family court
family court इंदौर के कुटुंब न्यायालय (Family Court) ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए करोड़ों की संपत्ति और लाखों रुपये महीना कमाने वाली महिला डॉक्टर का अंतरिम भरण-पोषण (Interim Maintenance) का आवेदन खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि पति के समान डिग्री और व्यवसायिक योग्यता रखने वाली पत्नी को भरण-पोषण देना अनिवार्य नहीं होता.
दोनों ही डॉक्टर, पत्नी की आय लाखों में
महिला डॉक्टर ने अपने पति डॉ. लव दुग्गड़ के खिलाफ भरण-पोषण की राशि की मांग करते हुए आवेदन किया था. दोनों ही उच्च शिक्षित हैं और डॉक्टरी के पेशे से जुड़े हुए हैं. कोर्ट को बताया गया कि महिला डॉक्टर स्वयं BDS और MDS की डिग्रीधारी हैं और अपने निजी चिकित्सकीय व्यवसाय में प्रतिमाह लाखों की कमाई कर रही हैं.
पति ने क्लिनिक बनाकर दिया
डॉ. लव दुग्गड़ की ओर से अधिवक्ता योगेश गुप्ता ने पैरवी करते हुए बताया कि पति ने अपनी पत्नी को खुशी-खुशी जीवनसाथी मानते हुए 36 लाख रुपए की लागत से क्लिनिक बनाकर दिया था. उन्होंने आयकर दस्तावेज भी प्रस्तुत किए, जिनसे यह सिद्ध हुआ कि महिला डॉक्टर सालाना 8 लाख रुपए से अधिक की आय अर्जित करती हैं.
इंदौर में करोड़ों की संपत्ति की भी मालकिन
कोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया कि महिला डॉक्टर के पास इंदौर शहर में करोड़ों की अचल संपत्ति है. इस आर्थिक स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने माना कि वह आत्मनिर्भर हैं और उन्हें भरण-पोषण की आवश्यकता नहीं है.
कोर्ट ने कहा, समान योग्यता वाली पत्नी को भरण-पोषण देना जरूरी नहीं
न्यायाधीश ने अपने निर्णय में उल्लेख किया कि जब पत्नी स्वयं सक्षम, शिक्षित, और पति के बराबर व्यवसायिक डिग्रीधारी हो, तो भरण-पोषण की मांग वैध नहीं मानी जा सकती. इसी आधार पर भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर दिया गया.