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Monsoon Updates: आईएमडी ने जारी किया पूर्वानुमान, इस साल देरी से दस्तक देगा मॉनसून, जानिए कब पहुंचेगा केरल और किसे कहते हैं सामान्य बारिश

देश में मॉनसून आने की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मॉनूसन की शुरुआत की घोषणा करने वाले आठ स्टेशनों में लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो.

इस बार देरी से आएगा मॉनसून (फाइल फोटो) इस बार देरी से आएगा मॉनसून (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • सामान्य तौर पर 1 जून को केरल पहुंचता है मॉनसून

  • अल नीनो के बावजूद सामान्य बारिश की उम्मीद 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मंगलवार को मॉनसून के आने को लेकर पूर्वानुमान व्यक्त किया है. इसमें मॉनसून के देरी से आने की संभावना व्यक्त की है. इस साल केरल में मॉनसून 1 जून की जगह चार जून को पहुंचेगा. देश में मॉनसून आने की घोषणा तब की जाती है जब केरल, लक्षद्वीप और कर्नाटक में मॉनूसन की शुरुआत की घोषणा करने वाले आठ स्टेशनों में लगातार दो दिनों तक कम से कम 2.5 मिमी बारिश हो.

केरल में मॉनसून पिछले साल 29 मई को, 2021 में 3 जून को और 2020 में एक जून को पहुंचा था. भारत में दक्षिण पश्चिम मॉनसून का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मॉनसून के आरंभ से चिह्नित होता है और यह एक गर्म और शुष्क मौसम से बारिश के मौसम में रूपांतरण को निरुपित करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है. जैसे-जैसे मॉनसून उत्तर दिशा में आगे की ओर बढ़ता है, बारिश होती है और इन क्षेत्रों को चिलचिलाती गर्मी के तापमान से राहत मिलने लगती है.

इस साल सामान्य बारिश होने की उम्मीद 
आईएमडी ने पिछले महीने कहा था कि भारत में अल नीनो की स्थिति के बावजूद दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है. अगर बारिश सामान्य रहती है तो देश में फूड ग्रेन प्रोडक्शन भी नॉर्मल रहेगा. यानी इससे महंगाई से राहत मिल सकती है. देश में किसान आमतौर पर 1 जून से गर्मियों की फसलों की बुआई शुरू करते हैं. ये वो समय होता है जब मॉनसून की बारिश भारत पहुंचती है. फसल की बुआई अगस्त की शुरुआत तक जारी रहती है.

किसे कहते हैं सामान्य बारिश
आईएमडी ने बताया कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) की 96 प्रतिशत बारिश हो सकती है. यदि बारिश एलपीए के 90-95 प्रतिशत के बीच होती है तो इसे सामान्य से कम कहा जाता है. एलपीए 96 से104 प्रतिशत हो तो इसे सामान्य बारिश कहा जाता है. एलपीए अगर 104 से 110 प्रतिशत के बीच है तो इसे सामान्य से ज्यादा बारिश कहते हैं. 110 प्रतिशत से ज्यादा को एक्सेस बारिश और 90 प्रतिशत से कम बारिश को सूखा पड़ना कहा जाता है.

अगले सात दिनों तक पारा चढ़ेगा पर हीटवेव की उम्मीद नहीं
मई के पहले पखवाड़े में पश्चिमी विक्षोभ के कारण लू की स्थिति कम गंभीर थी. इस विक्षोभ ने उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया था. चूंकि अगला पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रहा है, इसलिए अगले सात दिनों तक इन इलाकों में हीटवेव की स्थिति की उम्मीद नहीं है. हालांकि इस दौरान तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी है.