

खाकी वर्दी और पुलिस वालों को देखकर हर कोई सहम जाता है. लेकिन आज आपको एक ऐसे खाकी के रखवाले की कहानी सुनाएंगे जिन्होंने अपने अथक प्रयास और मेहनत से गरीब बच्चों के भविष्य को सवारने का बीड़ा उठा रखा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं चंडीगढ़ पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर काम कर रहे रामदयाल की जिन्होंने एक ट्रेन हादसे में अपनी दोनों टांगे गवा दी हैं. लेकिन फिर भी बच्चों के भविष्य के सवारने का ऐसा जुनून कि पिछले 3 दशक में मुफ्त कोचिंग और सुविधा देकर गरीब बच्चों को जवाहरलाल नवोदय स्कूल की तैयारी करवा रहे हैं.
खुद करते हैं खर्चा
नन्ही सी आंखों के सुनहरे सपनों को साकार और आकार देने के लिए इंस्पेक्टर राम दयाल काफी मेहनत कर रहे हैं. चंडीगढ़ पुलिस में तैनात इंस्पेक्टर राम दयाल पुलिस की नौकरी के साथ-साथ गरीब बच्चों का भी ध्यान रख रहे हैं. रामदयाल पिछले दो दशकों से गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम कर रहे हैं. वो पांचवी क्लास में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को जवाहरलाल नवोदय स्कूल में दाखिले के लिए कोचिंग दिलवाते हैं. इस काम के लिए आने वाला खर्च राम दयाल खुद वहन करते हैं.
काम में भाई भी करते हैं मदद
इंस्पेक्टर राम दयाल ने बताया कि यह बच्चे गरीब तबके से आते हैं. इनके माता-पिता इनकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते. लेकिन हर बच्चे को पढ़ाई और अपना भविष्य सुधारने का अधिकार है. इसके लिए गरीबी आड़े नहीं आनी चाहिए. उन्होंने इसी बात को समझा और अपने भाइयों के साथ मिलकर इस मुहिम को शुरू किया. साल 2005 में उन्होंने बच्चों को कोचिंग दिलवाना शुरू किया था और इस मुहिम में उनके दो भाई भी उनके साथ हैं.
इंस्पेक्टर राम दयाल ने बताया कि शुरुआत में इस काम को मैने पंजाब के होशियारपुर से शुरू किया था. जो कि उनका गृह जिला है. वहां पर उन्होंने सरकारी स्कूलों में बात कर कमरे की व्यवस्था की. इसके बाद बच्चों को पढ़ाने के लिए कुछ अध्यापकों की व्यवस्था की. इन अध्यापकों की सैलरी भी खुद अपने खर्चे पर देते हैं. बच्चों के लिए पेन, पेंसिल किताबें वगैरह सभी सामान भी वे खुद ही लाते हैं ताकि बच्चे बिना किसी बात की चिंता किए अपनी पढ़ाई कर सकें.
5000 बच्चे ले रहे कोचिंग
राम दयाल ने बताया कि पहले बैच में सात बच्चों ने नवोदय स्कूल में दाखिला हासिल किया. इसके बाद उन्होंने अपने सेंटरों की संख्या बढ़ानी शुरू की. आज पंजाब के 7 जिलों में उनके 60 सेंटर हैं. इन सभी सेंटर में करीब 5000 बच्चे कोचिंग ले रहे हैं. जहां तक बच्चों के दाखिले की बात है तो उनके सेंटर में आए बच्चों में 50 प्रतिशत बच्चों का दाखिला नवोदय स्कूल में हो जाता है.
कई बच्चों को मिली अच्छी नौकरी
इंस्पेक्टर रामदयाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने साल 1990 में नवोदय स्कूल की योजना शुरू की थी ताकि बच्चों को सरकारी खर्चे पर अच्छी शिक्षा दिलवाई जा सके. लेकिन इन स्कूलों में आर्थिक तौर पर मजबूत घरों के बच्चे ही दाखिला ले रहे थे. क्योंकि उनके माता-पिता उन्हें अच्छी कोचिंग दिलवा देते थे. इस वजह से उनका दाखिला स्कूल में हो जाता था. वहीं गरीब बच्चे दाखिला लेने में पीछे रह जाते थे इसीलिए उन्होंने गरीब बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए इस मुहिम को शुरू किया. आज उनके सेंटर से निकले बहुत से बच्चे नवोदय स्कूलों में पढ़ रहे हैं. इनमे से कई बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर अच्छी नौकरियां भी कर रहे हैं. कई लोग उन्हें इस काम में सहायता की पेशकश भी करते हैं. वे लोगों से सहायता भी ले लेते हैं लेकिन उन्होंने कहा कि वह किसी से पैसे नहीं लेते. वो बच्चों के लिए पेन, पेंसिल, किताबें कॉपियां आदि ले लेते हैं.
नवोदय स्कूल की शाखाएं देशभर के हर जिले में है. एक जिले से नवोदय स्कूल में हर साल अस्सी बच्चों को ही एडमिशन दिया जाता है. इसके लिए पांचवी क्लास में पढ़ने वाले बच्चों को एक टेस्ट देना पड़ता है. उस टेस्ट में पास होने पर ही उन्हें नवोदय स्कूल में दाखिला मिलता है. स्कूल में दाखिला मिलने के बाद बच्चों की 12वीं तक की पढ़ाई और उनके रहने खाने का सारा खर्च केंद्र सरकार उठाती है. बच्चे स्कूल में ही रहते हैं और वहीं पर पढ़ाई करते हैं.