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हरियाणा की बिटिया ने किया कमाल, कर्राटे में इंटरनेशनल प्रतियोगिता में जीता गोल्ड

हरियाणा के हिसार की दिव्या ने नेपाल में आयोजित ओपन इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में गोल्ड जीत कर देश और हरियाणा का नाम रोशन किया है.

हरियाणा की बिटिया ने किया कमाल हरियाणा की बिटिया ने किया कमाल
हाइलाइट्स
  • अब कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने का है सपना

  • परिवार और कोच को देती हैं जीत का श्रेय

हरियाणा की बेटियों बेटों से कम नहीं है. यहां की लड़कियों में जोश जब्बा, हिम्मत, जुनून और कुछ कर गुजरने की क्षमता है. अगर ये लड़कियां ठान लें जो जिंदगी में कुछ भी पा सकती हैं. वैसे भी हरियाणा ने आज तक देश को कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए हैं. जिसमें से नीरज चोपड़ा सबसे उदाहरण हैं. लेकिन ये कहानी नीरज की नहीं है. ये कहानी है हिसार जिले के गांव बनभोगी गांव की रहने वाली 5 वर्षीय दिव्या की. दिव्या के पिता आर्मी में थे. 

अब कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने का है सपना
बनभौरी की रहने वाली 15 वर्षीय दिव्या ने नेपाल में आयोजित ओपन इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में गोल्ड जीत कर देश और हरियाणा का नाम रोशन किया है. इंटरनेशनल ओपन कराटे चैंपियनशिप में अंडर 15 आयु वर्ग में दिव्या ने यह खिताब हासिल किया है. दिव्या की इस जीत के बाद परिवार में काफी खुशी का माहौल है. उनके परिवार वालों का कहना है कि आज के दौर में बेटिया बेटों से कम नहीं है, ऐसी बेटी को दिल से सलाम है.  इससे पहले दिव्या नेशनल और स्टेट लेवल पर आयोजित कराटे प्रतियोगिता में कई मैडल जीत चुकी हैं. अब उनका अलगा टागरेट कामनवेल्थ स्कूल गेम्स में हिस्सा लेना है. दिव्या को जीत मिलने के बाद अलग-अलग जगहों पर सामाजिक संस्थाओं ने सम्मान समारोह का आयोजन किया है. 

परिवार और कोच को देती हैं जीत का श्रेय
अपने इस जीत के बारे में बताते हुए दिव्या कहती हैं कि नेपाल में इस इंटरनेशनल कराटे प्रतियोगिता में कम्पीटीशन काफी मुश्किल था. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. फिर आखिरकार उन्होंने गोल्ड जीत ही लिया. दिव्या अपने कोच आजाद सिंह को अपनी जीत का श्रेय देती हैं. दिव्या का अगला टारगेट कॉमनवेल्थ गेम्स है. दिव्या अपने परिवार को भी अपनी जीत का श्रेय देती हैं, वो कहती हैं, कि खेल में आगे बढ़ने के लिए उनके पिता ने हमेशा उनका साथ दिया है. दिव्या इससे पहले भी कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर वहां मेडल जीत चुकी हैं. 

नेपाल जाने से पहले हो गया था बुखार
ऐसा नहीं है कि दिव्या को हमेशा से कर्राटे में दिलचस्पी थी. दिव्या के पिता, जो सेना से रिटायर्ड हैं, वो बताते हैं कि दिव्या पांचवी कक्षा में होर्स राइडिंग करती थी. लेकिन धीरे-धीरे उन्हें कर्राटे में इंटरेस्ट आने लगा. एक वक्त ऐसा आया जब दिव्या दिन-रात केवल कर्राटे के बार में सोचने लगी और उसकी प्रैक्टिस करने लगी. फिलहाल दिव्या आर्मी स्कूल में कक्षा 10वीं में पढ़ रही हैं. वो एनसीसी की बेस्ट कैडल भी रहीं हैं. नेपाल में प्रतियोगिता में जाने से पहले उन्हें बुखार हो गया था, पर दिव्या रुकी नहीं वो नेपाल गईं और वहां गोल्ड जीत लिया. दिव्या को भरोसा था, कि वो हर परेशानी को पार करके गोल्ड लेंगी.

दिव्या की जीत पर काफी खुश हैं मां
दिव्या की इस जीत पर उनकी मां मंजू बाला का कहना है कि उनकी बेटी दूसरों से कहीं ज्यादा मेहनती है. वो कहती हैं, "मैंने बेटी और बेटे में कभी अंतर नहीं किया है. आज वो जिस फिल्ड में आगे बढ़ रही, वो हम सब का नाम रोशन कर रही हैं. पांचवीं कक्षा के बाद से दिव्या को कर्राटे में रुचि जागने लगी थी. अब तक नेशनल और स्टेट लेवल पर दिव्या कई सारे मेडल पा चुकीं हैं."

(हिसार से प्रवीण कुमार की रिपोर्ट)