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पैसे नहीं इस बैंक में मिलते हैं रोटी और कपड़े, नेक लोगों के साथ से हर दिन की जा रही है सैकड़ों जरूरतमन्दों की मदद

एटा के रोटी बैंक की शुरुआत तीन साल पहले आमिर खान नाम युवक ने की थी. शुरू-शरू में कम लोग खाना खाने आते थे लेकिन आज तीन साल बाद रोटी बैंक में शहर से 200 से 300 लोग हर दिन खाना खाते है. खाने के साथ-साथ अब रोटी बैंक गरीबों को कपड़े भी बांटता है. 

Roti Bank feeding poor people Roti Bank feeding poor people
हाइलाइट्स
  • हर दिन 300 लोगों का भरा जाता है पेट

  • नेक लोगों की मदद से हो रहा है नेक काम

“वो न मस्जिद को जानते हैं
न शिवालों को जानते है
जो भूखे पेट है वो सिर्फ
निवालों को जानते है।”

निदा फाजली की यह पंक्तियां एटा के रोटी बैंक पर सटीक बैठती है जिसे आमिर नाम के एक युवक ने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर शुरू किया है. भूख के खिलाफ रोटी बैंक की मुहिम में अब काफी लोग जुड़ चुके है. 

बच्चे-बुजुर्ग या महिलाएं अगर कोई भूखा है तो वह रोटी बैंक आकर भर पेट खाना खा सकता है. इसकी शुरुआत तीन साल पहले आमिर ने की थी. शुरू-शरू में कम लोग खाना खाने आते थे लेकिन आज तीन साल बाद रोटी बैंक में शहर से 200 से 300 लोग हर दिन खाना खाते है. खाने के साथ-साथ अब रोटी बैंक गरीबों को कपड़े भी बांटता है. 

Distributing clothes

हर दिन 300 लोगों का भरा जाता है पेट: 

एटा रोटी बैंक में हर दिन लगभग 300 लोगों का खाना बनता है. हर दिन खाने का मेनू बदलता है और लोगों से पूछकर सब्जियां बनाई जाती हैं. शाम छह बजे से रोटी बैंक कार्यालय के बाहर कतारें लगना शुरू हो जाती हैं. वॉलंटियर्स बहुत ही प्यार से सभी को खाना खिलाते हैं. 

हर रोज रोटी बैंक से खाना खाने वाले भीनसेन कहते हैं कि पिछले तीन सालों से रोटी बैंक उनका पेट भर रहा है. यहां किसी की जाति या मजहब नहीं देखा जाता है. यहां सिर्फ भूख देखी जाती है और उस भूख को मिटाने का हर दिन इंतजाम किया जाता है. 

नेक लोगों की मदद से हो रहा है नेक काम: 

रोटी बैंक की शुरुआत करते समय आमिर के सामने कुछ आर्थिक समस्याएं आईं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनके दोस्तों ने इस मुहिम में उनका साथ दिया. धीरे-धीर दूसरे लोग जैसे कुछ बिजनेसमैन, नौकरी-पेशा लोग इस मुहिम से जुड़ने लगे.    

एक इंसान द्वारा भूख के खिलाफ शुरू हुई यह मुहिम आज पूरे शहर का अभियान बन चुकी है. आमिर द्वारा संचालितयह संस्था न सिर्फ गरीबों को खाना खिलाती है बल्कि गरीबों के लिए कपड़ों का भी इंतजाम करती है. बच्चे हों या बुजुर्ग सभी को सर्दियों में गर्म कपड़े दिए जाते है. 
लॉकडाउन में भी रोटी बैंक ने जैसे-तैसे अपने अभियान को चलाये रखा और उनके कारण बहुत से जरूरतमंदों को मदद मिली. आमिर का कहना है कि लोग ही लोगों की मदद करते हैं. जैसे कोई हमें अपने पुराने लेकिन पहनने योग्य कपड़े दे जाता है और इन्हें हम जरूरतमंदों तक पहुंचाते है.  

(देवेश पाल सिंह की रिपोर्ट)