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हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल ! दंगों के बीच ऐसे कराया हिंदू भाइयों ने मुस्लिम बहन का निकाह, धारा 144 के बीच धूमधाम से निकली बारात

इद्देनेसा के पड़ोसी तापस कोडाली, लखीकांत कयाल और उत्तम डोलुई ने शादी की सारी जिम्मेदारी ली. धारा 144 लगे होने के कारण तीनों हिंदू भाइयों ने थाने जाकर शादी कराने की अनुमति भी मांगी. पूरा समय वह मुस्लिम परिवार के साथ खड़े रहे.

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
हाइलाइट्स
  • हिंदू भाई पूरा समय मुस्लिम परिवार के साथ खड़े रहे

  • निकाह के दौरान एक-एक चीज का रखा ध्यान

एक तरफ जहां दंगे भड़के हुए हैं वहीं, दूसरी तरफ हावड़ा के उलुबेरिया में कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनकर सामने आए हैं. यहां एक हिंदू परिवार एक मुस्लिम विधवा की शादी के लिए पूरे समय उसके साथ खड़ा रहा. यह शादी धारा 144 के कारण स्थगित भी की जा सकती थी लेकिन, दुल्हन की ससुराल तक सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए पड़ोसियों ने दूल्हे और अन्य मेहमानों के स्वागत से लेकर हर चीज का ध्यान रखा. 

दरअसल, तीन बेटियों और एक बेटे की मां इडेनेसा मलिक एनएच-6 के पास एक छोटे से घर में रहती हैं, जहां प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दी थी. उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, धारा 144 लगने के बाद वह लोग शादी को लेकर बेहद परेशान हो गए थे. उन्हें लगा कि अब बेटी पाकीजा की शादी स्थगित करनी पड़ेगी. 

उन्होंने आगे कहा कि "जिस तरह मेरे हिंदू पड़ोसी आगे आए और मुझे भरोसा दिलाया कि वे सब कुछ संभाल लेंगे"

तीनों हिंदू भाइयों ने ली शादी की पूरी जिम्मेदारी 

इद्देनेसा के पड़ोसी तापस कोडाली, लखीकांत कयाल और उत्तम डोलुई ने शादी की सारी जिम्मेदारी ली. तापस कोडाली ने कहा " हम सब एक ही गांव में पले-बढ़े हैं. हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहे हैं. जब पाकीजा की मां परेशान थी तो हमने उनकी मदद करने का फैसला लिया. 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक तीनों ने धारा 144 लागू होने के कारण थाने जाकर शादी के अवसर पर बैठक की अनुमति ली. इडेनेसा ने आठ साल पहले अपने पति को खो दिया था. माँ और उसके बच्चे स्थानीय क्लब द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. लखीकांत कयाल ने कहा कि एक नागरिक के रूप में यह हमारा कर्तव्य था कि हम उसके साथ खड़े हों. 

इद्देनेसा ने अपनी बेटी की शादी में करीब 300 मेहमानों को बुलाया था, हालांकि, शादी में केवल 150 लोग ही पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि "मेरे हिंदू पड़ोसियों ने उनका स्वागत किया और खाने और अन्य सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा. उन्होंने मुझे एक कार किराए पर लेने में भी मदद की ताकि पाकीजा अपने ससुराल सुरक्षित जा सके. मैं जीवन भर उनकी आभारी रहूंगी" 

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