
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा का पवित्र मौसम शुरू होने वाला है, लेकिन इस बार कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है! प्रशासन ने फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप के जरिए ग्राहक संतुष्टि फीडबैक सर्टिफिकेट लागू किया है, जिसमें क्यूआर कोड स्कैन कर दुकान मालिक का नाम, पता, लाइसेंस, मोबाइल नंबर और ईमेल जैसी जानकारी हासिल की जा सकती है.
फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप
मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग पर स्थित दुकानों, होटलों और रेस्टोरेंट्स पर अब प्रशासन ने ग्राहक संतुष्टि फीडबैक प्रपत्र लागू किया है. इस प्रपत्र में दो क्यूआर कोड हैं, जिन्हें स्कैन करने पर दुकान मालिक की पूरी जानकारी सामने आती है. यह कदम Food Safety and Standards Act, 2006 के तहत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और श्रद्धालुओं को शुद्ध, सात्विक भोजन उपलब्ध कराने के लिए उठाया गया है. उत्तराखंड सरकार ने भी इसी तरह के नियम लागू किए हैं, जहां दुकानदारों को अपने लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है.
लेकिन इस ऐप ने विवाद को जन्म दे दिया है. स्वामी यशवीर जी महाराज, जो महंत योग साधना आश्रम, मुजफ्फरनगर के प्रमुख हैं, ने सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो में इसे सनातन धर्म के खिलाफ साजिश करार दिया. उन्होंने दावा किया कि यह ऐप उन लोगों को लाइसेंस दे रहा है, जो हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर दुकानें चलाकर कथित तौर पर "थूक-मूत्र गैंग" का हिस्सा हैं. उनके मुताबिक, क्यूआर कोड स्कैन करने पर सिर्फ दुकान का नाम दिखता है, न कि मालिक या कर्मचारियों की असली पहचान. यह सनातनियों के लिए धोखा है, क्योंकि कोई भी हिंदू नाम से लाइसेंस ले सकता है, भले ही मालिक या कर्मचारी गैर-हिंदू हों.
यशवीर महाराज का गुस्सा
यशवीर महाराज ने अपने बयान में कहा, "उत्तर प्रदेश खाद्य विभाग ने ग्राहक संतुष्टि फीडबैक प्रपत्र जारी किया, लेकिन यह सनातन धर्म के खिलाफ एक लाइसेंस है. क्यूआर कोड से सिर्फ दुकान का नाम दिखता है, न कि मालिक या कर्मचारियों का. कोई भी हिंदू नाम से लाइसेंस ले सकता है, और असल में न मालिक हिंदू होगा, न कर्मचारी. सरकार से मांग है कि सभी फूड लाइसेंस निरस्त हों और मालिक व कर्मचारियों का नाम, मोबाइल नंबर अनिवार्य हो!"
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, और कांवड़ यात्रियों के बीच गुस्सा भड़क रहा है. पिछले साल भी मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग पर दुकानों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई 2024 को अंतरिम आदेश के तहत रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि दुकानों को सिर्फ भोजन का प्रकार (शाकाहारी/मांसाहारी) बताना होगा, न कि मालिक का नाम. लेकिन इस बार फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप के जरिए प्रशासन ने नया तरीका अपनाया है, जिसे स्वामी यशवीर ने सनातनियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया.
क्या है असली मसला?
मुजफ्फरनगर में कांवड़ मार्ग पर पहले भी दुकानदारों को लेकर विवाद हो चुके हैं. पिछले साल AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया था कि दुकानदारों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर परेशान किया जा रहा था. स्वामी यशवीर के अनुयायियों पर भी दुकान कर्मचारियों से उनकी धार्मिक पहचान साबित करने के लिए आपत्तिजनक मांगें करने का आरोप लगा था. इस बार फूड सेफ्टी कनेक्ट ऐप को लेकर स्वामी यशवीर का गुस्सा फिर से उभरा है, क्योंकि उनका मानना है कि यह ऐप धार्मिक संवेदनाओं को ध्यान में रखे बिना लागू किया गया है.
उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यात्रा के दौरान शुद्ध, सात्विक भोजन सुनिश्चित करना प्राथमिकता है. हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जो दूध, मिठाई, तेल और मसालों के सैंपल की जांच करेंगी.
(संदीप सैनी की रिपोर्ट)