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Bombay High Court: पति ने कहा- पत्नी कमाती है, गुजारा भत्ता क्यों दूं? हाईकोर्ट ने कहा- पत्नी को अच्छी जिंदगी देने की जिम्मेदारी तुम्हारी

यह मामला ठाणे के रहने वाले 36 वर्षीय व्यक्ति और उसकी पत्नी से जुड़ा है. दोनों की शादी 28 नवंबर 2012 को हुई थी. पति का आरोप है कि मई 2015 में पत्नी उसे छोड़कर अपने मायके चली गई और वापस नहीं आई.

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हाइलाइट्स
  • पति का फर्ज है पत्नी का सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना

  • हाईकोर्ट ने पति की अपील खारिज की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर पत्नी जॉब करती है, तब वह गुजाराभत्ता पाने की हकदार है. कोर्ट ने साफ कहा, “सिर्फ कमाई के आधार पर पत्नी को पति की आर्थिक मदद से वंचित नहीं किया जा सकता.” पति ने पारिवारिक न्यायालय के उस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसमें उसे पत्नी को 15 हजार रुपये प्रति माह अंतरिम भत्ता देने का निर्देश दिया गया था.

पति ने कहा- पत्नी कमाती है, फिर गुजारा भत्ता क्यों दूं?
36 साल के ठाणे निवासी ने फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी. पति का कहना था कि उसकी पत्नी एक स्कूल में पढ़ाती है और हर महीने 21,820 रुपये कमाती है. इसके अलावा वह सालाना 2 लाख ट्यूशन से भी कमाती है. साथ ही उसके पास फिक्स डिपॉजिट से भी ब्याज की आय है. इसलिए उसे किसी तरह की मदद की जरूरत नहीं.

पत्नी ने कहा था- कमाई कम है, खर्च ज्यादा
पत्नी की तरफ से वकील एसएस दुबे ने कोर्ट को बताया कि महिला की कमाई इतनी नहीं है कि वह अकेले अपना खर्च उठा सके. वह रोज लंबी दूरी तय करके नौकरी पर जाती है और अपने भाई और माता-पिता के साथ रह रही है. इससे सभी को असुविधा हो रही है. उन्होंने कहा कि पति की सैलरी लाखों में है, वह एक बड़ी कंपनी में सीनियर मैनेजर है और उस पर कोई भारी जिम्मेदारी भी नहीं है.

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पति का फर्ज है पत्नी का सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना
जस्टिस मंजुषा देशपांडे की बेंच ने कहा कि पत्नी की कमाई उसके लिए पर्याप्त नहीं है और वह आज जिस हालात में रह रही है, वह उसकी शादीशुदा जिंदगी के स्तर से काफी नीचे है. कोर्ट ने कहा, "पति के पास अच्छे आर्थिक साधन हैं, ऐसे में वह अपनी पत्नी को वह स्तर देने में सक्षम है जिसकी वह हकदार है."

हाईकोर्ट ने पति की अपील खारिज की
कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का फैसला बिल्कुल सही था और उसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. इसलिए पति की अपील खारिज कर दी गई और पत्नी को 15 हजार रुपए प्रतिमाह अंतरिम भत्ता देने का आदेश बरकरार रखा गया.

पति का आरोप- पत्नी का व्यवहार ठीक नहीं था
यह मामला ठाणे के रहने वाले 36 वर्षीय व्यक्ति और उसकी पत्नी से जुड़ा है. दोनों की शादी 28 नवंबर 2012 को हुई थी. पति का आरोप है कि मई 2015 में पत्नी उसे छोड़कर अपने मायके चली गई और वापस नहीं आई. उसने दावा किया कि पत्नी का व्यवहार ठीक नहीं था और वह लगातार ऐसी शर्तें रख रही थी जिन्हें पूरा करना उसके लिए संभव नहीं था.

इसके बाद पति ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत बांद्रा फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी. जवाब में पत्नी ने 29 सितंबर 2021 को अंतरिम भत्ते की मांग की. फैमिली कोर्ट ने 24 अगस्त 2023 को आदेश दिया कि पति हर महीने पत्नी को 15,000 रुपये अंतरिम भत्ते के रूप में दे.