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Household Spending: बदल रहा भारतीयों के खर्च करने का पैटर्न... भोजन से ज्यादा पर्सनल केयर को महत्व... सेहत और शराब पर बढ़ा खर्च

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान शराब और तंबाकू जैसे उत्पादों पर खर्च में 15.7% की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो कि पिछले 10 सालों में सबसे ज़्यादा है.

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वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय परिवारों के खर्च के तरीके में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान शराब और तंबाकू जैसे उत्पादों पर खर्च में 15.7% की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो कि पिछले 10 सालों में सबसे ज़्यादा है. पिछले साल यानी 2022-23 में यह वृद्धि सिर्फ 1.6% थी.

वहीं दूसरी ओर, खाद्य और गैर-मादक पेय पदार्थों (non-alcoholic beverages) पर खर्च में सिर्फ 0.5% की मामूली बढ़त हुई. इसका मतलब है कि जहां एक तरफ नशे वाले उत्पादों पर खर्च तेजी से बढ़ रहा है, वहीं खाना-पीना अब कम प्राथमिकता पर आता दिख रहा है. 

स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च में जबरदस्त उछाल
स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं जैसे दवाएं, डॉक्टर की फीस और अस्पतालों के बिल पर खर्च में भी जोरदार वृद्धि हुई है. 17.4% की सालाना बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो कि 2022-23 में दर्ज 7.2% की तुलना में काफी अधिक है. यह पिछले कई सालों में सबसे बड़ी छलांग मानी जा रही है.

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कुल खपत में सुस्ती, लेकिन 2025 में सुधार की उम्मीद
हालांकि कुल मिलाकर परिवारों की वास्तविक खपत (real consumption) में इस बार सिर्फ 5.6% की वृद्धि हुई, जो 2022-23 के 7.7% से कम है. लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 7.6% तक पहुंच सकता है. इस विषय पर विस्तृत सरकारी रिपोर्ट 30 मई को जारी की जाएगी. 

बदलती प्राथमिकताएं
लगातार दूसरे साल, लोगों ने कपड़े और जूते-चप्पलों पर कम खर्च किया है. इस श्रेणी में माइनस 7.1% की गिरावट देखी गई, जबकि पिछले वर्ष यह गिरावट माइनस 1.4% थी. इसके विपरीत, सेवाओं और अन्य उत्पादों पर खर्च 10% बढ़ा है. विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन पर खर्च में यह कमी शायद इस ओर इशारा करती है कि अब लोग बेहतर आय स्तर पर पहुंच रहे हैं. अब वे सिर्फ ज़रूरत की चीज़ों पर नहीं, बल्कि अपनी पसंद की सेवाओं पर भी खर्च कर रहे हैं- जो एक बढ़ती और परिपक्व होती अर्थव्यवस्था का संकेत है. 

पर्सनल केयर और होटल-रेस्तरां पर खर्च
पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स और सेवाओं पर परिवारों का खर्च 9.9% बढ़ा है, जो 2015 के बाद सबसे तेज़ वृद्धि है. साथ ही, होटल और रेस्तरां जैसी सेवाओं पर खर्च लगातार तीसरे साल बढ़ रहा है. 2023-24 में इस पर खर्च 18.1% बढ़ा, हालांकि यह वृद्धि 2022-23 की 68.7% के मुकाबले धीमी है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि देश में प्रीमियम प्रोडक्ट्स और लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजों की मांग तेजी से बढ़ रही है. 

शिक्षा बनी प्राथमिकता
शिक्षा पर खर्च में इस वर्ष 10.4% की वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष (10.9%) के बराबर है. वहीं दूसरी ओर, मनोरंजन और सांस्कृतिक गतिविधियों पर खर्च में 4.13% की गिरावट आई है. एक और दिलचस्प बात यह सामने आई है कि ग्रामीण भारत में पहली बार भोजन पर खर्च कुल घरेलू खर्च के 50% से नीचे आ गया है- जो उपभोग के बदलते स्वरूप का बड़ा संकेत है. 

भारत में खपत का पैटर्न बदल रहा है. अब लोग भोजन और कपड़े जैसी बुनियादी जरूरतों की बजाय सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्सनल केयर पर ज़्यादा खर्च कर रहे हैं. यह बदलाव भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है.