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कागज़ी फॉर्म का झंझट खत्म! दिल्ली एयरपोर्ट पर डिजिटल E-Arrival कार्ड लॉन्च, यात्रियों को मिलेगी फास्ट इमिग्रेशन सर्विस

अब यात्रियों को पुराने कागज़ी डिसएम्बार्केशन कार्ड भरने की ज़रूरत नहीं होगी. यह कदम न केवल यात्रियों का समय बचाएगा बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.

Delhi Airport to launch E-Arrival Card facility for foreign travelers starting Oct 1 Delhi Airport to launch E-Arrival Card facility for foreign travelers starting Oct 1

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर अब विदेशी यात्रियों के लिए आगमन की प्रक्रिया और आसान होने जा रही है. आज से यहां E-Arrival Card सर्विस शुरू कर दी गई है. अब यात्रियों को पुराने कागज़ी डिसएम्बार्केशन कार्ड भरने की ज़रूरत नहीं होगी. यह कदम न केवल यात्रियों का समय बचाएगा बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा.

कैसे करेगा काम E-Arrival कार्ड?
यात्री अपनी आगमन संबंधी जानकारी ऑनलाइन भर सकेंगे. 

इसके लिए वे इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर सकते हैं:

  • ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन की वेबसाइट
  • इंडियन वीज़ा वेबसाइट
  • “सु-स्वागतम्” मोबाइल ऐप
  • दिल्ली एयरपोर्ट की वेबसाइट

यात्री यह फॉर्म आगमन से तीन दिन पहले तक भर सकते हैं. इससे एयरपोर्ट पर पहुंचने पर इमिग्रेशन की प्रक्रिया तेज़ और आसान होगी.

यात्रियों को क्या फायदा होंगे?

  • तेज़ इमिग्रेशन प्रक्रिया- कागज़ी फॉर्म भरने की झंझट खत्म होगी और इमिग्रेशन काउंटर पर लंबी कतारों में इंतज़ार का समय घटेगा.
  • बेहतर दक्षता- ऑनलाइन डाटा कलेक्शन से अधिकारियों को यात्रियों की जानकारी तेजी से मिलेगी, जिससे प्रोसेसिंग तेज़ और आसान होगी.
  • पर्यावरण के अनुकूल- कागज़ के फॉर्म पर निर्भरता घटेगी, जिससे ग्रीन ऑपरेशन को बढ़ावा मिलेगा और यह कदम सतत विकास (sustainability) की दिशा में अहम साबित होगा.

जून 2024 में दिल्ली एयरपोर्ट ने भारत का पहला फास्ट ट्रैक इमिग्रेशन – ट्रस्टेड ट्रैवलर प्रोग्राम (FTI-TTP) शुरू किया था, जिससे भारतीय नागरिकों और OCI कार्डधारकों को तेज़ और सुरक्षित इमिग्रेशन सुविधा मिली. अब E-Arrival कार्ड के साथ, सरकार यात्रियों को और अधिक तेज़, सुगम और बिना झंझट वाली यात्रा का अनुभव देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.

इस तरह की ई-आगमन सुविधा पहले से ही कई देशों में लागू है, जैसे थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और मलेशिया.

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