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Happy Birthday Metro Man: वह इंजीनियर जिसने दिल्ली को दी इसकी लाइफलाइन 'मेट्रो,' बदली भारत में ट्रांसपोर्ट की तस्वीर

ई. श्रीधरन को देश में Metro Man के नाम से जाना जाता है क्योंकि उन्होंने न सिर्फ देश के पहले मेट्रो प्रोजेक्ट- कोलकाता मेट्रो में बल्कि दिल्ली, कोची, जयपुर जैसी मेट्रो परियाजनाओं में अहम भूमिका निभाई है.

E. Sreedharan- Metro Man of India (Photo: Twitter/@esreedharan) E. Sreedharan- Metro Man of India (Photo: Twitter/@esreedharan)
हाइलाइट्स
  • श्रीधरन ने इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर के रूप में अपना करियर शुरू किया था

  • आज श्रीधरन अपना 89वां जन्मदिन मना रहे हैं

ई. श्रीधरन एक भारतीय इंजीनियर हैं जिन्होंने कोंकण रेलवे और दिल्ली मेट्रो के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्हें मेट्रो मैन" (Metro Man) के नाम से जाना जाता है. भारत में लाखों लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर निर्भर हैं और भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट का चेहरा बदलने का श्रेय इस उद्यमी इंजीनियर को जाता है. 

श्रीधरन ने इंजीनियरिंग कॉलेज में लेक्चरर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और फिर उन्होंने इंजीनियरिंग सर्विस एग्जाम (ESE) पास करके भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (IES) जॉइन की. आज श्रीधरन अपना 89वां जन्मदिन मना रहे हैं और आज भी देश के हर युवा के लिए एक प्रेरणा हैं. 

6 महीने के काम को 46 दिन में पूरा किया 

दिसंबर 1964 में उन्हें अपने करियर की पहली बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा जब एक चक्रवात ने तमिलनाडु में पंबन ब्रिज को क्षतिग्रस्त कर दिया. इस पुल को बहाल करने का प्रभारी उन्हें बनाया गया था. इस काम को करने के लिए उन्हें छह महीने मिले थे. लेकिन उन्होंने इस काम को 46 दिनों के भीतर पूरा करके मिसाल कायम की. 

Pamban Bridge (Photo: Wikipedia)

मेट्रो, शिपयार्ड और रेलवे में योगदान

उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें कोलकाता मेट्रो की योजना बनाने और डिजाइन करने के लिए प्रभारी बनाया गया था, जो भारत में पहली मेट्रो थी. इसके बाद उन्होंने लगातार देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने पर काम किया. अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ श्रीधरन ने भारत में इंजीनियरिंग के नए आयाम स्थापित किए.

साल 1979 में वह कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में शामिल हुए, जो भारत की सबसे बड़ी जहाज निर्माण और रखरखाव की सर्विस देती है. हालांकि उस समय यह एजेंसी अच्छा काम नहीं कर रही थी. लेकिन श्रीधरन के निर्देशन में यह एजेंसी आगे बढ़ी और 1981 में अपना पहला जहाज एमवी रानी पद्मिनी लॉन्च किया. 

इसके बाद, जुलाई 1987 में पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक बने. कुछ साल बाद उन्हें सदस्य इंजीनियरिंग, रेलवे बोर्ड और भारत सरकार के पदेन सचिव के पद पर पदोन्नत किया गया. वह जून 1990 में सेवानिवृत्त हुए लेकिन सरकार ने उन्हें सूचित किया कि उनकी सेवाओं की अभी भी आवश्यकता होगी और फिर उन्हें अनुबंध पर कोंकण रेलवे का सीएमडी नियुक्त किया गया. 

Konkan Railway (Photo:https://www.railpictures.net/)

देश को दी कोंकण रेलवे 

कोंकण रेलवे परियोजना देश के लिए बहुत खास थी. इसमें कुल 82 किलोमीटर लंबी सुरंग के साथ 93 सुरंगें थीं और नरम मिट्टी में सुरंग बनानी थी. यह अन्य भारतीय रेलवे परियोजनाओं से बहुत अलग थी. परियोजना में 760 किमी की दूरी तय की गई और इसमें 150 से अधिक पुल थे. लेकिन श्रीधरन के नेतृत्व में यह काम सात साल में पूरा हो गया. 

इसके बाद, उन्हें दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) का प्रबंध निदेशक बनाया गया. और एक बार फिर उन्होंने अपनी क्षमता साबित की. उन्होंने दिल्ली मेट्रों के सभी चरण उनके लक्षित समय और बजट में पूरे किए थे. दिल्ली मेट्रो की अभूतपूर्व सफलता ने उन्हें एक राष्ट्रीय हस्ती बना दिया. वह कोची, लखनऊ और जयपुर जैसी मेट्रो परियोजनाओं का हिस्सा रहे हैं. वह दिसंबर 2011 में सेवा से सेवानिवृत्त हुए. 

मिले हैं कई पुरस्कार और उपलब्धियां

Sreedharan won Padma Vibhushan Award (Photo: Wikipedia)

श्रीधरन को उनके काम के लिए भारत सरकार ने 2001 में भारत गणराज्य के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया.  फ़्रांस की सरकार ने उन्हें 2005 में फ़्रांस में सर्वोच्च अलंकरण द ऑर्डर ऑफ़ लीजन डी'होनूर प्रदान किया. 2008 में उन्हें भारत गणराज्य में दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण मिला.