
देश में कहीं भी यात्रा करनी हो तो लोगों की पहली पसंद रेलवे को माना जाता है. रेल यात्रा करना किफ़ायती होता है और आरामदायी भी. ऐसे में लोगो अपने परिवार-बच्चों के साथ भी यात्रा करते हैं. लेकिन कई बार दुर्भाग्यपूर्ण बच्चे रेलवे स्टेशन और ट्रेन में खो जाते हैं.
ऐसे गुमशुदा बच्चों को ढूंढने और उनके परिवार से मिलाने के लिए रेलवे द्वारा 'मिशन नन्हे फ़रिश्ते' शुरू किया गया. इस पहल के तहत रेल सुरक्षा बल, रेल यात्रियों की सुरक्षा में अपराधियों के खिलाफ लगातार प्रयासरत है. महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने के लिए सतर्क है और साथ ही रेलवे क्षेत्रों में पाए जाने वाले निराश्रित बच्चों के पुनर्वास के लिए उचित कार्रवाई भी कर रहा है.
क्या है मिशन नन्हे फरिश्ते
बहुत बार छोटे बच्चे अपने परिवार से बिछड़ जाते हैं तो बहुत से बच्चे अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से भाग आते हैं. लेकिन इन बच्चों को नहीं पता होता है कि उनका यह कदम जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे बच्चे ज्यादातर तस्करी का शिकार हो जाते हैं. लेकिन अब रेलवे पुलिस इन बच्चों को बचाने के लिए तस्करों पर अपना शिकंजा कस रही है. इन बच्चों को तस्करों से या बाल मजदूरी से बचाकर इनकी काउंसलिंग करती है. और फिर बच्चों से मिली जानकारी के आधार पर उनके परिवार को संपर्क करती है.
वेबसाइट पर बनाया गया लिंक
लोगों की भलाई के लिए एक गहन अभियान 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' ट्रेनों/रेलवे स्टेशनों पर पाए जाने वाले देखभाल और सुरक्षा के जरूरतमंद बच्चों को बचाने के लिए भारतीय रेल पर शुरू किया गया. इसके उल्लेखनीय परिणाम भी सामने आए हैं. साल 2022 के दौरान ऐसे 17,750 से अधिक बच्चों को आरपीएफ जवानों द्वारा बचाया गया है.
वहीं, अब इस मुहिम के तहत भारतीय रेल की आधिकारिक वेबसाइट पर एक लिंक बनाया गया है. जिस में आरपीएफ द्वारा बचाए गए बच्चों के संबंध में विवरण और जानकारी दी गई होती है. साथ ही, इन बच्चों की जानकारी और विवरण ट्रैक चाइल्ड पोर्टल-3.0 में अपलोड किये जा रहे हैं. अगर आपके आसपास या किसी जानने वाला का कोई अपना खो गया है तो आप इस लिंक के जरिए चेक कर सकते हैं कि कहीं वह रेलवे पुलिस की सुरक्षा में तो नहीं है.
इस मुहिम के तहत, रेल सुरक्षा बल द्वारा विभिन्न कारणों से अपने परिवार से बिछड़े/खोए हुए बच्चों की पहचान करने और उन्हें बचाने का नेक कार्य किया जा रहा है.