
हर साल 24 सितंबर को बेटी दिवस मनाया जाता है. यह खास दिन न केवल भारत में मनाया जाता है, बल्कि दुनिया भर के लोग भी इसे मनाते हैं. यह अनूठा अवसर इस बात की याद दिलाता है कि आपकी बेटी का आपके जीवन में कितना महत्व है.
बेटी दिवस का इतिहास
साल 2007 में बेटी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी. भारत समेत दुनिया के कई देशों में बेटों को ज्यादा अहमियत दी जाती थी. इसे खत्म करने और बेटा व बेटी को बराबर का दर्जा दिलाने के लिहाज से इस दिन की शुरुआत की गई. बेटियों के पैदा होने को जश्न के तौर पर मनाने के लिहाज से हर साल 24 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है.
बेटी दिवस का महत्व
बेटियों के प्रति दुनियाभर में फैले नकारात्मकता के खिलाफ दुनियाभर के देश मिलकर बेटियों को समान अधिकार दिलाने के लिए इस खास दिन को मनाते हैं. कई बेटियों को अपने अधिकारों का पता नहीं होता और जीवन में उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ऐसी परिस्थितियों से लड़ने के लिए वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं और सरकारों की ओर से बेटी दिवस का आयोजन किया जाने लगा. इस खास दिन के जरिए बेटियों को उनकी आवाज मिली और जनता को बेटियों को महत्व पता चला. इस अभियान को जागरूकता के लिहाज से मनाया जाता है.
हिंदू धर्म में बेटियों का महत्व
हिंदू परिवार में जब किसी कन्या का जन्म होता है तो अक्सर यह कहा जाता है कि साक्षात लक्ष्मी जी आई हैं. इसका कारण यह है कि बेटी को घर के लिए लक्ष्मी माना गया है. शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि, बेटी का जन्म पुण्यवान व्यक्ति के घर पर ही होता है, क्योंकि मां लक्ष्मी कभी अधर्मी लोगों के घर वास नहीं करतीं. हिंदू धर्म में बेटियों को देवी समान पूजनीय माना जाता है. इसलिए बेटियों या कुंवारी कन्याओं को किसी के पांव भी नहीं छूना चाहिए. बेटियां वो होती हैं, जिससे दो कुल रोशन होते हैं.
हिंदू धर्म में कन्या हैं पूजनीय
हिंदू धर्म में कन्या को न सिर्फ देवी कहा जाता है, बल्कि देवी की तरह पूजा भी जाता है. इसलिए हिंदू धर्म में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नवरात्र, व्रत उद्यापन, विशेष अनुष्ठान और कई अन्य अवसरों पर कन्याओं की पूजा की जाती है. कन्या पूजन को लेकर धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि, एक कन्या को पूजने से ऐश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग व मोक्ष, तीन कन्या की पूजा से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्या पूजन से राज्यपद, पांच कन्या को पूजने से विद्या, छह कन्या की पूजा से छह तरह की सिद्धि, सात कन्या पूजन से राज्य, आठ कन्या की पूजा से संपदा और नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है.
माना जाता है देवी का रूप
हिंदू धर्म में कन्याओं को देवी का रूप तो माना गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि, किस उम्र की कन्या को किस देवी का रूप माना जाता है. इस संदर्भ में बताया गया है कि 2 वर्ष की कन्या को कुंवारी माता का स्वरूप माना गया है, 3 वर्ष की कन्या को देवी त्रिमूर्ति का स्वरूप, 4 वर्ष की कन्या देवी कल्याणी का स्वरूप, 5 वर्ष की कन्या देवी रोहिणी का स्वरूप, 6 वर्ष की कन्या मां कालिका के रूप में पूजी जाती है, 7 वर्ष की कन्या को मां चंडिका का स्वरूप, 8 वर्ष की कन्या देवी शांभवी का स्वरूप, 9 वर्ष की कन्या को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है और 10 वर्ष की कन्या को देवी सुभद्रा का स्वरूप मानकर पूजा जाता है.
मां अपनी बेटी से रिश्ते ऐसे कर सकती हैं मजबूत
1. अपनी बेटी की उसके दोस्तों, पड़ोसी या भाई-बहन से तुलना न करें. सभी का टीनएज अलग होता है, ऐसे में किसी और से तुलना कर आप अपनी बेटी पर अनचाहा प्रेशर बना सकती हैं. इस कारण से उसमें चिड़चिड़ाहट आ सकती है. साथ ही उनमें यह भावना भी आ सकती है कि आप उनके गुणों का सम्मान नहीं करती, जिससे हो सकता है वे आपसे दूरी बनाने लगे.
2. ऐसा कई बार होता है कि आपकी बेटी, आपसे इसलिए कुछ शेयर नहीं करती, क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि आप उनकी बात सुनती नहीं हैं इसलिए कोशिश करें कि उनकी बात समझने के लिए उन्हें सुनें न कि सिर्फ सलाह देने के लिए. कई बार आपकी बेटी बस इतना ही चाहती है कि अपनी मन की बात वह आपसे कह पाए. इससे आप दोनों के बीच का कम्युनिकेशन गैप भी कम होगा.
3. टीनएज में आपकी बेटी के शरीर में कई बदलाव आते हैं, जो उसके मन को उलझन में डाल देते हैं. उन्हें कई बार यह पता नहीं होता कि इससे डील कैसे करें इसलिए जरूरी है कि आप उनकी सहेली बनें. टीनएज में होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलावों के बारे में खुल कर उनसे बात करें.
4. आपकी बेटी ने यदि आपको कोई बात बताई है, तो उसे किसी और के साथ शेयर न करें, खासकर उनके दोस्तों और पड़ोसियों से. इससे वे आप पर भरोसा नहीं करेंगी और अगर वे कभी किसी परेशानी में हुई तो भी हो सकता है कि इस कारण से वे आप से अपनी बात साझा न करें.
5. आपकी बेटी के शौक आपसे काफी अलग हो सकते हैं, इसलिए कोशिश करें कि आप उनके इंटेरेस्ट में रुचि लें. यह आपको उनके साथ वक्त बिताने का मौका भी दे सकता है. अक्सर आपकी बेटी आपके साथ वक्त इसलिए नहीं बिताती क्योंकि आप उनकी पसंद की चीजों में दिलचस्पी नहीं लेतीं. ऐसे में कोशिश करें कि आप उनकी पसंद-नापसंद जानें. यह आपका बॉन्ड मजबूत करने में मदद कर सकता है.
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