देश में गौतमबुद्ध, शंकराचार्य, गुरु नानक से लेकर महात्मा गांधी तक की पदयात्रा का इतिहास रहा है. अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 'भारत जोड़ो यात्रा' करने वाले हैं. लेकिन देश की सियासत में ये पहली बार नहीं है, जब कोई राजनेता पदयात्रा कर रहा है. इससे पहले भी कई दफा तमाम नेताओं ने ऐसी कवायद की है. ऐसी ही एक पदयात्रा युवा तुर्क के नाम से मशहूर देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने की थी. चंद्रशेखर की यात्रा कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली में राजघाट तक हुई थी. इस यात्रा से जुड़ी कई कहानियां हैं, जो आज भी लोगों के जेहन में हैं.
चंद्रशेखर की भारत यात्रा-
अपने चाहने वालों के बीच अध्यक्ष जी के नाम से पुकारे जाने वाले पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने 6 जनवरी 1983 को कन्याकुमारी से भारत यात्रा की शुरुआत की थी. युवा तुर्क की पदयात्रा 25 जून 1984 को दिल्ली में राजघाट पर खत्म हुई. चंद्रशेखर की टोली रोजाना 45 किलोमीटर की यात्रा करती थी. इस पदयात्रा के दौरान चंद्रशेखर ने 4200 किलोमीटर की यात्रा की थी. उनकी यात्रा कन्याकुमारी के विवेकानंद स्मारक से शुरू हुई थी. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यात्रा से पहले चंद्रशेखर ने पत्रकार उदयन शर्मा से कहा था कि 'मैं ना तो शंकराचार्य बनने चला हूं और ना ही विनोबा भावे. ये यात्री निश्चित तौर पर राजनीतिक है. लेकिन मैं इसे पारंपरिक राजनीति से भिन्न रखना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि उन लोगों के लिए एक जगह होनी चाहिए, जो आम जनता के पक्ष में सामाजिक परिवर्तन चाहते हैं.'
3500 रुपए से शुरू की थी यात्रा-
चंद्रशेखर ने भारत यात्रा की शुरुआत 3500 रुपए से की थी. इस दौरान खर्च यात्रा में शामिल लोग उठाते थे. इसके अलावा स्थानीय लोगों ने भी यात्रा में मदद की थी. यात्रा खत्म होते समय चंद्रशेखर के पास साढ़े 7 लाख रुपए बच गए थे. इन पैसों से युवा तुर्क ने पूरे देश में भारत यात्रा केंद्र बनाया.
बुढ़िया ने पूछा- कब दोगे पानी?
युवा तुर्क की भारत यात्रा से जुड़ी कई कहानियां लोगों के जेहन में हैं. यात्रा के दौरान की एक घटना का जिक्र चंद्रशेखर ने खुद किया था. उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु के पहाड़ी क्षेत्र के एक गांव में जब उनकी यात्रा पहुंची तो एक बुढ़िया लालटेन लेकर खड़ी थी. जब चंद्रशेखर उसके पास गए तो उसने सिर्फ यही कहा कि आजादी के 40 साल हो गए हैं. लेकिन पीने का पानी अब तक नहीं मिला. आखिर कब पानी दोगे? उस बुजुर्ग महिला के सवाल का जवाब चंद्रशेखर के पास भी नहीं था. चंद्रशेखर ने पानी के मुद्दे को दिल्ली में बैठक में भी उठाई. लेकिन जमीन पर उसका कोई असर नहीं हुआ.
पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने हमेशा गरीब जनता के मुद्दे उठाए. उन्होंने ना सिर्फ जनता के मुद्दे उठाए. बल्कि आम नागरिक की तरह जीवन भी जीते थे. बताया जाता है कि जब भी चंद्रशेखर अपने संसदीय क्षेत्र बलिया जाते थे तो वो एक साधारण से कमरे में रहते थे. उसमें कोई एसी या कूलर नहीं होता था. चाहे कितनी भी भीषण गर्मी का दिन हो, लेकिन वो एसी या कूलर का इस्तेमाल नहीं करते थे. प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के घर में कोई शौचालय तक नहीं था.
भारत यात्रा के 6 साल बाद बने प्रधानमंत्री-
चंद्रशेखर की भारत यात्रा साल 1984 में खत्म हो गई. इसके कुछ महीनों बाद ही इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद चुनाव कांग्रेस की बड़ी जीत हुई. चंद्रशेखर लोकसभा का चुनाव हार गए. हालांकि वक्त बदलते देर नहीं लगी. साल 1989 में चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और जनता दल की सरकार बनी. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. लेकिन उनकी सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई. वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर को पीएम पद के लिए समर्थन किया. 10 नवंबर 1990 को चंद्रशेखर देश के 8वें प्रधानमंत्री बने. लेकिन उनकी सरकार भी ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई. चंद्रशेखर ने 21 जून 1991 को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया.
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