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सानिया मिर्जा बनीं देश की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट, टीवी मैकेनिक ने रात-दिन मेहनत कर दी बेटी के सपनों को उड़ान

सानिया मिर्जा भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बनने जा रही हैं. उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) परीक्षा में 149वीं रैंक हासिल की है. सानिया भारतीय वायुसेना में पहली मुस्लिम लड़की है, जिनका चयन फाइटर पायलट के तौर पर हुआ है.

सानिया मिर्जा सानिया मिर्जा
हाइलाइट्स
  • सानिया मिर्जा भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट

  • सानिया मिर्जा की प्रेरणा स्रोत प्रथम महिला पायलट अवनी चतुर्वेदी हैं.

कहते हैं न कि जब आप पूरी शिद्दत से किसी चीज को पाने की कोशिश में जुट जाते हैं तो कायनात भी आपके साथ हो जाती है. टीवी मैकेनिक शाहिद अली की बेटी सानिया मिर्जा भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बनने जा रही हैं. उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) परीक्षा में 149वीं रैंक हासिल की है. वे एनडीए 27 दिसंबर को ज्वाइन करेंगी. 

अवनी चतुर्वेदी रहीं प्रेरणा

सानिया देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के छोटे से गांव जसोवर की रहने वाली हैं. सानिया ने प्राइमरी से लेकर 10वीं तक की शिक्षा गांव के ही इंटर कॉलेज पंडित चिंतामणि दुबे इंटर कॉलेज से पूरी की है. सानिया यूपी 12वीं बोर्ड में जिला टॉपर रही हैं. सानिया ने 12 वीं पास करने के बाद सेंचुरियन डिफेंस एकेडमी से तैयारी शुरू कर दी थी. सानिया मिर्जा देश की दूसरी महिला हैं, जिन्हें फाइटर पायलट के तौर पर चुना गया है.  सानिया मिर्जा की प्रेरणा फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी रही हैं.

पहली बार में नहीं हो पाई थीं सफल

सानिया हमेशा से फाइटर पायलट बनना चाहती थीं. वह पहली बार में एनडीए की परीक्षा पास नहीं कर पाईं तो दूसरी बार ट्राई किया और इस बार सानिया ने सफल होकर ही दम लिया. NDA 2022 की परीक्षा में पुरुष और महिला को मिलाकर कुल 400 सीटें थीं, जिसमें 19 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं. इनमें से दो सीटें फाइटर पायलटों के लिए आरक्षित थीं. सानिया मिर्जा देश की दूसरी लड़की है जिसका चयन फाइटर पायलट के रूप में हुआ है.

रात-दिन काम कर पैसे इकट्ठा किए

कम आमदनी के बावजूद सानिया के माता-पिता ने उनकी परवरिश में किसी तरह की कमी नहीं की. पेशे से मैकेनिक पिता ने दिन में 14-14 घंटे तक काम किया ताकि बेटी की पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत न हो. लोगों ने ताने दिए लेकिन सानिया के माता-पिता ने किसी की एक न सुनी. उन्हें तो बस बेटी के सपनों को उड़ान देनी थी. आज जब सानिया का चयन हो गया है तो उनके माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है.