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भारतीय नौसेना के जहाज तुशिल के बारे में जानिए सब कुछ

भारत और रूस के बीच 18 अक्टूबर को युद्धपोत के कंस्ट्रकशन को लेकर अंतर-सरकारी समझौते (IGA) के तहत एक डील करार की गई थी, जिसके तहत ये डील पक्की हुई थी.

तुशिल तुशिल
हाइलाइट्स
  • मेड इन इंडिया और रूसी तकनीक का मिलाजुला रूप है तुशिल

  • संसकृत शब्द तुशिल का मतलब - रक्षक ढाल

भारत के लिए रूस से एक शुभ समाचार आया है. रुस के कलिनिनग्राद  (Russia’s Kaliningrad ) में यंतर शिपयार्ड Yantar Shipyard P1135.6 वर्ग के सातवें युद्धपोत को लॉन्च किया गया है, ये युद्धपोत हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना को ताकत देगा.   

भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि जहाज को औपचारिक रूप से तुशिल नाम दिया गया है. तुशिल एक संस्कृत शब्द जिसका मतलब रक्षक ढाल होता है.  तुशिल रूस के साथ भारत के 2.5 बिलियन डॉलर के हथियारों के समझौते का हिस्सा है. 

साल 2023 तक भारतीय नौसेना में शामिल होगा तुशिल

भारत और रूस के बीच 18 अक्टूबर को युद्धपोत के कंस्ट्रकशन को लेकर अंतर-सरकारी समझौते (IGA) के तहत एक डील करार की गई थी, जिसके तहत ये डील पक्की हुई थी,अधिकारियों के मुताबिक, साल 2023 के बीच में तुशिल को भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है, उसके बाद उसी साल के आखिर में इसके सहयोगी जहाज को भी शामिल किया जाएगा. 

मेड इन इंडिया और रूसी तकनीक का मिक्सअप है तुशिल

इन जहाजों का निर्माण भारतीय सेना को मजबूती देने के साथ सेना के तीनों आयामों वायु, सतह और उप-सतह  (air, surface and sub) के स्पेक्ट्रम को भी पूरा करने के लिए किया गया है. प्रेस रिलिज में ये बताया गया है कि तुशील अत्याधुनिक भारतीय और रूसी हथियारों का मिक्सअप है, और यह युद्धपोत, नौसेना टास्क फोर्स में कंसोर्ट के रूप तो काम करेगा ही साथ ही समुद्र तट और पानी के अंदर भी बेहतरीन रूप से संचालित होगा. ये जहाज सतह से सतह पर वार करने के साथ सोनार सिस्टम, anti-submarine warfare (ASW),और पनडुब्बी रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) प्रणाली के साथ-साथ सतह से हवा में मार करने वाली रूसी टेकनोलॉजी से लैश है. 

भारत की मदद से ही मुमकिन हो पाया - यंतर शिपयार्ड के महानिदेशक इल्या समरीन

यंतर शिपयार्ड के महानिदेशक इल्या समरीन ने इस युद्धपोत को बनाते वक्त सामने आई चुनौतियों के बारे में भी बात की. उन्होंने भारत सरकार को इन चुनौतियों से निपटने में मदद करने को लेकर धन्यवाद दिया. रूस में भारत के राजदूत डी बाला वेंकटेश वर्मा ने दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को भी उजागर किया, और कहा कि कोरोना महामारी की मार के बावजूद ये यंतर शिपयार्ड की कोशिशों का ही नतीजा है कि युद्धपोत बिल्कुल समय पर  लॉन्च हो गया. भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में छह स्टील्थ फ्रिगेट हैं- जिसमें से तीन तलवार वर्ग और तीन तेग वर्ग के हैं और ये सभी रूस से खरीदे गए हैं.