़ साझा न करें
  • सबूत सुरक्षित रखें जैसे कॉल लॉग, चैट, स्क्रीनशॉट, फर्जी नोटिस
  • शिकायत दर्ज करें cybercrime.gov.in पर या हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें
  • संदिग्ध नंबर Sanchar Saathi पोर्टल पर रिपोर्ट करें
  • अजय सिंह ने बताया कि Sanchar Saathi पोर्टल पर कोई भी नागरिक संदिग्ध कॉल, एसएमएस या वॉट्सऐप मैसेज की शिकायत कर सकता है ताकि फर्जी नंबरों की जांच हो सके.

सबूत कैसे बचाएं
पीड़ितों को चाहिए कि बिना ठगों को बताए, कॉल रिकॉर्ड, चैट, स्क्रीनशॉट और ऑडियो सेव कर लें. साइबर विशेषज्ञ अक्षत खेतान के अनुसार वॉट्सऐप चैट को एक्सपोर्ट करें और सभी साक्ष्य के साथ शिकायत दर्ज करें. वे बताते हैं कि ठग अक्सर नकली NCRB या Cyber Cell लोगो लगाकर डराने की कोशिश करते हैं.

क्या एडल्ट कंटेंट देखना अपराध है?
खेतान ने स्पष्ट किया कि भारत में निजी तौर पर एडल्ट कंटेंट देखना अपराध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यदि कोई वयस्क निजी रूप से ऐसा कंटेंट देखता है, तो उसे दंडित नहीं किया जा सकता. हालांकि, बनाना, साझा करना या नाबालिगों से जुड़ा अश्लील कंटेंट रखना अपराध है, जो IT Act 2000 की धारा 67B और IPC के तहत दंडनीय है.

असली पुलिस नोटिस की पहचान कैसे करें
अक्षत खेतान कहते हैं कि अगर कोई नोटिस मिले, तो उसमें केस नंबर, तारीख, हस्ताक्षर, और वैध लेटरहेड होना चाहिए. असली नोटिस में अक्सर QR कोड या वेरिफिकेशन लिंक भी होता है.वे सलाह देते हैं कि हमेशा सरकारी वेबसाइट से ही सत्यापन करें, किसी भेजे गए नंबर पर दोबारा संपर्क न करें.

अजय सिंह का कहना है कि डर और जानकारी की कमी ही ठगों का सबसे बड़ा हथियार है. अगर लोग जागरूक रहें और तुरंत रिपोर्ट करें, तो इन अपराधों को रोका जा सकता है. उन्होंने सरकार और टेलीकॉम कंपनियों से आग्रह किया कि संदिग्ध सिम कार्ड और बैंक खातों को तुरंत ब्लॉक किया जाए. पीड़ितों को डरना नहीं चाहिए. शिकायत करना ही पहला कदम है. चुप्पी ठगों को ताकत देती है.