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INS Arnala: दुश्मनों की अब खैर नहीं! भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ पहला एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट

यह जहाज हिंद महासागर में नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा और तटीय इलाकों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगा.

INS Arnala Indian Navy (Photo Credit: PTI) INS Arnala Indian Navy (Photo Credit: PTI)

भारतीय नौसेना के बेड़े में आज एक नया और महत्वपूर्ण युद्धपोत शामिल हो गया है. INS अरनाला देश का पहला एंटी सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट है. जिसे विशाखापत्तनम के नेवी डॉकयार्ड में कमीशन किया गया. यह जहाज हिंद महासागर में नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा और तटीय इलाकों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगा. 

आईएनएस अरनाला का निर्माण
आईएनएस अरनाला का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स और लार्सन एंड टुब्रो ने मिलकर किया है. यह युद्धपोत 77 मीटर लंबा है, इसका वजन 1490 टन है और इसकी रफ्तार 46 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसमें अत्याधुनिक तकनीक से लैस हथियार और सेंसर लगे हैं, जिनमें आरबीयू 6000 एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, हल्के टॉरपीडो, समुद्री बारूदी सुरंगें और सीआरएन 19 नेवल गन शामिल हैं. इस युद्धपोत पर सात अधिकारियों समेत 57 नौसैनिक तैनात रहेंगे.

स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भर भारत
आईएनएस अरनाला का निर्माण 80% से ज्यादा स्वदेशी चीजों से किया गया है, जो 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की नीति के तहत है. यह युद्धपोत भारतीय नौसेना के लिए 16 एंटी सबमरीन शैलो वाटर क्राफ्ट में से पहला है. इसका नाम महाराष्ट्र के ऐतिहासिक अरनाला किले के नाम पर रखा गया है.

चीन और पाकिस्तान से बढ़ता खतरा
हाल के दिनों में चीन ने पाकिस्तान को आठ सबमरीन देने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसमें से चार सबमरीन चीन से बनकर आएंगी और चार पाकिस्तान में तैयार होंगी. ऐसे में भारत के दोनों सबमरीन मोर्चों पर पनडुब्बी का खतरा बढ़ गया है. इसीलिए अब भारत को एंटी सबमरीन क्राफ्ट की जरूरत महसूस हुई है. आईएनएस अरनाला के नौसेना में शामिल होने से भारत की तटीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी और हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना का दबदबा और ज्यादा बढ़ेगा.

आईएनएस अरनाला की विशेषताएं
आईएनएस अरनाला की लंबाई 77.8 मीटर है और इसका वजन 1498 मीट्रिक टन है. इसकी रफ्तार 24 नॉट्स तक है और यह एक बार में 18 समुद्री मील तक जा सकता है. इसमें आधुनिक तकनीक से लैस इंजन और डिटेक्शन सिस्टम लगे हैं. इसके अलावा, प्रोटेक्शन के लिए इसमें अत्याधुनिक गन्स भी शामिल हैं.

भारतीय नौसेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इससे न केवल तटीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना का दबदबा भी बढ़ेगा.