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Maharashtra Politics: क्या है पात्रा चॉल केस, जिसकी वजह से ED ने संजय राउत को भेजा समन

महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच शिवसेना नेता संजय राउत को ईडी ने पूछताछ के लिए समन जारी किया है. राउत को 28 जून को ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है. यह पूरा मामला करोड़ों रुपये की हेरा फेरी से जुड़ा है.

Sanjay Raut Sanjay Raut
हाइलाइट्स
  • हुआ 1,034 करोड़ रुपये का घोटाला

  • गिरफ्तार हो सकते हैं संजय राउत

मुंबई के गोरेगांव में एक चॉल पुनर्विकास परियोजना में अनियमितता से जुड़े मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए 28 जून को शिवसेना सांसद संजय राउत को तलब किया है. दरअसल यह पूरा मामला 1,034 करोड़ के पात्र चॉल जमीन घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें ईडी पहले ही प्रवीण राउत नाम के एक कारोबारी को गिरफ्तार कर चुकी है. यह प्रोजेक्ट क्या है और इसमें संजय राउत का नाम क्यों आया है? ये जानने वाली बात है.

क्या है पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना?
सिद्धार्थ नगर, जिसे पात्रा चॉल के नाम से जाना जाता है गोरेगांव के उत्तरी मुंबई उपनगर में स्थित है. इसमें कुल 672 घर थे, जो 47 एकड़ के क्षेत्र में फैले हुए थे. साल 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने पुनर्विकास परियोजना शुरू की थी और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को 672 किरायेदारों के पुनर्वास और इलाके के पुनर्विकास के लिए अनुबंध दिया था. इस मामले में संजय राउत के सहयोगी प्रवीन राउत की 9 करोड़ रुपये और संजय राउत की पत्नी वर्षा की 2 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त हो चुकी है.

पात्रा चॉल के पुनर्विकास के लिए जीएसीपीएल, सोसाइटी किरायेदारों और MHADA के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते को 14 साल हो गए और इलाके के लोग अभी भी अपने घर का इंतजार कर रहे हैं. 

क्या है ईडी का मामला?
त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार, जीएसीपीएल को पात्रा चॉल के 672 किरायेदारों को फ्लैट देना था और बचे हुए फ्लैट को MHADA और निजी डेवलपर्स के बीच बांटे जाने थे. हालांकि, ईडी का दावा है कि संजय राउत के करीबी सहयोगी प्रवीण राउत और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के अन्य निदेशकों ने MHADA को गुमराह किया और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) को नौ निजी डेवलपर्स को बेचकर 901.79 करोड़ रुपये जमा कर लिए, वो भी बना किसी निर्माण के.

इसके बाद, जीएसीपीएल ने मीडोज (Meadows)नाम की एक परियोजना शुरू की और फ्लैट खरीदारों से लगभग 138 करोड़ रुपये की बुकिंग राशि ली. ईडी ने आरोप लगाया है कि इन अवैध गतिविधियों के माध्यम से गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन को इससे कुल 1,039.79 करोड़ रुपये की आय हुई. 

ईडी ने अपनी जांच के में क्या पाया?

एजेंसी ने दावा किया है कि प्रवीण राउत ने रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल से 100 करोड़ रुपये प्राप्त किए. यहां से प्राप्त धन को उन्होंने संजय राउत के परिवार सहित उनके करीबी सहयोगियों, परिवार के सदस्य और उनकी व्यावसायिक संस्थाओं के विभिन्न खातों में ट्रांसफर किया. ईडी ने आरोप लगाया है कि 2010 में 83 लाख रुपये, जो अपराध की आय का हिस्सा था, संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत को स्थानांतरित कर दिया गया था, जिन्होंने दादर में एक फ्लैट खरीदने के लिए पैसे का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा महाराष्ट्र के अलीबाग में किहिम बीच पर वर्षा राउत और स्वप्ना पाटकर के नाम पर कम से कम आठ भूखंड खरीदे गए. 

प्रोजेक्ट में कहां हुई गलती?
समझौते के अनुसार, डेवलपर को परियोजना के पूरा होने तक सभी 672 किरायेदारों को हर महीने किराए का भुगतान करना था. हालांकि, किराए का भुगतान केवल 2014-15 तक ही किया गया. इसके बाद किराएदारों ने किराए का भुगतान न होने और परियोजना के पूरा होने में देरी के बारे में शिकायत करना शुरू कर दिया.

वहीं शिवसेना सांसद संजय राउत ने ईडी के समन को साजिश बताते हुए कहा कि भले ही उनकी हत्या कर दी जाए, लेकिन वो महाराष्ट्र के बागी विधायकों की तरह गुवाहाटी का रास्ता नहीं अपनाएंगे. महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही उथल-पुथल के बीच संजय राउत को ईडी का समन बीजेपी की साजिश बताया जा रहा है.