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Green Crackers and Delhi Pollution: क्या ग्रीन पटाखे जलाने से सच में कम होता है प्रदूषण? कैसे करें इनकी पहचान? 

हममें से कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर ग्रीन पटाखों को ही क्यों चुना जाए. ग्रीन पटाखे खास तौर पर हवा में कम प्रदूषण छोड़ने के लिए डिजाइन किए गए हैं. ये हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छा कदम हो सकता है.

Green Crackers (Photo/AI) Green Crackers (Photo/AI)
हाइलाइट्स
  • पटाखों से होता है ध्वनि प्रदूषण

  • ग्रीन पटाखे जलाने से कम प्रदूषण होता है

हमारे देश में दीवाली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन को हम बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाते हैं. साथ ही ये पर्व रोशनी, खुशी, और समृद्धि का प्रतीक है, यही कारण है कि हम सभी अपने घरों को रंगोली, दीयों, और लाइट्स के साथ खूब सारे पटाखे भी जलाते हैं. हालांकि ये पटाखे वायु प्रदूषण का कारण बनते जा रहे हैं, हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के बेहद हानिकारक हैं. यही वजह है कि हालातों को देखते हुए दिल्‍ली-एनसीआर में पटाखे जलाने पर बैन लगा दिया गया है. वहीं तमाम शहरों में एक निश्चित समय तक ही पटाखे जलाने की परमिशन दी गई है या फिर सिर्फ ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत है. लेकिन आखिर ये ग्रीन पटाखे क्या हैं? क्या ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते?

कैसे होता है पर्यावरण को पटाखों से नुकसान?
दिवाली के दिन हम सभी पटाखे जलाते हैं जो काफी मजेदार लगता है, लेकिन पटाखों की कहानी यहीं खत्म नहीं होती ये हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम लेकर आते हैं. साधारण पटाखे बेरियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर और एल्युमिनियम पाउडर जैसे खतरनाक केमिकल से मिलकर बनते हैं. और जब इन्हें जलाया जाता है तो वे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी की जहरीली गैसों को छोड़ते हैं.

ये गैसें हमारे शहरों में खासकर सर्दियों के मौसम में प्रदूषण की मात्रा को बढ़ाती हैं. जो बड़ी चिंता का विषय है. दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में आमतौर पर हवा की गुणवत्ता खराब होती है. पटाखों के जलने से पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10) में बड़ा योगदान होता है, जो छोटे पार्टिकल्स होते हैं फेफड़ों और ब्लड फ्लो के लिए खतरनाक साबित होते हैं. जिससे सांस और दिल से जुड़ी बीमारी हो सकती हैं. 

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वायू प्रदूषण ही नहीं, पटाखों से होता है ध्वनि प्रदूषण भी
वायु प्रदूषण के अलावा पटाखों से ध्वनि प्रदूषण भी होता है. पटाखे का जोरदार धमाका 160 डेसिबल तक होता है. ये एक नॉर्मल आवाज से कहीं ज्यादा है. इससे सुनने की क्षमता में कमी, नींद में दिक्कत, तनाव और चिंता में बढ़ावा होता है. इसका असर खासतौर पर जानवरों और बच्चों पर पड़ता है. यही कारण है कि अब सरकार ने ग्रीन क्रैकर्स जलाने की इजाजत दी है. 

क्या हैं ग्रीन क्रैकर्स?
ग्रीन पटाखे इको फ्रेंडली हैं, जिन्हें वैज्ञानिक और इंडस्ट्रियल रिसर्चर (CSIR) और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा बनाया गया है. ये पटाखे हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. ग्रीन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट जैसे हानिकारक केमिकल नहीं होते हैं, जो हवा को प्रदूषित करें, बल्कि ग्रीन क्रेकर्स प्रदूषण करने वाले मटेरियल से बने होते हैं. जो धूल के पार्टिकल्स को दबाने में मदद करते हैं. ग्रीन पटाखों का सेल भी छोटा होता है और इसमें ऐसे एडिटिव्स होते हैं जो इन प्रदूषित पार्टिकल्स को कम करते हैं. यही वजह है कि ये पटाखे दिवाली मनाने के लिए एक सुरक्षित और बेहतर ऑप्शन हैं. 

तीन तरह के होते हैं ग्रीन पटाखे 
बता दें, ग्रीन पटाखे तीन प्रकार के होते हैं. इन्हें प्रदूषण और सुरक्षा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. 

1. SWAS (सेफ वाटर रिलीजर)- SWAS पटाखे जलाने पर ये वातावरण में पानी की भाप छोड़ते हैं. पानी के भाप के निकलने से डस्ट को कम करने में मदद मिलती है. ये पटाखे आम पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदूषण पैदा करते हैं. साथ ही इसमें सल्फर या पोटेशियम नाइट्रेट नहीं होता है, जो दोनों ही पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं. 

2. STAR (सेफ थर्माइट क्रैकर)- स्टार क्रैकर में पोटेशियम नाइट्रोजन और सल्फर नहीं होता. ये पटाखे कम डस्ट पार्टिकल्स बनाते हैं, साथ ही ये पटाखे आम पटाखों के मुकाबले कम आवाज भी करते हैं. स्टार क्रैकर्स की साउंड का लेवल लगभग 110 से 125 डेसिबल होता है, जबकि आम पटाखों में आवाज 160 डेसिबल तक जाती है. इससे ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है, जो कि विशेष रूप से बच्चों और जानवरों के लिए फायदेमंद है.

3. SAFAL (सेफ एल्यूमीनियम फायरवर्क)- SAFAL क्रैकर्स में एल्युमिनियम की मात्रा कम और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होती है. ये पटाखे न केवल इको फ्रेंडली होते हैं, बल्कि ये पटाखे कम शोर करते हैं. जिससे आप सेफ दिवाली मना सकते हैं. 

कैसे करें ग्रीन पटाखों की पहचान?
अगर आप भी इस दिवाली ग्रीन पटाखे ले रहे हैं तो आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर इनकी पहचान कैसे करें-

-CSIR-NEERI Logo: अगर आप ग्रीन पटाखों ले रहे हैं तो इसकी पैकेजिंग पर CSIR-NEERI का एक ग्रीन कलर का लोगो होता है. इसे देखकर पहचाना जा सकता है कि ये ग्रीन पटाखे हैं.

-QR Code: ग्रीन क्रेकर्स की पैकेजिंग पर क्विक रिस्पॉन्स (QR) कोड लगा होता है. इस QR कोड को स्कैन करके आप पटाखे असली हैं या नकली, पहचान सकते हैं.

-Certified Sellers: ग्रीन क्रेकर्स केवल सर्टिफाइड सेलर्स से ही खरीदना चाहिए. इसे सड़क पर बिकने वाले विक्रेताओं से खरीदने से बचें ये आपको नकली ग्रीन क्रेकर्स बेच सकते हैं.  

ग्रीन पटाखे ही क्यों चुनें?
हममें से कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर ग्रीन पटाखों को ही क्यों चुना जाए. ग्रीन पटाखे खास तौर पर हवा में कम प्रदूषण छोड़ने के लिए डिजाइन किए गए हैं. ये पटाखे आम पटाखों की तुलना में 30% से 40% कम पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड छोड़ते हैं. ये हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छा कदम हो सकता है. 

(ये स्टोरी यामिनी सिंह बघेल ने लिखी है. यामिनी Gnttv.com में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.)