इंडिगो एयरलाइंस के परिचालन संकट ने देशभर के हवाई यातायात को गहरी परेशानी में डाल दिया है, लेकिन इसका सबसे गंभीर असर जयपुर और दिल्ली जैसे व्यस्त एयरपोर्ट्स पर दिखाई दे रहा है. DGCA द्वारा लागू किए गए नए FDTL नियमों (Flight Duty Time Limitations) के कारण पायलटों और क्रू के लिए अनिवार्य विश्राम समय बढ़ा दिया गया, जिसके लिए इंडिगो ने पर्याप्त तैयारी नहीं की थी. एयरलाइन ने मान लिया है कि उसकी योजना में बड़ी चूक हुई और उसने पायलटों की उपलब्धता का गलत आकलन किया, जिसके कारण उड़ानों का पूरा नेटवर्क चरमरा गया.
चार दिनों में 800–1000 से अधिक फ्लाइटें या तो रद्द हुईं या भारी देरी का शिकार हुईं, और इसका प्रत्यक्ष असर जयपुर हवाईअड्डे पर दिखा, जहां यात्रियों की भीड़ अचानक अनियंत्रित होती चली गई. दिल्ली से उड़ने वाली अधिकांश इंडिगो उड़ानें बंद होने के बाद जयपुर आने-जाने वाली उड़ानें भी प्रभावित हुईं, क्योंकि पूरा नेटवर्क एक चेन रिएक्शन की तरह टूटता चला गया.
जयपुर एयरपोर्ट पर लोग हुए बेहाल
जयपुर एयरपोर्ट पर हालात इतने खराब हो गए कि यात्रियों की लंबी कतारें एयरपोर्ट टर्मिनल से बाहर तक फैल गईं. जो लोग दूर-दराज के शहरों से जयपुर पहुँचे थे, वे लगातार दूसरे, तीसरे और चौथे दिन भी अपनी उड़ानों के रद्द या री-शेड्यूल होने की खबरें सुनते रहे. कई यात्री ऐसे थे जिनकी फ्लाइट हर दिन दो-दो बार बदली गई और आखिर में बिना किसी विकल्प के रद्द कर दी गई.
सबसे बड़ी समस्या उन परिवारों के सामने आई, जिनका सामान एयरपोर्ट के अंदर फंसा रह गया, जबकि उन्हें बाहर निकाल दिया गया था. वे आगे सड़क मार्ग से भी नहीं जा पा रहे थे, क्योंकि उनका बैगेज एयरलाइन के पास था. कुछ बुजुर्ग यात्री दो-दो रातें एयरपोर्ट के फर्श पर बैठकर गुज़ारने को मजबूर हो गए. जिन्हें होटल की सुविधा मिलनी चाहिए थी, वे भी घंटों तक इंतजार करते रहे क्योंकि एयरलाइन के पास स्टाफ की कमी थी और काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों के पास यात्री सहायता से संबंधित स्पष्ट निर्देश नहीं थे.
जयपुर पर्यटन पर पड़ा बुरा प्रभाव
जयपुर में इस संकट का एक बड़ा असर यह भी देखने को मिला कि जैसे ही उड़ानें रद्द होने लगीं, पर्यटन पर इसका त्वरित नकारात्मक प्रभाव पड़ा. जयपुर में मौजूद पर्यटक खासकर विदेशी अपनी वापसी की उड़ानें रद्द होने के बाद पूरी तरह असहाय हो गए. कई विदेशी यात्री अपनी अगली अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिंग फ्लाइट पकड़ने में असमर्थ रहे, जिसका आर्थिक नुकसान उनकी मूल टिकटों से कई गुना अधिक था. शादी या विशेष कार्यक्रमों में पहुंचने वाले परिवारों की योजनाएं बिगड़ गईं.
बढ़े लोकल सार्वजनिक किराए
जब उड़ानों का बोझ कम हुआ, तो ट्रेनों, बसों और टैक्सियों पर दबाव अचानक आसमान छू गया. दिल्ली–जयपुर के बीच सड़क मार्ग को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाने लगी, लेकिन किराया इतना बढ़ गया कि छोटे सफर के लिए भी हज़ारों रुपये देने पड़े. अन्य एयरलाइनों ने इस संकट का सीधा फायदा उठाया और उनकी टिकटें इकोनॉमी में ही ₹35,000–₹50,000 तक पहुंच गईं, जिससे यात्रियों का गुस्सा और भी बढ़ गया. जयपुर के लोग हैरान थे कि मामूली 45 मिनट की फ्लाइट का किराया एक अंतरमहाद्वीपीय टिकट से भी अधिक हो गया है.
इंडिगो ने मांगी माफी, देगी फुल रिफंड
इंडिगो ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा है कि सभी रद्द उड़ानों का फुल रिफंड दिया जाएगा और जल्द से जल्द क्रू की उपलब्धता सुधारकर उड़ानें बहाल करने की कोशिश की जाएगी. एयरलाइन का कहना है कि जयपुर जैसे शहरों में स्थिति समझने और सहायता प्रदान करने के लिए अतिरिक्त टीमें भेजी जा रही हैं ताकि बैगेज रिकवरी, री-बुकिंग और यात्री सहायता सुचारू हो सके.
एयरलाइन बताएगी गलती का कारण
DGCA ने एयरलाइन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और यह भी जांच हो रही है कि इस संकट के दौरान एयरलाइन ने यात्रियों को उनकी अधिकारों के अनुरूप सहायता दी या नहीं. साथ ही, केंद्र सरकार अन्य एयरलाइनों को अतिरिक्त स्लॉट देने पर विचार कर रही है ताकि जयपुर जैसे व्यस्त शहरों में यात्रा बाधित होने से बच सके. हालांकि इंडिगो का कहना है कि वह अपने रोस्टर और क्रू प्लानिंग सिस्टम को मजबूत कर रही है, फिर भी सामान्य संचालन फरवरी 2026 से पहले पूरी तरह शुरू होने की उम्मीद नहीं है. जयपुर में देखने को मिली यात्री अव्यवस्था यह दर्शाती है कि पायलटों की थोड़ी सी भी कमी पूरे शहर की यात्राएं और पर्यटन पर कितना व्यापक प्रभाव डाल सकती है.