
देश भर में मानसून की अच्छी बारिश हो रही है लेकिन दिल्ली बारिश को तरस रही है. हर रोज मौसम विभाग अलर्ट जारी कर रहा है लेकिन मानसून बरसाने का नाम नहीं ले रहा. दिल्ली वाले भीषण उमस से परेशान है और बारिश का इंतजार हर किसी खास बात यह है कि दिल्ली के आसपास बारिश का दौर काफी पहले ही शुरू हो गया फिर दिल्ली पर मानसून मेहरबान क्यों नहीं है?
क्या रोक रहा है दिल्ली में मानसूनी बारिश को?
दरअसल दिल्ली की परिस्थितियां कई सारे कारकों के मौजूद होने के बाद भी बारिश के लिए अनुकूल नहीं हो पा रही. दिल्ली भौगोलिक तरीके से लैंडलॉक्ड है और चक्रवाती यानि साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से राजधानी दिल्ली के उत्तर-पश्चिम में क्वासी-जियोस्ट्रोफिक हवा बारिश को दबा रही है. दिल्ली के ठीक उत्तर में यानि हरियाणा और उत्तरप्रदेश के इलाकों में गरज-चमक के साथ बारिश हो रही है, लेकिन दिल्ली में ज्यादा बारिश नहीं हो रही. यहां तक कि बादल भी छाए हुए हैं लेकिन कन्वेक्टिव एक्टिविटी की कमी के कारण छिटपुट से अधिक बारिश नहीं हो रही.
मानसून की घोषणा कब करता है मौसम विभाग?
मौसम स्टेशनों पर पर्याप्त बारिश: प्रमुख मौसम स्टेशनों (जैसे दिल्ली में सफदरजंग और पालम) पर लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश दर्ज होनी चाहिए. साथ ही साथ बारिश का वितरण क्षेत्रीय स्तर पर एकसमान होना चाहिए, न कि छिटपुट.
नमी और रेडिएशन की वायुमंडलीय परिस्थितियां: दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएं स्थापित होनी चाहिए, जो नमी से भरपूर हों और अरब सागर या बंगाल की खाड़ी से आ रही हों. साथ ही आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR) भी 200 W/m² से कम होना चाहिए, जो बादल छाए रहने और कन्वेक्टिव गतिविधि को दर्शाता है.
हवा की रफ्तार और दिशा भी तय करता है मानसून: निचले वायुमंडल (850 hPa स्तर) में पूर्वी या दक्षिण-पश्चिमी हवाएं 15-20 नॉट की गति के साथ मौजूद होनी चाहिए. और ऐसी हवा की दिशा और गति में स्थिरता होनी चाहिए, जो मानसून की प्रगति को दर्शाती है.
नमी और दवाब जैसे कारकों की आवश्यक शर्ते: नमी का स्तर (रिलेटिव ह्यूमिडिटी) 700 hPa दवाब स्तर पर 60% से अधिक होना चाहिए. स्थानीय मौसम प्रणालियां, जैसे निम्न दबाव क्षेत्र या चक्रवाती परिसंचरण, मानसून की बारिश को बढ़ावा दे रही हों.