
यूपी में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों (खेतिहर मजदूरों) की न्यूनतम मजदूरी नए सिरे से तय कर दी गई है. अब कृषि मजदूरों को रोज़ाना 213 रुपये देना जरूरी होगा. वहीं महीने भर की मजदूरी 5538 रुपये होगी. यानि अब कृषि के क्षेत्र में कोई भी काम करने वाले मजदूर को इससे कम भुगतान नहीं किया जा सकेगा.
उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मज़दूरों के लिए सरकार ने नया आदेश जारी किया है. अब हर दिन की मजदूरी 213 रुपये और महीने भर की मजदूरी 5538 रुपये होगी. उससे कम मजदूरी नहीं दी जा सकेगी. श्रम विभाग ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करते हुए ये स्पष्ट कर दिया है. इसके साथ ही कृषि फर्म और बड़े किसानों को ये भी निर्देश दिया गया है कि कृषि मज़दूरों (agriculture labour) का भुगतान उनकी सहमति से किया जाएगा. यानि अगर वो नगद भुगतान चाहते हैं या बैंक अकाउंट में भुगतान प्राप्त करना चाहते हैं तो उसी मोड में भुगतान किया जाए. कई बार ये शिकायत आती है कि कृषि मजदूरों को भुगतान कम करके दिया जाता है.
निर्धारित लाभ नहीं मिल पाता
कृषि क्षेत्र में बड़ी संख्या में मजदूर (ऐग्रिकल्चर लेबर) भी काम करते हैं. इसमें भूमि जोतना, रोपाई, फसल उगाना, फसल काटना, फसल की देखभाल, फसल को मंडी तक पहुंचाना जैसे काम शामिल हैं. जिनके लिए आम तौर पर कृषि मजदूर लगाए जाते हैं. ये मजदूर दूसरों की जमीन पर काम करते हैं और श्रम कार्य करते हैं इस वजह से उनको कृषकों के लिए निर्धारित लाभ नहीं मिल पाता. यही वजह है कि सरकार ने उनके कार्य का भी न्यूनतम मूल्य भुगतान के लिए तय किया था. अभी उसको रिवाइज किया गया है.
न्यूनतम मजदूरी हुई तय
विभाग ने कृषि मज़दूरों का भुगतान रेट तय कर इस बात को भी स्पष्ट कर दिया है कि ये न्यूनतम दर होर्टिकल्चर (Horticulture) मधुमक्खी पालन (Bee keeping) मुर्गी पालन (poultry) और मिल्क प्रोडक्शन (Milk Prodiction) के लिए भी होगा. ये भी अपेक्षा की गई है कि अगर इससे ज़्यादा मजदूरी दी जा रही है तो वो दी जाए पर अगर कम मजदूरी दी जा रही है तो ये न्यूनतम मजदूरी होगी. इससे कम मजदूरी मान्य नहीं होगी. ये बात फर्म मालिकों और बड़े किसानों को स्पष्ट कर दी गई है जो कृषि मजदूरों से काम लेते हैं.
असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं कृषि मजदूर
देखा जाए तो कृषि मज़दूरों का काम बहुत महत्वपूर्ण है. अनाज के उत्पादन से लेकर पोल्ट्री और हॉर्टिकल्चर तक में हर काम में इनकी बड़ी भूमिका होती है लेकिन इनको अक्सर काम का निर्धारित घंटे और स्वरूप न तय होने के कारण उनको उचित पेमेंट नहीं मिल पाता. इससे बड़े फर्म मालिक और व्यवसायी द्वारा उनके आर्थिक शोषण की बात सामने आती है. अक्सर ये कृषि मज़दूर दिन भर काम करते हैं और उनको फर्म मालिकों और व्यवसायियों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है. ऐसे में ये कदम उठाकर कृषि मजदूरों को राहत देने की कोशिश की गई है.