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Vyomika Singh Success Story: बचपन में ही देखा पायलट बनने का सपना, मां से छिपकर हासिल की ट्रेनिंग... ऐसा रहा विंग कमांडर व्योमिका सिंह का सफर

Vyomika Singh Story: व्योमिका सिंंह के पिता बताते हैं कि एयर फोर्स ट्रेनिंग के लिए सेलेक्शन होने के बाद भी व्योमिका ने मां को यह बात बताने से मना किया था. उन्हें डर था कि अगर मां को पता चला तो वह उन्हें वायु सेना में जाने नहीं देंगी. लेकिन व्योमिका अब लक्ष्य पर अपनी आंखें बैठा चुकी थीं. 

विंग कमांडर व्योमिका सिंह के पिता आरएस निम और माता करुणा सिंह (सर्किल में विंग कमांडर व्योमिका सिंह). विंग कमांडर व्योमिका सिंह के पिता आरएस निम और माता करुणा सिंह (सर्किल में विंग कमांडर व्योमिका सिंह).

विंग कमांडर व्योमिका सिंह का नाम आज पूरे भारत वर्ष में गर्व का प्रतीक बन चुका है. छह मई की रात को ऑपरेशन सिंदूर में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह करने के बाद जब वायु सेना ने सात मई की सुबह व्योमिका सिंह को प्रेस कांफ्रेंस में भेजा तो उसमें कई संदेश छिपे थे. एक संदेश शायद यह था कि भारत की नारी शक्ति अब देश का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखती है. देखा जाए तो व्योमिका सिंह के जीवन की कहानी भी यही संदेश देती है. आइए डालते हैं उनके जीवन पर नज़र.

"बचपन से ही अलग थीं व्योमिका"
व्योमिका के माता-पिता जीएनटी टीवी के साथ खास बातचीत में बताते हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही अलग थीं. उनके पिता आरएस निम कहते हैं, "वह जब 10वीं क्लास में आई तब से उसके दिमाग में यही था कि उसे एयर फोर्स में जाना है. 12वीं के बाद उसका इंजीनियरिंग में दाखिला करवा दिया. उसने पढ़ाई करने के बाद चार या पांच महीने नौकरी की होगी, लेकिन मन बना लिया कि उसे एयर फोर्स में जाना है लेकिन डॅडी मम्मी से मत कहना मम्मी जाने नहीं देगी." 

निम बताते हैं कि एयर फोर्स ट्रेनिंग के लिए सेलेक्शन होने के बाद भी व्योमिका ने मां को यह बात बताने से मना किया था. उन्हें डर था कि अगर मां को पता चला तो वह उन्हें वायु सेना में जाने नहीं देंगी. लेकिन व्योमिका अब लक्ष्य पर अपनी आंखें बैठा चुकी थीं. 

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व्योमिका की मां करुणा सिंह बताती हैं, कहते हैं कि पूत के पांव पालना में दिखते हैं तो इसके जो आचार विचार हाव भाव और जो खेलकूद और जो शैतानी थी, उससे तो ये लगता था कि कुछ अलग है. यह नॉर्मल बच्चों से बिल्कुल अलग थी हर चीज़ में. स्कूल में भी पार्टिसिपेट करना, खेलकूद में भी करना, डिबेट में भी करना. स्कूल में वह जिस चीज़ में हिस्सा लेती थी, उसमें अव्वल आती थी. एक बार तो हम आईएनए मार्केट गए थे. वहां एक कॉम्पिटिशन चल रहा था तो उसमें उसने लड़कों को हराया था. 20,800 प्राइस मनी मिला. मैं समझ गई कि यह कुछ करेगी."

ऐसा रहा पायलट बनने का सफर
व्योमिका का अर्थ होता है 'वह जो आसमान में रहे' या 'आसमान की बेटी.' एक बार जब स्कूल में नामों को लेकर चर्चा हो रही थी तो किसी बच्चे ने कहा, "तुम्हारा नाम व्योमिका है, तुम आसमान में रहोगी." उसी दिन व्योमिका के मन में खयाल आया कि वह पायलट बनेंगी. दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बैचलर्स डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने हैदराबाद के डुंडिगल में मौजूद एयर फोर्स अकादमी से ट्रेनिंग ली और एयर फोर्स का हिस्सा बन गईं. 

पायलट बनने का सपना देखने वाली व्योमिका 2,500 से ज़्यादा घंटे आसमान में बिता चुकी हैं. विंग कमांडर व्योमिका ने देश के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई हेलीकॉप्टरों का संचालन किया है. इसमें जम्मू-कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से लेकर पूर्वोत्तर के दूरदराज के इलाके शामिल हैं. उन्होंने 2020 में अरुणाचल प्रदेश में बचाव अभियान का नेतृत्व किया था. इसमें उन्होंने मुश्किल हालात में उड़ान भरकर कई लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया था.

माता-पिता का गौरव व्योमिका
व्योमिका के माता-पिता कहते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है. विंग कमांडर व्योमिका की मां करुणा सिंह ने कहा, "व्योमिका अब हमारी बेटी नहीं, पूरे देश की बेटी है. हम सभी बेटियों को यही संदेश देना चाहते हैं कि लड़कियों और लड़कों में कोई अंतर नहीं है. जो आप करना चाहते हैं, उसे पूरा करने के लिए पूरी हिम्मत और कोशिश करें."

व्योमिका सिंह आज देश की बेटियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं. उनके संघर्ष और समर्पण की गाथाएं सभी को प्रेरित करती हैं. उनका जीवन इस बात का साक्ष्य है कि सपने देखना कितना ज़रूरी है.