
भारत सरकार ने बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए BioE3 पॉलिसी के तहत देशभर में 16 बायोमैन्युफैक्चरिंग हब्स स्थापित करने की योजना बनाई है. इन हब्स का उद्देश्य दवाओं, एंजाइम, बायोफ्यूल, बायोफर्टिलाइज़र और अन्य बायोटेक्नोलॉजी उत्पादों के लिए देश को आत्मनिर्भर बनाना है.
BioE3 पॉलिसी क्या है?
भारत सरकार ने हाल ही में BioE3 (Biomanufacturing, Bioeconomy, and Bioentrepreneurship) Policy तैयार की है, जिसका उद्देश्य भारत को बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाना है. यह नीति दवाओं, बायोफ्यूल, बायोफर्टिलाइज़र, एंजाइम, स्मार्ट प्रोटीन, और अन्य बायोटेक उत्पादों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगी.
इसका उद्देश्य है:
इस नीति का मुख्य फोकस है बायोइकोनॉमी (Bioeconomy) को तेज गति से बढ़ाना, यानी बायोलॉजिकल रिसोर्सेज का उपयोग करके दवाएं, ईंधन, खाद, एंजाइम और अन्य उत्पाद बनाना.
1,000 से ज्यादा उत्पादों की लिस्ट तैयार
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, BioE3 पॉलिसी के तहत करीब 1,000 उत्पादों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें भारत में ही विकसित किया जाएगा. इनकी आधिकारिक सूची जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी. इसका मकसद विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है.
स्टार्टअप्स और कंपनियों को बड़ा फायदा
इन बायोमैन्युफैक्चरिंग हब्स में 500 से 1,000 लीटर तक की बड़ी फर्मेंटर मशीनें लगाई जाएंगी. इसके जरिए दवाओं के साथ-साथ बायोफ्यूल, बायोफर्टिलाइज़र, एंजाइम और विशेष रसायन भी तैयार किए जाएंगे. सरकार का मानना है कि इससे स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों को बड़ा फायदा होगा क्योंकि उन्हें भारी पूंजी निवेश करने की जरूरत नहीं होगी.
नई टेक्नोलॉजी और रिसर्च को सपोर्ट
BioE3 पॉलिसी के तहत इन प्रमुख क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाएगा:
देश में पहले से मौजूद 6 बायोफाउंड्रीज
वर्तमान में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) देशभर में 6 बायोफाउंड्रीज का संचालन कर रहा है, जो इस परियोजना का आधार बनेंगी. ये हैं:
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