
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने देश का पहला माउंटेड गन सिस्टम तैयार किया है. अब फील्ड ट्रायल के बाद इस तोप को सेना में शामिल कर लिया जाएगा. इस तोप के आने से सरहदों की निगरानी और भी पुख्ता हो जाएगी. इस गन में कई ऐसी खूबियां हैं जो दुश्मन को हर मोर्चे पर परास्त कर सकती हैं.
माउंटेड गन सिस्टम की विशेषताएं
माउंटेन गन चंद सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार हो जाती है और इसमें दुश्मन पर ताबड़तोड़ वार के बाद फौरन लोकेशन बदलने की क्षमता है. युद्ध के मैदान में इस काबिलियत के दम पर दुश्मनों को हर मोर्चे पर परास्त किया जा सकता है और इस काम में इस माउंटेड गन सिस्टम को महारत हासिल है.
भारत में डीआरडीओ ने इस माउंटेड गन सिस्टम को तैयार करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. इसे डीआरडीओ के व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैबलिशमेंट यानी BRDI ने तैयार किया है. सारे ट्रायल पूरे हो जाने के बाद, अब बहुत जल्द ये गन सिस्टम भारतीय सेना में शामिल हो जाएगा.
जंग की दिशा बदल सकती है यह माउंटेन गन
माउंटेड गन सिस्टम ऐसी तकनीक है जो किसी भी जंग की दिशा को बदल सकती है. रूस और यूक्रेन के युद्ध में ऐसे माउंटेड गन सिस्टम ने अपनी क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन किया है. माउंटेड गन सिस्टम में एक भारी तोप लगी होती है. इसे हाई मोबिलिटी आर्म्ड ट्रैक पर फिट किया जाता है. इस एमजीएस में 155 एमएम की 52 की तोप लगी होती है.
इसकी मारक क्षमता 45 किलोमीटर है. यह सिर्फ 80 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार हो जाती है. एक मिनट में यह छह गोली दाग सकती है. एक गोले से यह 50 स्क्वेयर मीटर का इलाका ध्वस्त कर सकती है. फायरिंग के बाद सिर्फ 85 सेकंड में यह अपनी लोकेशन को बदल सकती है. यह गन सिस्टम 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है. इस माउंटेड गन सिस्टम का कुल वजन करीब 30 टन है.
ट्रक पर फिट होने के बाद इन तोपों को कहीं भी ले जाना बेहद आसान हो गया है. हाई मोबिलिटी की वजह से इन्हें बर्फीली चोटियों से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान में तैनात करना आसान हो गया है. यही नहीं, इस तोप को अब ट्रेन या वायु सेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से कहीं भी लाया जा सकता है. खास बात यह है कि इस गन सिस्टम का करीब 85 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी तकनीक से बनकर तैयार हुआ है.
स्वदेशी तकनीक और लागत
डीआरडीओ के इस माउंटेड गन सिस्टम की लागत भी विदेशों से मिलने वाली तोप के मुकाबले करीब आधी है. माउंटेड गन सिस्टम की तकनीक दुनिया के कुछ ही मुल्कों के पास है और अब भारत भी इस तकनीक में आत्मनिर्भर बन गया है. सूत्रों के मुताबिक सेना बहुत जल्द इस सिस्टम का फील्ड ट्रायल करने जा रही है, जिसके बाद इसे सरहद के पास वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा. इस गन सिस्टम के सेना में शामिल होने से सेना की ताकत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी और सरहद पर दुश्मन की साजिशों को नाकाम करने में यह मील का पत्थर साबित होगी.