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Birthday Special: आज भी सैम मानेकशॉ का नाम सुनते ही थर्रा जाता है पाकिस्तान, जानें उनसे जुड़े रोचक किस्से

आज फील्ड मार्शल जनरल मानेकशॉ की बर्थ एनिवर्सरी है. उनका जन्म 3 अप्रैल, 1914 को हुआ था. अपने अदम्य साहस और बहादुरी के चलते मानेकशॉ काफी मशहूर थे. सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले 5 स्‍टार जनरल और पहले ऑफिसर जिन्‍हें फील्‍ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था.

सैम मानेकशॉ सैम मानेकशॉ
हाइलाइट्स
  • दूसरे विश्व युद्ध में लगी थीं 7 गोलियां

  • फील्ड मार्शल की उपाधि पाने वाले पहले भारतीय जनरल

बात जब भी भारतीय सेना की आती है, तो फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ का नाम जरूर ही आ जाता है. अपने अदम्य साहस से मानिकशॉ ने देश की सेना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था. आज मानिक शॉ की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर चलिए आपको उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं. मानिकशॉ का जन्म 3 अप्रैल को हुआ था. सैम मानेकशॉ का पूरा नाम होरमुजजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ था. लेकिन बचपन से ही उनकी निडरता और बहादुरी के चलते उनके चाहने वाले उन्हें सैम बहादुर नाम से पुकारते थे. आज मानिकशॉ की बर्थ एनिवर्सरी है चलिए इस मौके पर आपको उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं.

जब इंदिरा गांधी को कहा था स्वीटी
सैम मानेकशॉ की बहादुरी के किस्से को हर किसी ने सुने होंगे. वो किसी से भी नहीं डरते थे. तभी तो जब साल 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने को कहा था. तो इस बात के जवाब में मानेकशॉ ने कहा था, 'आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी'. सैम मानेकशॉ की इस बात की खूब चर्चा हुई थी. 

प्रधानमंत्री का भी नहीं था डर
1971 में इंदिरा गांधी चाहती थीं, वो मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें. लेकिन मानेकशॉ ने बिना  उस वक्त की प्रधानमंत्री ने डरे इससे मना कर दिया, क्योंकि भारतीय सेना तैयार नहीं थी. इंदिरा गांधी इस बात से नाराज भी हुईं थीं. लेकिन उस वक्त मानेकशॉ ने उनसे कहा कि अगर आप युद्ध जीतना चाहती हैं को मुझे 6 महीने का समय दीजिए. मैं आपको गारंटी देता हूं कि जीत हमारी ही होगी. उसके बाद 3 दिसंबर को वॉर शुरू हुआ. सैम ने पाकिस्तानी सेना को सरेंडर करने को कहा, लेकिन पाकिस्तानी सेना नहीं मानी. 14 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने ढाका में पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर हमला कर दिया. इसके बाद 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान आजाद होकर बांग्लादेश बन गया. इसी जंग में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण भी किया.

फील्ड मार्शल की उपाधि पाने वाले पहले भारतीय जनरल
मानेकशॉ को अपने सैन्य करियर के दौरान कई सम्मान प्राप्त हुए थे. 59 साल की उम्र में उन्हें फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा गया था. ये सम्मान पाने वाले वो पहले भारतीय जनरल थे. 1972 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया था. एक साल 1973 में वो सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए थे. अपने रिटायरमेंट के बाद वो तमिलनाडु के वेलिंग्टन चले गए थे. वेलिंग्टन में ही 2008 में उनका निधन हो गया.

दूसरे विश्व युद्ध में लगी थीं 7 गोलियां
अपने पूरे सैन्य करियर में मानेकशॉ को कई सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. छोटी सी उम्र में उन्हें युद्ध में भी शामिल होना पड़ा था. खबरें पर विश्वास करें तो दूसरे विश्व युद्ध कते दौरान सैम के शरीर में 7 गोलियां लगी थीं. उस वक्त हर किसी ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी. लेकिन डॉक्टरों ने समय रहते सारी गोलियां निकाल दीं और उनकी जान बच गई.

अच्छे कपड़ों के काफी शौकीन थे मानिक शॉ
मानिकशॉ को अच्छे कपड़े पहनने का काफी शौक था. उनके बारे में ये भी कहा जाता था, कि अगर उन्हें कोई निमंत्रण ऐसा आता था, जिसमें लिखा हो कि अनौपचारिक कपड़ों में आना है तो वो निमंत्रण अस्वीकार कर देते थे. सैम हमेशा चाहते थे, उनके एडीसी भी उन्हीं की तरह के कपड़े पहनें. लेकिन उस वक्त ब्रिगेडियर बहराम पंताखी के पास सिर्फ एक सूट होता था. एक बार की बात है जब सैम पूर्वी कमान के प्रमुख थे, उन्होंने अपनी कार मंगाई और एडीसी बहराम को अपने साथ बैठा कर पार्क स्ट्रीट के बॉम्बे डाइंग शोरूम चलने के लिए कहा. वहां ब्रिगेडियर बहराम ने उन्हें एक ब्लेजर और ट्वीड का कपड़ा खरीदने में मदद की। सैम ने बिल दिया और घर पहुंचते ही कपड़ों का वह पैकेट एडीसी बहराम को पकड़ा कर कहा,"इनसे अपने लिए दो कोट सिलवा लो."

इंदिरा गांधी से काफी खुले थे मानेकशॉ
इंदिरा गांधी के साथ मानेकशॉ के कई किस्से मशहूर हैं. मेजर जनरल वीके सिंह कहते हैं, "एक बार इंदिरा गांधी जब विदेश यात्रा से लौटीं तो मानेकशॉ उन्हें रिसीव करने पालम हवाई अड्डे गए. इंदिरा गांधी को देखते ही उन्होंने कहा कि आपका हेयर स्टाइल जबरदस्त लग रहा है. इस पर इंदिरा गांधी मुस्कराईं और बोलीं, और किसी ने नोटिस ही नहीं किया.