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पत्नी के तबादले के लिए लड़ रहे लड़ाई, गुहार के लिए दिव्यांग पति पहुंचा 650 किमी दूर.. जानें दंपति की 'संघर्ष यात्रा'

दिव्यांग पत्नी के ट्रांसफर की गुहार लेकर 650 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा स्कूटी पर तय कर जयपुर पहुंचा है. यह एक पति का अटूट प्रेम है, जो सरकारी नियमों से लड़ रहा है, अपनी पत्नी के लिए और अपनी बच्ची के लिए.

प्यार संघर्ष और उम्मीद, इन तीन शब्दों को अगर किसी एक कहानी में समेटना हो तो राजस्थान का ये मामला आपके दिल को अंदर तक छू जाएगा. एक दिव्यांग पति, अपनी दिव्यांग पत्नी के ट्रांसफर की गुहार लेकर 650 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा स्कूटी पर तय कर जयपुर पहुंचा है. यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति का दर्द नहीं, बल्कि एक ऐसे पति का अटूट प्रेम है, जो सरकारी नियमों से लड़ रहा है, अपनी पत्नी के लिए और अपनी बच्ची के लिए.

अनु रंगा राजस्थान के जैसलमेर के रहने वाले हैं. वह दिव्यांग हैं और अपनी पत्नी के ट्रांस्फर के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. वो 24 अक्टूबर को अपनी चार-पहियों वाली स्कूटी पर बैठकर 650 किलोमीटर का लंबा सफर तय करते हुए जयपुर आ पहुंचे. पत्नी की पीड़ा और उनका संघर्ष अब दूरी से नहीं झेला जा रहा था. अनु की पत्नी बीना रंगा, जो खुद भी दिव्यांग हैं, 2019 से बांसवाड़ा के सेमलिया स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं. जैसलमेर और बांसवाड़ा दोनों के बीच की दूरी करीब 735 किलोमीटर. ऐसे में इतनी बड़ी दूरी और सिर्फ 13 महीने की दुधमुंही बच्ची ध्रुविका की ज़िम्मेदारी नौकरी पर बन आई है.

क्या कहना है अनु रंगा का?
अनु रंगा बताते है कि हम दोनों दिव्यांग हैं और 13 महीने की छोटी बच्ची भी है. नौकरी के साथ बच्ची को संभालना अकेले पत्नी के लिए मुश्किल हो रहा है. सरकार से बस इतना ही चाहते हैं कि मेरी पत्नी को घर के पास पोस्टिंग मिल जाए. इसको लेकर जयपुर पहुंचे हैं. अनु रंगा ने मुख्यमंत्री आवास के पास फुटपाथ पर डेरा डाल लिया. वह तीन सप्ताह से दिन-रात खुले आसमान के नीचे डेरा डाले हुए है. ऐसा नहीं है की मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हुई लेकिन कुछ नियम हैं, जो अड़चने पैदा कर रहें है लेकिन फिर भी अनुरंगा उस फैसले का इंतज़ार कर रहें है जो उनकी परिवार की मुश्किलें खत्म कर सकता है.

क्या हैं वो अड़चने?
दरअसल, टीएसपी एरिया से नॉन-टीएसपी इलाके में तबादलों के नियम अलग हैं. कांग्रेस सरकार में अनु की गुहार सुनी गई और आदेश जारी हुआ तो पत्नी जैसलमेर डेपुटेशन पर लग गईं, लेकिन नई सरकार आते ही आदेश रद्द कर दिए गए. फिलहाल सरकार ने ट्रांसफर पर रोक लगा रखी है और इस रुकावट ने अनु रंगा की जिंदगी को एक बार फिर राहों पर ला खड़ा किया. उनका भी कहना है "जब तक मेरी पत्नी का ट्रांसफर जैसलमेर नहीं होता, मैं यहां से नहीं जाऊंगा".

एक पति, एक पिता और एक संघर्षरत इंसान की ये कहानी सिर्फ एक ट्रांसफर का मामला नहीं है. ये सवाल है दूरी और मजबूरी के बीच झूलती उस ज़िंदगी का, जो सिर्फ एक सरकारी आदेश से बदल सकती है. प्यार के लिए, परिवार के लिए और एक दिव्यांग पति 650 किलोमीटर का सफर कर लेता है, लेकिन सिस्टम की दूरी अब भी बाकी है.

- विशाल शर्मा की रिपोर्ट