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भारत ने की चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी, जानिए एलएसी पर क्या है सेना की तैयारियां

पैंगोंग-त्सो झील में पेट्रोलिंग के लिए तो भारतीय सेना ने चीन की तैयारियों के बराबर कर ली है. गलवान घाटी की लड़ाई के बाद से भारतीय सेना लगातार अपनी सैन्य तैयारियों को धार देने में जुटी है. ये इसलिए किया जा रहा है क्योंकि भले ही चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर डिसएंगेजमेंट जरूर कर लिया है, लेकिन अभी भी चीन के 50-60 हजार सैनिक अभी भी सीमा के करीब ही तैनात हैं. 

भारत ने की चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी, जानिए एलएसी पर क्या है सेना की तैयारियां भारत ने की चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी, जानिए एलएसी पर क्या है सेना की तैयारियां
हाइलाइट्स
  • दो साल के अंदर चीन के बराबर पहुंच गया भारत

  • चीनी बिल्डअप की खबरों के बीच भारत ने उठाया कदम

पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन की तैयारियों को देखते हुए भारतीय सेना ने भी कमर कस ली है. टैंक और तोप को दुश्मन की निगाहों से बचाने के लिए 3डी परमानेंट डिफेंस बंकर से लेकर 22 हजार सैनिकों के लिए मॉड्यूलर शेल्टर और गलवान घाटी से सटी डीएसडीबीओ रोड पर टैंक वाले पुल और नए एयर-फील्ड तैयार किए जा रहे हैं. 

दो साल के अंदर चीन के बराबर पहुंच गया भारत
चीन की पीएलएस सेना के टैंक, तोप, मिसाइल और एयरक्राफ्ट भी एलएसी के करीब ही तैनात हैं. देश की रक्षा से सीधे तौर से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, बीते दो साल के अंदर भारत ने अपने सैनिकों के एलएसी पर डटे रहने के लिए वैसी व्यवस्था बना दी है जैसी कि चीन अपनी तरफ तैयार कर रहा है.

चीन के विरुद्ध चक्रव्यूह
पूर्वी लद्दाख में 2200 ट्रूप के रहने के लिए अस्थायी शेल्टर तैयार हैं. 450 टैंक, बख्तरबंद बंद गाड़ियों और तोपों के रखने के लिए निर्माण पूरा हो चुका है.  ये एसे शेल्टर हैं, जिन्हें आसानी से दूसरी जगह पर कम समय में शिफ्ट किया जा सकता है. इसके अलावा पूर्वी लद्दाख में नए लैंडिंग क्रॉफ्ट को तैनात किया गया है. जिसके चलते सीमा पर भारत की गश्त क्षमताओं में बढ़ोतरी हुई है. 

लैंडिग क्रॉफ्ट असाल्ट एक साथ 35 सैनिकों को ले जा सकता है. यही नहीं सीमाओं पर स्थायी बचाव निर्माण भी हो रहे हैं. पहली बार 3-डी स्थायी बचाव निर्माण तैयार किए गए हैं. जिनमें सैनिक और वाहनों को रखा जा सकता है. छोटी बंदूकों के साथ-साथ टी 90 टैंक की मुख्य बंदूक के वार का भी इन पर कोई असर नहीं होता है. 

सुरंगों, गुफाओं और भूमिगत गोला-बारूद के भंडार का निर्माण भी यहां प्रगति पर है. फिलहाल यहां नौ सुरंगों का निर्माण कार्य चल रहा है. जिसमें 2.535 किलोमीटर लंबी सेला सुरंग शामिल है. पूरी होने के बाद ये दुनिया की सबसे ऊंची दो लेन वाली सुरंग होगी. ग्यारह और सुरंगों की योजना भी बनाई जा रही है. साथ ही सेना 35 छोटे-बड़े ब्रिज बनाने की तैयारी है. ये पुल स्थायी या बड़े बेलि ब्रिज होंगे. 70 टन वज़नी सैन्य उपकरण, टैंक आसानी से इन पर से गुजर सकेंगे.

चीनी बिल्डअप की खबरों के बीच भारत ने उठाया कदम
आपको बता दें कि  एलएसी के पार चीनी बिल्डअप की खबरों के बीच भारत ने ये कदम उठाया है. जाहिर है भारत का पूर्वी लद्दाख सेक्टर में बुनियादी ढांचे का ये निर्माण चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का सही तरीका साबित होगा.