
कहते हैं कर भला, तो हो भला..... अब ऐसे ही एक म्यांमार की 50 साल की महिला को नई जिंदगी मिली है. भारत आई इस महिला को कई साल बाद बोलने और ठीक से सांस लेने की शक्ति वापस मिल गई है. यह एक सर्जरी की मदद से हो पाया है. हालांकि, ये महिला हाल ही में अपने एक रिश्तेदार को किडनी डोनेट करने के लिए भारत आयीं थीं.
दरअसल, डॉक्टर जब महिला को ट्रांसप्लांट के लिए तैयार करने लगे तो उन्होंने पाया कि उनकी गर्दन में एक ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब लगी है, जिसके कारण उस महिला को सांस लेने में परेशानी का अनुभव करना पड़ रहा है.
ट्रेकियोस्टोमी के चलते नहीं बोल पाती थी महिला
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ साल पहले अपने देश में थायराइड की सर्जरी के बाद बाइलेटरल वोकल कॉर्ड पाल्सी के कारण युवती ने बोलने की शक्ति खो दी थी. वह एक जरूरतमंद रिश्तेदार को अपनी किडनी डोनेट करने के लिए भारत आयीं थीं.
अपोलो अस्पताल ने बताया कि युवती की गर्दन में आर्टिफिशियल रूप से डाली गई एक ट्यूब थी जिसे ट्रेकियोस्टोमी कहा जाता है, जिसके कारण उन्हें स्वाभाविक रूप से सांस लेने में परेशानी होती थी और वह बोल नहीं पाती थीं.
दो सर्जरी की गई प्लान
सीनियर कंसल्टेंट सर्जन इन जनरल सर्जरी संदीप गुलेरिया और हेड एंड नेक रोबोटिक सर्जरी हॉस्पिटल, डॉ नूर उल दीन मलिक की देखरेख में ये पूरी सर्जरी हो पाई. रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि महिला को दो सर्जरी, लेजर कॉर्डेक्टोमी के साथ-साथ डोनर नेफरेक्टोमी से गुजरने की सलाह दी गई थी. इसमें लेजर कॉर्डेक्टॉमी गर्दन से ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब को हटाने के लिए प्लान की गयी.
डॉ गुलेरिया ने कहा, "जैसा कि हमने योजना बनाई थी, रोगी पर दोनों सर्जरी की गई और लेजर कॉर्डेक्टोमी प्रोसीजर के तीन हफ्ते बाद उसे हटा दिया गया था. अब महिला अच्छा महसूस कर रही हैं, वे ठीक हो रही हैं, अब वह स्वाभाविक रूप से बात करने और सांस लेने में सक्षम है."
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