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G20 Summit: G20 प्रेसिडेंसी के दौरान इन 3 मुद्दों पर काम करेगा भारत, पीएम मोदी ने दिए संकेत

बाली में इस समय जी-20 समिट के लिए देश के दिग्गज नेटा जुटे हैं. जी-20 का मुख्‍य लक्ष्‍य वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का सामना करना है.

PM Modi PM Modi
हाइलाइट्स
  • विश्व शांति बनाएं रखना जरूरी

  • भारत को मिल जाएगी प्रेसिडेंसी

इंडोनेशिया के लोकप्रिय पर्यटन स्थल बाली में इस समय विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के नेता जुटे हैं. रूस-युक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद ये पहला मौका है जब दोनों देशों के नेता एक मंच पर होंगे. इस बीच जी-20 शिखर सम्‍मेलन में भारत पर भी सभी देशों की निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि बाली शिखर सम्‍मेलन के बाद इस प्रभावशाली संगठन का नेतृत्‍व इंडोनेशिया से भारत को दे दिया जाएगा.

जी-20 एक ऐसा अंतरराष्‍ट्रीय मंच है जिसमें औद्योगिक, विकासशील देश और यूरोपीय संघ तीनों ही शामिल हैं। इसका मुख्‍य लक्ष्‍य वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था और वित्‍तीय ढांचे के सामने आने वाली चुनौतियों जलवायु परिवर्तन आदि का सामना करना है.

भारत को मिल जाएगी प्रेसिडेंसी

बाली में मंगलवार को जी-20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम और कूटनीति के बारे में बात की. उन्होंने जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी और भारत के ऊर्जा सुरक्षित होने के महत्व द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों के बारे में भी बताया. पीएम मोदी ने कहा कि इन सब ने मिल कर विश्व मे तबाही मचा दी है. Global Supply Chains तहस-नहस हो गई हैं. पूरी दुनिया मे जीवन-जरूरी चीजें, essential goodsकी सप्लाइ का संकट बना हुआ है. हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौती और गंभीर है. वे पहले से ही रोजमर्रा के जीवन से जूझ रहे थे. उनके पास दोहरी मार से जूझने की आर्थिक capacity नहीं है. हमें इस बात को स्वीकार करने से भी संकोच नहीं करना चाहिए कि UN जैसी मल्टीलैटरल संस्थाएं इन मुद्दों पर निष्फल रही हैं. इस दौरान मोदी ने सम्मेलन में तीन प्रमुख मुद्दे रखे जिनपर हम आगे बात करेंगे. 

विश्व शांति बनाएं रखना जरूरी
पीएम मोदी ने आगे कहा, ''मैंने बार-बार कहा है कि हमें यूक्रेन मे संघर्ष-विराम और डिप्लोमसी की राह पर लौटने का रास्ता खोजना होगा. पिछली शताब्दी में दूसरे विश्व युद्ध ने विश्व मे कहर ढाया था. उसके बाद उस समय के leaders ने शांति की राह पकड़ने का गंभीर प्रयास किया. अब हमारी बारी है. पोस्ट-कोविड काल के लिए एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की रचना करने का जिम्मा हमारे कंधों पर है. समय की मांग है कि हम विश्व मे शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प दिखाएं. मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष जब जी-20 बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि मे मिलेगा, तो हम सभी सहमत हो कर, विश्व को एक मजबूत शांति-संदेश देंगे.

कई देशों में की फूड सप्लाई
महामारी के दौरान, भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की फूड सिक्युरिटी सुनिश्चित की. साथ ही अनेकों जरूरत मंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की. फूड सिक्युरिटी के संदर्भ मे Fertilizers की वर्तमान किल्लत भी एक बहुत बड़ा संकट है. आज की fertilizer shortage कल की फूड-क्राइसिस है, जिसका समाधान विश्व के पास नहीं होगा. हमें खाद और खाद्यान्न दोनों की सप्लाइ चैनस को stable और assured रखने के लिए आपसी सहमति बनानी चाहिए. भारत मे,Sustainable फूड सिक्युरिटी के लिए हम natural farming को बढ़ावा दे रहे हैं और मिलेट्स जैसे पौष्टिक और पारंपरिक foodgrains को फिर से लोकप्रिय बना रहे हैं. मिलेट्स से वैश्विक मैल्नूट्रिशन और hunger का भी समाधान हो सकता है. हम सभी को अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष जोर-शोर से मनाना चाहिए.

renewable सोर्स से बिजली पैदा होगी
विश्व की fastest growing अर्थव्यवस्था भारत की एनर्जी-सिक्युरिटी वैश्विक ग्रोथ के लिए भी महत्वपूर्ण है. हमें एनर्जी की सप्लाइज पर किसी भी तरह के प्रतिबंधों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. हमें एनर्जी बाजार मे स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिए. भारत क्लीन एनर्जी और पर्यावरण के प्रति कमिटेड है. साल 2030 तक हमारी आधी बिजली renewable स्रोतों से पैदा होगी. समावेशी एनर्जी ट्रांजीशन के लिए विकासशील देशों को समय-बद्ध और किफायती फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की स्थायी आपूर्ति अनिवार्य है.