
दिल्ली के रहने वाले राजेश कुमार ने अपनी अनोखी कला से दुनिया का ध्यान खींचा है. अब तक उन्होंने 3,000 से अधिक गणेश जी की पेंटिंग्स बनाई हैं और सबसे खास बात यह है कि ये सभी पेंटिंग्स वेस्ट मटीरियल से तैयार की गई हैं.
उनकी बनाई पेंटिंग्स में ख़राब तार, पुराने अख़बार, पेड़ की छाल, पत्ते, टूटे हुए गले के हार, बिंदी, कंचे, गत्ता, शर्ट के बटन जैसे सैकड़ों प्रकार के वेस्ट आइटम्स का इस्तेमाल किया गया है. राजेश अब तक 300 से अधिक प्रकार की वेस्ट सामग्री से पेंटिंग्स बना चुके हैं.
कोविड के दौरान आया बदलाव
राजेश बताते हैं कि शुरुआत में वे सामान्य सामग्री से पेंटिंग बनाते थे, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बाजार बंद हो गए और सामान मिलना मुश्किल हो गया. तभी उन्होंने घर के वेस्ट आइटम्स से पेंटिंग्स बनाने की शुरुआत की.
यहीं से उनकी कला को नई पहचान मिली. राजेश का कहना है कि उन्होंने हमेशा कोशिश की कि हर पेंटिंग में कुछ नया हो, ताकि वेस्ट मटीरियल को एक नई ज़िंदगी दी जा सके.
खास पेंटिंग्स और अनोखा अंदाज़
राजेश की कई पेंटिंग्स अपने आप में अद्वितीय हैं.
पेंटिंग्स की नहीं करते बिक्री
दिलचस्प बात यह है कि राजेश कुमार ने अपनी कोई भी पेंटिंग अब तक बेची नहीं है. उनके मुताबिक, यह सिर्फ कला नहीं बल्कि संदेश देने का माध्यम है. राजेश चाहते हैं कि लोग वेस्ट मटीरियल के पुनः उपयोग (Recycle & Reuse) के महत्व को समझें और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें.
विदेशों में फैला रहे भारतीय संस्कृति का संदेश
राजेश कुमार न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी कला का जादू बिखेर रहे हैं. हाल ही में वे श्रीलंका, दुबई और मलेशिया के दौरे पर गए, जहां उन्होंने बच्चों को सिखाया कि “कोई भी चीज़ वेस्ट नहीं होती”. साथ ही, वे भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की गहराई से भी उन्हें परिचित कराते हैं.
गणेश जी: केवल कला नहीं, आस्था का प्रतीक
राजेश बताते हैं कि दुनिया के कई देशों में लोग उनकी पेंटिंग्स को केवल “इंडियन आर्ट फ़ॉर्म” मानते हैं. बहुतों को यह पता नहीं कि ये भगवान गणेश जी की पेंटिंग्स हैं. इसलिए, उनकी कोशिश है कि कला के साथ-साथ लोग भारतीय आस्था और परंपरा को भी समझें.
राजेश कुमार का मानना है कि अगर वेस्ट मटीरियल का सही उपयोग किया जाए तो न केवल कला को नया आयाम दिया जा सकता है, बल्कि ईश्वर की बनाई इस दुनिया को और भी खूबसूरत बनाया जा सकता है.
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