
भारतीय रेलवे को आमतौर पर भारत में लाखों यात्रियों की लाइफ लाइन माना जाता है. रोजाना यात्रा करने वाले हजारों यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए रेलवे रोजाना हजारों ट्रेनें चलाता है. लंबी दूरी की यात्रा के लिए चलने वाली अधिकांश ट्रेनों का नाम गंतव्य के नाम पर रखा जाता है. हालांकि, कुछ ट्रेनें ऐसी भी हैं जो इस नियम का पालन नहीं करती हैं. ये ट्रेनें अपनी गति और सुविधाओं के कारण लंबी दूरी की अन्य ट्रेनों से अलग हैं. ऐसी ट्रेनों में राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और दुरंतो एक्सप्रेस शामिल हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इन ट्रेनों को उनके नाम कैसे मिले और उनके नाम का क्या मतलब है? तो चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.
राजधानी एक्सप्रेस
भारत में शीर्ष स्तरीय ट्रेनों में से एक मानी जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली और अन्य राज्यों की राजधानियों के बीच चलती है. इसलिए, इसे राजधानी एक्सप्रेस कहा जाता है. राजधानी की खास बात ये है कि ये पूरी तरह से वातानुकूलित है, और इसके किराए में खाना भी शामिल हैं. ट्रेन की अधिकतम गति 140 किलोमीटर प्रति घंटा है.
शताब्दी एक्सप्रेस
शताब्दी एक्सप्रेस एक चेयर कार है और 400-800 किलोमीटर के दायरे में चलती है. यह ट्रेन 1989 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के 100वें जन्मदिन पर चलाई गई थी, इसलिए इसका नाम शताब्दी एक्सप्रेस पड़ा. शताब्दी का मतलब शतक होता है. इसकी अधिकतम गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसमें राजधानी एक्सप्रेस जैसी ही सुविधाएं हैं.
दुरंतो एक्सप्रेस
बंगाली में दुरंतो का अर्थ होता है बिना रुके चलने वाला और इस ट्रेन को ये नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि ट्रेन कम से कम स्टेशनों पर रुकती है और लंबी दूरी तय करती है. दुरंतो एक्सप्रेस 140 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलती है.