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डीसीपी भट्टाचार्य - एक आईपीएस अधिकारी जिसने नौकरी के साथ अपने जुनून को भी जिंदा रखा

आप चाहें कितने ही जरूरी प्रोफेशन में क्यों न हो अगर आप अपनी हॉबी के लिए समय निकाल ही लेते हैं. ऐसा ही कुछ जुनून है द्युतिमान भट्टाचार्य का. अगर आप उनसे पूछेंगे कि वो पहले एक कार्टूनिस्ट हैं या एक पुलिसकर्मी तो उनका जवाब कार्टूनिस्ट ही होगा. भट्टाचार्य के लिए कार्टून बनाना एक जुनून है.

DCP Dyutiman Bhattacharya DCP Dyutiman Bhattacharya
हाइलाइट्स
  • फिल्मी हस्तियों के कैरिकेचर बनाना है पसंद

  • कई जॉब बदली लेकिन जुनून को मरने नहीं दिया- भट्टाचार्य

आप चाहें कितने ही जरूरी प्रोफेशन में क्यों न हो अपनी हॉबी के लिए समय निकाल ही लेते हैं. ऐसा ही कुछ जुनून है द्युतिमान भट्टाचार्य का. अगर आप उनसे पूछेंगे कि वो पहले एक कार्टूनिस्ट हैं या एक पुलिसकर्मी तो उनका जवाब कार्टूनिस्ट ही होगा. भट्टाचार्य के लिए कार्टून बनाना एक जुनून है. हावड़ा के आईपीएस अधिकारी एक कुशल कार्टूनिस्ट, लेखक और चित्रकार हैं.

कैसा बनाते हैं सामंजस्य?
47 वर्षीय भट्टाचार्य वर्तमान में हावड़ा में पुलिस उपायुक्त के रूप में कार्यरत हैं. उनसे जब इस बारे में सवाल किया गया कि वो नौकरी और शौक के बीच सामंजस्य कैसे बनाते हैं? इस बात के जवाब में उन्होंने कहा, "पुलिसिंग सिर्फ मेरा काम है, कार्टून बनाना मेरा जुनून है." भट्टाचार्य कहते हैं, "दुनिया में कई ऐसे सर्जन हैं जो वायलिन बजाते हैं. क्या आप उनसे वही सवाल पूछेंगे?"
भट्टाचार्य इन दिनों काफी व्यस्त रहते हैं. उन्होंने कोलकाता में महीने भर चलने वाले कार्टून मेले में पहली बार हिस्सा लिया है. इसे दक्षिण कोलकाता में 'रीड बंगाली बुक्स' नामक एक किताब की दुकान द्वारा आयोजित किया जाता है. यह मेला 5 दिसंबर को शुरू हुआ और शहर के अनुभवी कार्टूनिस्टों का एक समूह, कार्टून डोल यहां एंकरिंग कर रहा है. 

लाइव कार्टूनिंग करना है पसंद
भट्टाचार्य ने ग्रुप को लगभग एक साल पहले ज्वाइन किया था. इन दिनों वह अपना ज्यादातर समय शाम को दुकान पर बिताते हैं. इस दौरान वह लाइव कार्टूनिंग करते हैं और आने वाले लोगों और महत्वाकांक्षी कार्टूनिस्टों के साथ बातचीत करते हैं. कार्टून-आधारित कोस्टर और कॉफी मग के अलावा दुकान में 2022 के डेस्क कैलेंडर भी बिकने के लिए रखे गए हैं, जिनमें भट्टाचार्य द्वारा कैरिकेचर बनाया गया है.  

फिल्मी हस्तियों के कैरिकेचर बनाना है पसंद
भट्टाचार्य कहते हैं कि उनका मकसद कार्टून को सिर्फ समाचार पत्रों तक ही सीमित रखने का नहीं है. मैं जिन लोगों से मिलता हूं,उनका ऑन-द-स्पॉट कैरिकेचर बनाना मुझे पसंद है. मेरे अधिकांश कार्टूनों में मेरी पालतू बिल्लियां और कुत्ते होते हैं. मुझे मशहूर हस्तियों के कैरिकेचर बनाना भी पसंद है.

मशहूर कार्टूनिस्ट आर.के. लक्ष्मण से मिली प्रेरणा 
भट्टाचार्य ने भूगोल में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने पुलिस सेवा में शामिल होने से पहले कई अन्य काम  जैसे कि स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाना और एक रजिस्टर अधिकारी के तौर पर भी काम किया है.  एक पुलिस अधिकारी से पहले वो एक सेल्फ-टॉट आर्टिस्ट हैं जिसकी प्रेरणा आर.के. लक्ष्मण, मारियो मिरांडा और बड ब्लेक हैं. कार्टून की दुनिया से उनका परिचय आर.के. लक्ष्मण के दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सीरियल मालगुडी डेज के जरिए हुआ.

कई जॉब बदली लेकिन जुनून को नहीं मरने दिया
भट्टाचार्य कहते हैं,“मैं अपनी जॉब प्रोफाइल को बेहतर बनाने के लिए जॉब बदलता रहा, लेकिन मैंने कार्टूनिंग, राइटिंग और पेंटिंग जैसे अपने जुनून को हमेशा जिंदा रखा. मैं जहां भी जाता हूं हमेशा एक छोटी कला पुस्तक और कुछ रंग साथ रखता हूं. मैं टास्क के बीच में स्केचिंग करता रहता हूं. कोई भी काम ऐसा नहीं हो सकता, जो आपको अपनी हॉबी से दूर ले जाए. भट्टाचार्य एक शौकिया चित्रकार भी हैं. उन्होंने हाल ही में हावड़ा में एक प्रदर्शनी में अपनी 22 पेटिंग्स बेचीं. इसके साथ ही वो एक उपन्यासकार भी हैं और एक प्रतिष्ठित बंगाली पत्रिका में पुलिसिंग पर एक कॉलम भी लिखते हैं. 

भट्टाचार्य और कार्टून डोल में शामिल देबाशीष देब, उदय देब, कल्लोल मजूमदार और रितुपर्णो बसु अब कार्टून मेला को एक वार्षिक कार्यक्रम बनाकर इसे पश्चिम बंगाल के अन्य शहरों में ले जाना चाहते हैं.