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मिल गई है रिश्तों की डोर: भारत-पाक विभाजन के 35 साल बाद मिला परिवार, करतारपुर साहब कॉरीडोर हुई मुलाकात

दरअसल ये दोनों परिवार 35 साल बाद करतारपुर कॉरीडोर में मिले थे. ऐसी घटनाओं से पता चलता है कि भारत और पाकिस्तान के लोगों को करीब लाने में वीजा मुक्त करतारपुर कॉरिडोर काफी सफल रहा है. सालों बाद जब से परिवार दोबारा से मिला तो सभी की आंखें नम थीं, और सब बेहद ही भावुक थे.

भारत-पाक विभाजन के 35 साल बाद मिला परिवार, भावुक कर देने वाला पल भारत-पाक विभाजन के 35 साल बाद मिला परिवार, भावुक कर देने वाला पल
हाइलाइट्स
  • 35 साल बाद मिले हैं दोनों परिवार

  • दोनों परिवार ने बांटी खुशी

पाकिस्तान और भारत के विभाजन के समय कई ऐसे लोग थे, जो अपनों से अलग हो गए. कई लोगों की परिवार बिछड़ गया. सभी को काफी नुकसान हुआ था. अक्सर ही आपको ऐसे किस्से सुनने को मिलते होंगे जब विभाजन के दौरान बिछड़े परिवार वापस से मिल रहे हों. अब हाल ही में विभाजन के वक्त बिछड़े एक ईसाई परिवार की दूसरी पीढ़ी के सदस्य वापस से मिले हैं. 

35 साल बाद मिले हैं दोनों परिवार
दरअसल ये दोनों परिवार 35 साल बाद करतारपुर कॉरीडोर में मिले थे. ऐसी घटनाओं से पता चलता है कि भारत और पाकिस्तान के लोगों को करीब लाने में वीजा मुक्त करतारपुर कॉरिडोर काफी सफल रहा है. सालों बाद जब से परिवार दोबारा से मिला तो सभी की आंखें नम थीं, और सब बेहद ही भावुक थे. इन परिवारों के मिलने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. पाकिस्तान के ननकाना जिले के मनावाला के रहने वाले शाहिद रईक मिठू को अपने परिवार के 40 सदस्य के साथ पहुंचे, जिन्होंने भारत के अमृतसर जिले के अजनाला तहसील के शाहपुर डोगरा गांव के रहने वाले सोनू मिठू से मुलाकात की.

दोनों परिवार ने बांटी खुशी
सोनू मिठू के साथ उनके परिवार के आठ सदस्य भी थे. शाहिद मिठू ने बताया कि उनके दिवंगल दादा इकबाल मसीह विभाजन के समय पाकिस्तान आ गए थे, जबकि इकबाल के भाई इनायत भारत में ही रह गए थे. उन्होंने कहा कि, "करीब 35 साल पहले इनायत ननकाना साहिब के मनावाला वाले हमारे घर घूमने आए थे, तब मैं सात साल का था. वह और मेरे दादा ने उस समय अपने बचपन के दिनों को याद किया था."
वहीं शाहिद ने कहा कि उनके दादा का निधन दो महीने पहले हो गया, जबकि इनायत का करीब सात साल पहले निधन हो चुका है. उनके बड़े दो भाइयों का निधन हो चुका है. 

यूट्यूब चैनल के जरिए लवली मिला रहे हैं बिछड़े परिवार
शाहिद का कहना है कि भले ही भारत में रह रहे उनके परिवार के सदस्यों से उनका संपर्क टूट गया था, लेकिन ननकाना साहिब निवासी भूपेंद्र सिंह लवली की मदद से सीमा पार रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों से संपर्क बना पाए. लवली यूट्यूब पर एक चैनल चलाते हैं, जिसका मकसद भारत और पाकिस्तान में रहने वाले उनके रिश्तेदारों को आपस में मिलवाने का है.